देश के हवाई अड्डों से आ रही ये तस्वीरें बता रही हैं कि हालात बेहद बुरे हैं!
इंडिगो एयरलाइन की सैकड़ों की संख्या में रद्द हो रही उड़ानों की वजह से देश के हवाई अड्डों पर हड़कंप मचा हुआ है, देखें तस्वीरें

इंडिगो का संकट लगातार गहराता जा रहा है. 25 नवंबर से 5 दिसंबर तक कंपनी ने कुल 1800 से ज्यादा घरेलू उड़ानें रद्द कर दीं. दिल्ली एयरपोर्ट पर 4-5 दिसंबर को एक दिन में 240 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसल हुईं, मुंबई में 180, बेंगलुरु में 140 और हैदराबाद में 90 से ज्यादा उड़ानें प्रभावित हुईं. सोशल मीडिया पर हैशटैग #IndiGoCrisis और #IndiGoMeltdown ट्रेंड करने लगे.
इंडिगो ने अचानक सैकड़ों फ्लाइट्स कैंसिल कर दीं और पूरा एयरपोर्ट सामान का गोदाम बन गया है. लोग रात के 12-12 बजने के बाद भी काउंटर के आगे खड़े हैं, कोई बोर्डिंग पास हाथ में लिए रो रहा है तो कोई स्टाफ को गाली दे रहा है. छोटे-छोटे बच्चे फर्श पर सो रहे हैं, और लोग लिख रहे हैं कि अब कभी इंडिगो से टिकट नहीं लेंगे.
इंडिगो क्राइसिस में दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट सबसे ज़्यादा बुरे हाल में हैं, सुबह 6 बजे की फ्लाइट वाले शाम 6 बजे तक भी फंसे हैं. कोई शादी में जा रहा था कोई इंटरव्यू में, सब प्लान चौपट. लोग अब बस अड्डा और रेलवे स्टेशन की तरफ भाग रहे हैं, जनरल टिकट लेकर भी जाने को तैयार हैं बस इंडिगो से पीछा छुड़ाना है.
इंडिगो क्राइसिस में सबसे ज़्यादा मार बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ी है. कहीं दूध की बोतल खत्म हो गई है तो कहीं डायपर खत्म हैं. किसी को कोई दवाई लेनी थी वो भी नहीं मिल रही. सोशल मीडिया ऐसे शिकायती वीडियोज़ से भरा हुआ है. मां-बाप बच्चे को गोद में लिए घूम रहे हैं, एयरपोर्ट पर खाने के स्टॉल पर भगदड़ जैसे हालात बने हुए हैं. अब लोग बाहर रोड पर ढाबे ढूंढ रहे हैं पर टैक्सी तक के लिए मारामारी मची हुई है.
टर्मिनल का फर्श अब सूटकेसों का कब्रिस्तान बन चुका है, महंगे-महंगे ट्रॉली बैग इधर-उधर पड़े हैं. कोई मालिक ढूंढने वाला नहीं, ऊपर से बार-बार अनाउंसमेंट हो रहा है कि अगली फ्लाइट भी कैंसिल हो गई है. जिनके बैग्स चेक इन हो चुके हैं वो आगे नहीं जा पा रहे. एयरपोर्ट के इस सेक्शन में भी बैग्स का अंबार लगा हुआ है. ना स्टाफ कुछ बता पा रहा है और ना यात्री कुछ समझ पा रहे हैं.
डिपार्चर बोर्ड पर एक के बाद एक फ्लाइट का नाम लाल हो रहा है, नीचे बैठे लोग बस ऊपर देखकर सिर पकड़ ले रहे हैं. लोगों को समझ में नहीं आ रहा कि महज कुछ घंटों पहले ठीकठाक लग्जरी का प्रतीक हवाई यात्रा अचानक जीवन की इतनी बड़ी त्रासदी कैसे बन गई. सुरक्षा के लिहाज से अकेले यात्रा कर रहीं महिलाएं और टीनएजर्स बैठे इंतजार कर रहे हैं कि कोई ना कोई तो फ्लाईट उनको घर पहुंचा ही देगी.
एयरपोर्ट पर लगातार आवाजाही के लिए बनाए गए सुरक्षा तंत्र पर भारी दबाव आ गया है. हाई सिक्योरिटी ज़ोन होने की वजह से सुरक्षा से किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता. लेकिन एयरपोर्ट्स की सुरक्षा के लिए तय फ़ोर्स इन हालातों के लिए बिल्कुल तैयार नहीं दिखाई दे रही है. सुरक्षा बलों को भी नहीं मालूम कि कब तक उन्हें यात्रियों और सामान के इस अंबार को सुरक्षित रखने के दबाव में रहना पड़ेगा.
पूरा एयरपोर्ट अब जंग का मैदान लग रहा है. हर तरफ बिखरा हुआ सामान, चीखते-चिल्लाते लोग, रोते बच्चे और ऊपर से बार-बार वही अनाउंसमेंट - "हम असुविधा के लिए खेद प्रकट करते हैं", लेकिन अब किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा. एयरलाइन के पास इतना स्टाफ नहीं है कि सबही यात्रियों के सवालों का जवाब दे सके इसलिए बोर्डिंग काउंटर पर भी लगातार भीड़ का दबाव है.