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Homeवेब एक्सक्लूसिवफोटो गैलरीआदिशंकराचार्य से गांधी और रामलला की मूर्ति तक, अरुण योगीराज ने और कौन-सी चर्चित मूर्तियां बनाई हैं?

आदिशंकराचार्य से गांधी और रामलला की मूर्ति तक, अरुण योगीराज ने और कौन-सी चर्चित मूर्तियां बनाई हैं?

22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी. राम मंदिर के गर्भगृह में मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई रामलला की मूर्ति स्थापित की जाएगी. अरुण योगीराज ने इससे पहले महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस से लेकर सुश्रुत तक की मूर्तियां बनाई हैं. वे अब तक गणेश, गरुड़ समेत कुल 1000 हज़ार मूर्तियां चुके हैं

आदिशंकराचार्य से गांधी तक... रामलला की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज ने और क्या-क्या बनाया?
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अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही है. इस बीच मंदिर के गर्भगृह में रखे जाने राम के बाल स्वरूप यानी रामलला की मूर्ति चर्चा में है. कर्नाटक के मैसुरु (मैसूर) से आने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज की बनाई हुई मूर्ति का चयन हुआ है. तीन मूर्तियों में इसे चुना गया है. अरुण योगीराज ने रामलला की श्याम मूर्ति बनाई है, जिसकी ऊंचाई 51 इंच है. पांच वर्ष के रामलला के साथ लक्ष्मण, सीता और हनुमान की भी मूर्ति है

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अरुण के पिता योगीराज भी मूर्तिकार थे. उनके परिवार की पिछली पांच पीढ़ियों ने इस कला में खुद को खपाया है. 38 साल के अरुण के पास MBA की डिग्री है. एक साल प्राइवेट नौकरी करने के बाद उन्होंने दोबारा अपने पुश्तैनी काम को ही चुना. 2021 में केदारनाथ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदि शंकराचार्य की आदमकद मूर्ति का अनावरण किया था. इस 12 फीट ऊंची और काले ग्रेनाइट पत्थर से बनी मूर्ति का निर्माण अरुण योगीराज ने ही किया था.

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2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया गेट के सामने सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण किया था. अखंड ग्रेनाइट पत्थर को तराश कर 65 मीट्रिक टन वजन और 28 फीट ऊंची इस मूर्ति को अरुण योगीराज ने अपनी टीम के साथ मिलकर आकार दिया था. पत्थर को मूर्तियों को शक्ल देने का काम भले उनका परिवार 200 वर्षों से ज्यादा वक्त से करता आ रहा हो, लेकिन अरुण का हाथ इस हुनर में यूं ही रवां नहीं हुआ. 11 साल की उम्र से ही वो अपने पिता के साथ इसकी ट्रेनिंग ले रहे थे.

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कर्नाटक के मैसूर में 2018 में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने श्रीरामकृष्ण परमहंस की मूर्ति का अनावरण किया. 36 टन सफेद मार्बल से इस मूर्ति को अरुण योगीराज और उनकी टीम ने ही मिलकर बनाया था. अपनी प्राइवेट नौकरी छोड़कर अरुण 2008 में मूर्तियां बनाने के लिए घर लौटे. पिता ने उनके फैसले का समर्थन किया, लेकिन मां नाराज़ थीं. 2014 में जब अरुण को साउथ इंडिया यंग टैलेंट का अवॉर्ड मिला तब उनकी मां भी उनके इस फैसले में शामिल हो गईं.

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अरुण के दादा बी. बसावन्ना शिल्पी मैसूर के राजा के ख़ास माने जाते थे. बसावन्ना को मैसूर महल के राजगुरु शिल्पी सिद्दांथी सिद्दालिंगा स्वामी ने ट्रेनिंग दी थी. बसावन्ना ने एक साल में 64 मूर्तियां मैसूर महल में स्थित गायत्री मंदिर के लिए बनाई थीं. अरुण ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक तस्वीर साझा की है जिसमें वे महात्मा गांधी की एक मूर्ति बनाते दिख रहे हैं. इस मूर्ति में गांधी अपने मूल व्यक्तित्व की ही तरह शांत, सौम्य और चिंतन के भाव में दिख रहे हैं.

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एक और तस्वीर अरुण योगीराज ने अपने ट्विटर अकाउंट से शेयर की है. जिसमें वे सुश्रुत की विशाल मूर्ति गढ़ते हुए दिख रहे हैं. इस तस्वीर के साथ उन्होंने लिखा है, "एक भारतीय चिकित्सक और सर्जन जिसने सुश्रुत संहिता लिखी, जिसमें 184 अध्याय हैं. इसमें उन्होंने 1120 बीमारियों, 700 औषधीय पौधों और 64 खनिजों को तैयार करने के बारे में बताया है. उन्होंने चीरा लगाने जैसे करीब 300 ऑपरेशन भी किए."

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