यूपी में खाद वितरण घोटाला

केवल मुख्यमंत्री योगी के गृह जिले गोरखपुर में ही 23,252 क्विंटल का खाद घोटाला उजागर हुआ है. घोटालेबाजों ने नियमों का माखौल उड़ाते हुए फर्जी और काल्पनिक नामों पर बिना आधार कार्ड के खाद की बिक्री कर दी.

बाराबंकी में खाद की दुकानों की जांच करते अधिकारी (फोटोः आशीष मिश्र)
बाराबंकी में खाद की दुकानों की जांच करते अधिकारी (फोटोः आशीष मिश्र)

यूपी में खाद की कमी और वितरण में गड़बड़ी के आरोप लगाते हुए शि‍कायतें दिल्ली के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय तक पहुंच रही थीं. भरपूर स्टॉक देने के बाद भी उर्वरक का संकट क्यों हुआ, इसकी पड़ताल के लिए केंद्रीय खाद एवं रसायन मंत्रालय ने एक वित्तीय वर्ष के दौरान सबसे अधि‍क खाद लेने वाले प्रत्येक जिले के टॉप 20 किसानों की सूची बनाई और इसे अपने पोर्टल पर लोड कर दिया. मंत्रालय ने सभी जिलों के जिलाधि‍कारियों को इन किसानों द्वारा खरीदे गए उर्वरक की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा. जिलाधि‍कारियों ने पोर्टल से सूची लेकर जब जांच कराई तो पूरी गड़बड़ी सामने आ गई. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर में 23,252 क्विंटल का खाद घोटाला उजागर हुआ है. घोटालेबाजों ने नियमों का माखौल उड़ाते हुए फर्जी और काल्पनिक नामों पर बिना आधार कार्ड के खाद की बिक्री कर दी.

जांच में घोटालेबाज खाद विक्रेताओं द्वारा पीओएस मशीन से अंगूठा लगाकर खाद की बिक्री करने के सामान्य नियम का पूरे प्रदेश में उल्लंघन करने की बात सामने आई है. दरअसल, खादविक्रेताओं को छूट मिली है कि यदि किसी किसान के पास आधारकार्ड नहीं लेकिन उसके पास किसान क्रेडिट कार्ड और मतदाता पहचान पत्र हो तो पीओएस मशीन में पहचानपत्र का नंबर फीडकर खाद की बिक्री की जा सकती है. खाद विक्रेताओं ने इसी छूट का फायदा उठाते हुए पूरे प्रदेश में घोटाला कर डाला. इन घोटालेबाज खाद विक्रेताओं ने फर्जी और काल्पनिक नामों का इस्तेमाल किया और इनके फर्जी पहचानपत्र के नंबर पीओएस मशीन में दर्ज किए. गोरखपुर में इन खाद विक्रेताओं ने अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक 23,252 कुंतल खाद नियमविरुद्ध बेच दी.

केंद्रीय खाद एवं रसायन मंत्रालय से मिली जानकारी पर जब गोरखपुर जिला प्रशासन ने जांच कराई तो पता चला कि जिले में 18 नियमविरुद्ध हजारों क्विंटल खाद की बिक्री की है. गोरखपुर के जिला खाद बिक्री अधि‍कारी अरविंद कुमार चौधरी बताते हैं, “अनियमितता मिलने पर सभी 18 खाद विक्रेताओं को नोटिस जारी कर 10 दिन के भीतर जवाब देने को कहा गया है. इन विक्रेताओं को खाद की बिक्री करने से भी प्रतिबंधित कर दिया गया है.” इसी प्रकार अलीगढ़ जिले में खाद की बिक्री करने वाली 19 फर्में ऐसी पकड़ी गईं हैं जिन्होने फर्जी आधारकार्ड पर खाद की बिक्री की है. अलीगढ़ के जिला कृषि‍ अधि‍कारी विनोद कुमार सिंह बताते हैं, “जिले में 19 फर्मों द्वारा फर्जी आधार कार्ड पर यूरिया बिक्री का मामला सामने आया है जो उर्वरक नियंत्रण आदेश-1985 का उल्लंघन है. इन फर्मों से जवाब मांगा गया है. संतोषजनक उत्तर न मिलने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.”

अमरोहा जिले में सहकारी समितियों के अधि‍कारियों ने साठगांठ करके कुछ किसानों को सैकड़ों बोरे खाद के दे दिए. जिला प्रशासन को जांच में पता चला कि जिन किसानों को बड़ी मात्रा में खाद बेची गई उनके पास काफी कम जमीन खेती के लिए थी. अमरोहा में कृषि‍ विभाग के एक अधि‍कारी बताते हैं, “सरकार से सस्ते दाम पर मिलने वाले उर्वरक को ब्लैक में दोगुना मूल्य पर बेचे जाने की बात भी सामने आई है. कई स्तर पर जांच पूरी होने के बाद दोषि‍यों पर कार्रवाई की जाएगी.”

लखनऊ से सटे बाराबंकी जिले में 21 ऐसे खाद विक्रेता मिले हैं जिन्होंने नियमविरुद्ध खाद की बिक्री की है. केंद्रीय उर्वरक और रसायन मंत्रालय से मिली सूची की पड़ताल करने बाराबंकी जिला प्रशासन के अधि‍कारी 17 अगस्त को देवा इलाके के इफ्को बाजार में पहुंचे. यहां अधि‍कारियों ने जांच में पाया कि एनपीके और डीएपी खाद का स्टॉक तो है लेकिन यूरिया नहीं है. यह भी पाया कि इस केंद्र से 6 जून से 3 जुलाई के बीच आशीष कुमार नाम के व्यक्ति‍ को 239 बोरी खाद बेची गई. इस खाद को बेचने वाली ई-पॉस मशीन चेक की गई तो उसपर आशीष के अंगूठे का निशान नहीं मिला. अधि‍कारियों इफ्को बाजार के इस खाद बिक्री केंद्र को सील कर दिया और संचालकों के खि‍लाफ एफआइआर दर्ज कराने की सिफारिश की है. इसी तरह पूरे जिले में 21 दुकानदार ऐसे मिले हैं जिन्होंने खाद की बिक्री में बड़ा घोटाला किया है.

बाराबंकी की फतेहपुर तहसील के इसरौली इलाके में मौजूद मौर्या खाद भंडार की जांच में पाया गया कि इसके संचालक ने अपने बेटे शि‍वम मौर्य के नाम पर 454 और नौकर अनुपम के नाम पर भी इतनी ही 454 बोरी यूरिया बेची है. बाराबंकी के जिलाधि‍कारी आदर्श कुमार सिंह 18 अगस्त की सुबह जिले में खाद की उपलब्धता की जांच करने निकले थे. आदर्श को सुबह दस बजे के करीब बाराबंकी के चंदौली इलाके में “किसान खाद भंडार” नाम की दुकान बंद मिली और इसका दुकानदार बाहर बैठा मिला. आदर्श ने दुकानदार से दुकान बंद होने की वजह पूछी तो उसने बताया कि यूरिया खाद नहीं है. इसपर जिलाधि‍कारी ने जब दुकान खुलवाई तो अंदर दस बोरी यूरिया रखी मिली. जिलाधि‍कारी ने दुकानदार का खाद बिक्री लाइसेंस निरस्त कर उसपर कालाबाजारी करने के आरोप में एफआइआर दर्ज करा दी है.

इस वर्ष मई, जून और जुलाई में अच्छी बारिश होने से यूपी में यूरिया की मांग बढ़ गई है. खरीफ की मुख्य फसल धान के लिए अगस्त का महीना यूरिया टॉप ड्रेसिंग का होता है. इसलिए पूरे प्रदेश में यूरिया की मांग में तेजी से इजाफा हुआ है. बुंदेलखंड के एक्टिविस्ट आशीष सागर बताते हैं, “घोटालेबाजों पर अंकुश न लगने के कारण पूरे प्रदेश में खाद का संकट खड़ा हो गया है. खेतों में खड़ी खरीफ की फसल को यूरिया की जरूरत है लेकिन सहकारी समितियों के ज्यादातर गोदाम खाली पड़े हैं. किसानों को बाजार से महंगी कीमत पर खाद खरीदनी पड़ रही है. किसानों को 267 रुपए प्रति बोरी की दर पर मिलने वाली यूरिया अब 500 रुपए प्रति बोरी की दर पर मिल रही है. ” हालांकि सरकारी आंकड़े खाद की कमी की तस्दीक नहीं करते हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, यूपी में खरीफ-2020 के अगस्त माह तक के लक्ष्य 22.89 लाख मीट्रिक टन के मुकाबले अभी तक 27.31 लाख मीट्रिक टन यूरिया प्रदेश को मिल चुकी है. यह निर्धारित लक्ष्य का 119 प्रतिशत है. यूपी के कृषि‍ उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा कहते हैं कि सभी जिलों के जिलाधि‍कारी और कमिश्नर को आदेश जारी कर खाद की कालाबाजारी रोकने के लिए कड़े कदम उठाने को कहा गया है.

***

Read more!