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Homeवेब एक्सक्लूसिवफोटो गैलरीसाक्षी मलिक से शाहीनबाग तक, जब जूते बने विरोध का प्रतीक, देखें तस्वीरें

साक्षी मलिक से शाहीनबाग तक, जब जूते बने विरोध का प्रतीक, देखें तस्वीरें

साक्षी मलिक ने पहलवानी छोड़ते वक्त अपने जूते टेबल पर रख दिए. इस तस्वीर की खूब चर्चा हुई. दुनिया भर में ऐसे कई मौके देखने को मिले हैं जब जूतों को विरोध-प्रदर्शन के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया गया

साक्षी मलिक से शाहीनबाग की प्रदर्शनकारियों तक, जब जूते बने विरोध के प्रतीक, देखें तस्वीरें
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"लड़ाई लड़ी, पूरे दिल से लड़ी लेकिन प्रेसिडेंट बृजभूषण जैसा ही आदमी रहता है, जो उसका सहयोगी है वो फेडरेशन में रहेगा तो मैं अपनी कुश्ती को त्यागती हूं. आज के बाद मैं वहां नहीं दिखूंगी." यह कहते हुए पहलवान साक्षी मलिक ने अपने जूते उसी बेंच पर रख दिए जहां मीडिया चैनलों के माइक रखे हुए थे. सोशल मीडिया पर रोती-बिलखती साक्षी की यह तस्वीर शेयर होने लगी. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कुश्ती छोड़ने का ऐलान और फिर जूते रख देने की यह तस्वीर भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के विरोध की प्रतीक बन गई.

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2020 में कोरोना वायरस पूरी दुनिया को हलकान किए हुए था. असर भारत तक पहुंचा. इससे निपटने के लिए भारत सरकार ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का ऐलान किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपील की थी कि सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक घर से बाहर ना निकले. दिल्ली के शाहीनबाग में इस दौरान एनआरसी-सीएए (NRC-CAA) के विरोध में धरना-प्रदर्शन चल रहा था. यहां हजारों की संख्या में महिलाएं जुटी हुई थीं. जनता कर्फ्यू की वजह से ज्यादातर महिलाएं अपने घर लौटीं लेकिन अपने जूते-चप्पल छोड़ गईं. प्रतीकात्मक प्रदर्शन के लिए महिलाओं ने अपने बैठने की जगह पर जूते रख दिए.

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इजरायल और फिलिस्तीन के बीच युद्ध जारी है. इजरायल की सेना ने गजा पर रॉकेटों से हमला कर पूरे इलाके को खंडहर में तब्दील कर दिया है. इन हमलों में बच्चों से लेकर बड़ों तक ने अपनी जान गंवाई है. 25 दिसंबर को नीदरलैंड के रोटरडम सिटी में फिलिस्तीनी बच्चों के लिए वहां के लोगों ने प्रदर्शन किया. नीदरलैंड के नागरिकों ने 8 हजार जूते रखकर प्रदर्शन किए. इस दावे के साथ कि इजरायली सेना के हमले में फिलिस्तीन के 8 हजार बच्चों की मौत हुई है.

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इजरायल में लोगों ने महिला हिंसा के विरोध में अनोखा आंदोलन शुरू किया. 7 दिसंबर, 2018 को महिलाएं और लड़कियां राजधानी येरुशलम के हबिमा चौक पर एकजुट हुईं. चौक पर जूतियां रखकर महिलाओं के खिलाफ हिंसा के विरोध में प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शनकारियों ने कहा था कि ये जूते घरेलू हिंसा के विरोध में रखे गए हैं. इसके बाद देश के अलग-अलग इलाकों में जूते को विरोध के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया गया.

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पेरिस में COP21 की बैठक हुई थी 2015 में. ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ बैठक में कुछ ठोस निर्णय नहीं लिए जाने का आरोप लगाकर एक क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रुप ने प्रोटेस्ट शुरू कर दिया. प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच खींचतान हुई. पुलिस ने फायरिंग भी की. पुलिस ने प्रदर्शन पर रोक लगा दी. अंत में प्रदर्शनकारियों ने इसके विरोध में अपने जूते रख दिए. क्लाइमेट चेंज को लेकर होने वाले इस प्रोटेस्ट का जब यह रंग सामने आया तो खूब सुर्खियां बनीं.

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