कैसे कानूनी लड़ाई के बाद अरविंद को केजरीवाल को मिल पाया सरकारी बंगला?
दिल्ली में बाकी राज्यों की तर्ज पर पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास देने का प्रावधान नहीं है इसीलिए मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद उन्हें सरकारी आवास भी छोड़ना पड़ा था

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को राष्ट्रीय राजधानी में 95, लोधी एस्टेट स्थित बंगला आवंटित किया गया है.
आप ने पुष्टि की है कि केजरीवाल इस टाइप-VII बंगले में रहेंगे. साथ ही, यह आवास उन्हें "दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा इस मुद्दे पर केंद्र को फटकार लगाने" के बाद आवंटित किया गया है.
आप के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा का कहना है कि केंद्र को जब दिल्ली हाईकोर्ट ने फटकार लगाई तब उन्हें आधिकारिक बंगला मिला है, जबकि एक राष्ट्रीय पार्टी का संयोजक होने के नाते वे पहले से इसके हकदार थे.
95 लोधी एस्टेट में पहले राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष और BJP नेता इकबाल सिंह लालपुरा रहते थे. इस नए पते पर अरविंद केजरीवाल के पड़ोसी कांग्रेस नेता शशि थरूर हैं, जो 97 लोधी एस्टेट में रहते हैं. बंगला संख्या 94 सेवानिवृत्त रियर एडमिरल धीरेन विग को आवंटित है.
दरअसल दूसरे राज्यों की तरह दिल्ली में पूर्व मुख्यमंत्री को सरकारी आवास दिए जाने का प्रावधान नहीं है. यही वजह थी कि 2024 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद उन्हें सरकारी आवास छोड़ना पड़ा था. हालांकि बाद में वे आप के राज्यसभा सांसद अशोक मित्तल को आवंटित सरकारी बंगले में रहने चले गए.
अरविंद केजरीवाल के लिए 4 बेडरूम वाला घर
केजरीवाल के नए बंगले में चार बेडरूम, एक हॉल, एक वेटिंग रूम और एक डाइनिंग हॉल है. इसमें दो लॉन हैं.
यह आवंटन दिल्ली हाईकोर्ट की जांच के बाद हुआ है, जिसने देरी की आलोचना की थी और केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) द्वारा सरकारी आवासों के आवंटन में पारदर्शिता की जरूरत पर जोर दिया था.