म्यूचुअल फंड में निवेश पर लगेगी स्टाम्प ड्यूटी, रिटर्न पर होगा कितना असर?

1 जुलाई के बाद म्यूचुअल फंड खरीदने पर हर निवेशक को 0.005 फीसद की स्टाम्प ड्यूटी देनी होगी. स्टाम्प ड्यूटी सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (सिप), एकमुश्त निवेश (लम्पसम) या सिस्टमैटिक ट्रांस्फर प्लान (एसटीएफ) सब पर देय होगी.

प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

यदि आप म्यूचुअल फंड में नियमित निवेश करते हैं तो इस महीने से आपके निवेश की एक राशि टैक्स के रूप में भी जाएगी. जी हां, 1 जुलाई के बाद म्यूचुअल फंड खरीदने पर हर निवेशक को 0.005 फीसद की स्टाम्प ड्यूटी देनी होगी. यानी एक लाख के निवेश पर 5 रुपए. स्टाम्प ड्यूटी सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (सिप), एकमुश्त निवेश (लम्पसम) या सिस्टमैटिक ट्रांस्फर प्लान (एसटीएफ) सब पर देय होगी.

म्यूचुअल फंड यूनिट्स खरीदने के अलावा इनके ट्रांसफर और डिविडेंड के पुन: निवेश पर भी स्टाम्प ड्यूटी लागू होगी. एक डीमैट एकाउंट से दूसरे एकाउंट में म्यूचुअल फंड यूनिट्स ट्रांसफर करने पर 0.015 फीसद की ड्यूटी देनी होगी. हालांकि म्यूचुअल फंड की बिकवाली के समय कोई ड्यूटी नहीं लगेगी.

एंट्री लोड की तरह ही होगी स्टाम्प ड्यूटी

म्यूचुअल फंड निवेश पर स्टाम्प ड्यूटी उस एंट्री लोड की तरह ही होगी जिसे 2009 में सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) की ओर से खत्म कर दिया गया था. यह नियम पहले जनवरी 2020 से लागू होना था. लेकिन इसके बाद इसे टालकर अप्रैल और फिर जुलाई कर दिया गया था.

किन निवेशकों पर असर?

फाइनेंशियल प्लानर जितेंद्र सोलंकी कहते हैं, "इस फैसले का ज्यादा असर डेट फंड में निवेश करने वाले निवेशकों पर होगा." मसलन, लिक्विड फंड निवेशकों को 1 दिन के लिए निवेश करने की भी सुविधा देते हैं, जो डेट फंड की श्रेणी में आते हैं. इसके अलावा 1 महीने या 90 दिन जैसी छोटी अवधि में निवेश कराने वाली म्यूचुअल फंड स्कीमों पर इसका असर होगा क्योंकि पैसा बहुत छोटी अवधि के लिए निवेशित रहता है और रिटर्न भी लगभग जोखिम रहित और निश्चित होता है.

ओवरनाइट या छोटी अवधी की स्कीमों में सामान्यत: निवेशक मोटी राशि निवेश करते हैं, क्योंकि उन्हें सुरक्षा चाहिए होती है मोटा रिटर्न कमाना इसका प्रमुख उद्देश्य नहीं होता. जबकि इक्विटी फंड में सामान्यत: लंबी अवधि के लिए निवेश किया जाता है.

***

Read more!