माटी के महायोद्धा: जिस पेज से पढ़ो, कहानी वहीं से शुरू

आसिफ आजमी की इस किताब में उन स्वतंत्रता सेनानियों की गाथाएं हैं जिनका जिक्र लोकप्रिय राजनीतिक और सामाजिक विमर्श में नहीं होता है.

आसिफ आजमी की किताब माटी के महायोद्धा
आसिफ आजमी की किताब माटी के महायोद्धा

आजादी के नायक मंगल पांडे के बारे में तो सबको पता होगा, लेकिन क्या आपको मालूम है कि 80 साल के किस सेनानी ने सशस्त्र संघर्ष में अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे और उन्होंने ऐसा कई बार किया. क्या आपको इनका नाम मालूम है? जवाब है ये हैं स्वतंत्रता सेनानी बाबू कुंवर सिंह जो बिहार के भोजपुर जिले में जन्मे थे और 1857 की गदर में काफी सक्रिय रहे. आपने शायद ही लल्लन अरोड़ा का नाम सुना होगा, वे आजादी के बाद अयोध्या के सांसद बने और स्वतंत्रता संग्राम में इन्होंने बढ़-चढ़कर भाग लिया. आजादी के आंदोलन में भाग लेने वाले उन स्वतंत्रता सेनानियों की गाथाएं आपको ‘माटी के महायोद्धा’ पुस्तक में मिल जाएंगी जिनका जिक्र अक्सर लोकप्रिय राजनीतिक और सामाजिक विमर्श में नहीं आता है. इस पुस्तक के लेखक आसिफ आजमी हैं और वे माटी न्यास के संयोजक भी हैं. पूर्वांचल की कला, संस्कृति, साहित्य, खान-पान और पर्यटन को समर्पित माटी न्यास के अध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय ने पुस्तक का पुरोकथन लिखकर सिद्ध किया है कि इस पुस्तक का आना क्यों बेहद जरूरी था. वैसे तो किसी क्षेत्र विशेष के महान लोगों पर आधारित कोई किताब पहली नजर में एक सीमित दायरे का एहसास कराती है लेकिन सोच को बढ़ाएं तो पता चलेगा कि ऐसे ही प्रयासों से कम चर्चित महानायकों से लोगों को परिचित कराया जा सकता है.

इस पुस्तक में पूर्वांचल अर्थात् पूर्वी उत्तर प्रदेश के 32 जिलों के प्रख्यात और कम चर्चित लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान का जिक्र है. यहां आपको अमेठी, आंबेडकरनगर, अयोध्या, आजमगढ़ कुशीनगर, गाजीपुर, गोंडा, गोरखपुर, सोनभद्र, भदोही, वाराणसी, लखनऊ के सेनानियों का अलग वर्णन मिलेगा. लेकिन इस क्षेत्र के राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिलब्ध सेनानियों की गाथा पुस्तक में आपको सबसे पहले मिलेगी. पुस्तक का अनुक्रम देखकर पता चलता है कि दुर्गा भाभी कौशांबी की थीं, हालांकि उनका नाम राष्ट्रीय नायकों में रखा जा सकता था. इस पुस्तक की सबसे बड़ी खूबी यह है कि आप जिस पेज से पढ़ेंगे, कहानी वहीं से शुरू होगी. आधिकतम दो-ढाई पेज में कहानी कह दी गई है जिसमें सूचनाएं और घटनाएं समाहित की गई हैं. अध्यायों का संक्षिप्त होना पुस्तक को रुचिकर बनाता है. चंद्रशेखर आजाद, जवाहरलाल नेहरू, मोतीलाल नेहरू, विजयलक्ष्मी पंडित हों या चपाती आंदोलन वाले अहमदुल्ला शाह फैजाबादी, इन सबको राष्ट्रीय नायकों वाली श्रेणी में रखा गया है. इसके बाद स्वतंत्रता सेनानियों की दास्तानें जिलेवार पेश की गई हैं. लेखक आसिफ आजमी खुद भी आजमगढ़ के हैं और फिल्म निर्माण से जुड़े हुए हैं. आजमी कई भाषाएं जानते हैं और वे पहले भी किताबें लिख चुके हैं.  

इस पुस्तक को लिखने में अथक मेहनत की गई है, यह इसकी संदर्भ सूची से ही जाहिर हो जाता है. यह पुस्तक हिंदी के लिए एक विश्वसनीय दस्तावेज भी है. बेगम हजरत महल से लेकर बिस्मिल्ला खां तक के आजादी में योगदान को हिंदी में जानने का यह एक अच्छा माध्यम है. बाबू कुंवर सिंह की दास्तां से शुरू दास्तानों का समापन स्वामी दयाल पर होता है. स्वामी दयाल को पांच पैसे की लूट के जुर्म में 24 साल की सजा हुई थी, जो बाद में घटाकर 10 साल भी की गई. ऐसी दिलचस्प दास्तानों का संग्रह है माटी के महायोद्धा.

 

माटी के महायोद्धा 

लेखक- आसिफ आजमी 

कीमत-995 रु. 

प्रकाशक : विजया बुक्स 

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