यूपी: अंत्येष्टि‍ स्थलों में ईमानदारी का अंतिम संस्कार

गाजियाबाद के मुरादनगर के अंत्येष्टि‍ स्थल का गलियारा ढहने से 24 लोगों की मौत के बाद मुख्यमंत्री योगी ने प्रदेश के अन्य स्थलों पर निर्माण कार्य की जांच के आदेश दिए हैं. इसके बाद से जालौन, हापुड़ समेत कई जिलों के अंत्येष्टि‍ स्थल के निर्माण कार्यों में गड़बड़ी पाई गई है.

गाजियाबाद के मुरादनगर अंत्येष्टि स्थल पर हुए हादसे के बाद राहत कार्य
गाजियाबाद के मुरादनगर अंत्येष्टि स्थल पर हुए हादसे के बाद राहत कार्य

सरकारी सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार ने 24 मासूम लोगों की जान ले ली. गाजियाबाद जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर मुरादनगर के श्मशान घाट पर बंबा रोड संगम विहार निवासी एक बुजुर्ग की अंतिम यात्रा 3 जनवरी की सुबह करीब साढ़े 11 बजे पहुंची थी. अंतिम यात्रा में करीब 50 लोग शामिल थे. अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू ही हुई थी कि बारिश होने लगी. बारिश से बचने के लिए श्मशान घाट के प्रवेश द्वार पर बने 70 फीट लंबे गलियारे में खड़े हो गए. आधे घंटे में अंतिम संस्कार संपन्न होने के बाद गलियारे में खड़े लोगों ने मृतक की याद में दो मिनट का मौन रखा. इसी बीच गलियारे की छत भरभरा कर गिर गई. अचानक हुए इस हादसे से आसपास कोहराम मच गया. मौके पर पहुंची राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और स्थानीय पुलिस ने करीब पांच घंटे तक जद्दोजहद के साथ राहत कार्य किया. इस दौरान 24 लोगों के शव मलबे में दबे पाए गए.

हादसे के बाद डीएम अजय शंकर पांडेय ने जीडीए के चीफ इंजीनियर वीएन सिंह, निर्माण निगम के महाप्रबंधक छेदी लाल और नगर निगम के चीफ इंजीनियर मोइनुद्दीन को शामिल कर तीन सदस्यीय जांच टीम बनाई थी. गाजियाबाद के मुरादनगर में अंत्येष्टि‍ स्थल पर हुए निर्माण कार्य की गुणवत्ता की जांच कर ही टीम को भ्रष्टाचार के कई सबूत मिले हैं. गलियारे के पिलर्स के बीच की दूरी मानकों से बहुत ज्यादा थी. इसका डिजाइन भी नहीं बनवाया गया था. लिंटर के वजन के हिसाब से पिलर कमजोर थे. गलियारे के साइज के हिसाब से 18 पिलर होने चाहिए थे, लेकिन उसमें सिर्फ 12 पिलर बनाए गए थे. मुरादनगर की घटना के बाद अधि‍शासी अधि‍कारी निहारिका चौहान, ठेकेदार अजय त्यागी, जूनियर इंजीनियर सी. पी. सिंह‍ पर गैर-इरादतन हत्या का मुकदमा दर्जकर जेल भेज दिया गया. पुलिस से पूछताछ में ठेकेदार अजय ने कबूला है कि उसकी फर्म को श्मशान घाट के सुंदरीकरण और निर्माण कार्य का ठेका 55 लाख रुपए में मिला था. अजय ने पुलिस के सामने दिए गए बयान में आरोप लगाया है कि उसने जेई के कहने पर अधि‍शासी अधि‍कारी निहारिका चौहान के कार्यालय में 16 लाख रुपए रिश्वत दी थी. अजय ने यह भी बताया कि अधि‍कारियों को 25 से 30 प्रतिशत कमीशन दिया जाता है. अजय के बयान के आधार पर पुलिस पड़ताल कर रही है. मुख्यमंत्री योगी ने ठेकेदार और इंजीनियरों पर रासुका लगाने का आदेश दिया है. इसके अलावा प्रदेश में सभी अंत्येष्टि‍ स्थलों में हुए निर्माण कार्यों की गुणवत्ता जांचने के सा‍थ 50 लाख रुपए से अधि‍क के सभी निर्माण कार्यों की जांच करने का भी आदेश दिया गया है.

गाजियाबाद में मुरादनगर से करीब 35 किलोमीटर दूर हापुड़ जिले के धौलाना थाना क्षेत्र के गांव निधावली में बन रहे अंत्येष्टि स्थल के निर्माण में भी गड़बड़ी की शि‍कायत मिली है. हापुड़ जिला प्रशासन को मिली शि‍कायत में निधावली में चार लाख 90 हजार 900 रुपये से कराए जा रहे अंत्येष्टि स्थल के निर्माण में घटिया सामग्री के इस्तेमाल का आरोप लगाया गया था. शिकायत के आधार पर 6 जनवरी को मुख्य विकास अधिकारी उदय कुमार सिंह और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाइ) के अधिशासी अभियंता, डीपीआरओ, बीडीओ के साथ अंत्येष्टि स्थल पर पहुंचे. यहां उन्होंने शिकायत के आधार पर निर्माणाधीन अंत्येष्टि स्थल का निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान देखा कि निर्माणाधीन अंत्येष्टि स्थल का शेड मानकों के विपरीत बनाया जा रहा है. निर्माणाधीन शेड के पिलर के जोड़ में अंतर है, वहीं दीवार के पिलर निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं बने हैं. मुख्य विकास अधिकारी उदय कुमार सिंह ने निरीक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी. देर शाम जिलाधिकारी ने मामले में मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए, जिसके बाद सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) त्रिभुवन कौशिक ने अंत्येष्टि स्थल के निर्माण में घटिया सामग्री के प्रयोग करने का आरोप लगाते हुए धौलाना थाने में तहरीर दी. इसमें उन्होंने निवर्तमान प्रधान निधावली देवीराम, ग्राम पंचायत सचिव रमेश चंद, अवर अभियंता लघु सिंचाई शौराज सिंह और मैसर्स चौधरी कंस्ट्रक्शन कंपनी के ठेकेदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है. मुख्य विकास अधिकारी उदय कुमार सिंह ने बताया, “अंत्येष्टि स्थल में घटिया सामग्री के इस्तेमाल की जांच की थी. इसमें अनियमितता मिली थी. सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) द्वारा निवर्तमान प्रधान और ठेकेदार समेत चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.”

कौशांबी के समाजसेवी रमेश चौरसिया बताते हैं, “कौशांबी जिले के करारी इलाके में वर्ष 2016 में बना अंत्येष्टि‍ स्थल बनने के 15 दिन बाद ही तेज हवा चलने से गिर गया था. इसके बाद स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किया था लेकिन तत्कालीन जिला प्रशासन ने अधि‍कारियों ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया था कि अंत्येष्टि‍ स्थल के ऊपर बनी छत पेड़ के गिरने से ढह गई थी.” कौशांबी जिले के कड़ा ब्लॉक के लेहदरी खतीब इलाके में गंगा नदी के किनारे 24 लाख रुपए की लागत से अंत्येष्टि‍ स्थल बनाया गया है. इसके निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं. अंत्येष्टि‍ स्थल की छत पर दरार पड़ गई है. यहां बने सामुदायिक शौचालय का निर्माण भी अभी अधूरा पड़ा है. कौशांबी के मंझनपुर नगर पालिका के अधि‍शासी अधि‍कारी सुनील कुमार मिश्र ने 7 जनवरी को तहसील मुख्यालय भवन के पीछे स्थित अंत्येष्टि स्थल का निरीक्षण किया. मिश्र को यहां पर शवदाह गृह अधूरा मिला. इसकी गुणवत्ता में भी खामी मिली. मिश्र ने अपनी रिपोर्ट जिलाधि‍कारी कार्यालय को सौंपी है. अंत्येष्ट स्थलों के निर्माण में गड़बड़ी करने वालों पर त्वरित कार्रवाई न किए जाने से भी घोटालोबाजों के हौसले बुलंद हैं.

करीब चार वर्ष पूर्व जालौन के उमरी में 1.66 करोड़ की लागत से मोक्षधाम का निर्माण हुआ था. निर्माण में गुणवत्ता की अनदेखी की गई. स्थानीय लोगों की शिकायत के बावजूद सुनवाई नहीं हुई. नतीजा यह हुआ कि 8 नवंबर 2020 को ऊमरी गोशाला की गायों के लिए घास लेकर लौट रहे किसान पर मोक्षधाम के मुख्य द्वार की बीम टूटकर गिर गई थी. इससे मजीठ निवासी किसान श्यामकिशोर तिवारी की मौत हो गई थी. उनके छोटे भाई रामकिशोर ने अपने भाई की मौत का जिम्मेदार तत्कालीन ईओ, जेई, ठेकेदार और चेयरमैन को माना था. इसके बाद जिलाधि‍कारी कार्यालय ने उपजिलाधि‍कारी गुलाब सिंह को अंत्येष्टि‍स्थल में हुए निर्माण कार्य की जांच करने का आदेश दिया था. उपजिलाधि‍कारी ने अपने सामने जब क्षतिग्रस्त बीम की जांच कराई तो उसमें मानकों की अनदेखी पायी थी. इसकी जांच रिपोर्ट 16 दिसंबर को ही जिलाधि‍कारी कार्यालय को सौंप दी गई थी. जालौन के जिलाधि‍कारी डॉ. अब्दुल मन्नान कहते हैं कि एक टीम बनाकर मोक्षधाम के गेट समेत सभी निर्माण कार्यों की जांच कराकर दोषि‍यों के खि‍लाफ मुकदमा दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

लंबे समय से अंत्येष्ट‍ि स्थलों का जीर्णोद्धार न किए जाने से भी यह हादसे को न्योता दे रहे हैं. गाजियाबाद में मुरादनगर की घटना के बाद शासन के निर्देश पर मेरठ नगर निगम की टीम ने शहर के श्मशान स्थलों का नि‍रीक्षण किया. मेरठ के सहायक नगर आयुक्त ब्रजपाल सिंह ने 5 जनवरी को सूरजकुंड स्थित श्मशान घाट और मुख्य अभियंता यशवंत कुमार ने नई बस्ती लल्लापुरा के श्मशान घाटों का निरीक्षण किया. मुख्य अभियंता यशवंत कुमार ने बताया कि नई बस्ती लल्लापुरा में चार श्मशान घाट हैं. जिसमें एक बच्चा श्मशान घाट है. शेष तीन श्मशान घाटों के छह शवदाह स्थलों पर अंतिम संस्कार किया जाता है. तीनों श्मशान घाटों की बाउंड्री अलग-अलग है. छह में से एक शवदाह स्थल की छत और बीम जर्जर अवस्था में पाई गई है. इसमें शवों के अंतिम संस्कार पर रोक लगा दी गई है. इसके अलावा एक और शवदाह स्थल का टिन शेड टूटा मिला है. बैठने के स्थान पर छत कमजोर पाई गई है. यह सभी 15 से 20 साल पुराने निर्माण हैं. मुख्य अभियंता ने कहा कि इन सभी क्षतिग्रस्त शवदाह स्थलों का पुन: निर्माण कराया जाएगा.

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