बिहार म्यूजियम में सजी जी-20 देशों के कलाकारों की कलाकृतियां, देखें तस्वीरें
पटना का बिहार म्यूजियम इन दिनों म्यूजियम बिनाले आयोजित कर रहा है. इस मौके पर बिहार म्यूजियम जी-20 के बीस सदस्य देशों और नौ अतिथि देशों के कलाकारों की कृतियां ‘टुगेदर वी आर्ट’ के नाम से प्रदर्शित कर रहा है. इसके साथ-साथ म्यूजियम के अस्थाई संग्रहालय में 20 प्रसिद्ध भारतीय कलाकारों की कृतियां भी प्रदर्शित हो रही हैं. साथ ही नेपाल की कृतियां अलग से “नेपाल- जहां भगवान बसते हैं” के नाम से प्रदर्शित हैं. इस बार म्यूजियम बिनाले में बिहार म्यूजियम ने एक अनूठा प्रयोग किया है. यहां महत्वपूर्ण कृतियों के साथ कुछ कलाकारों को भी मॉडल बनाकर रखा जा रहा है ताकि कृतियों की जीवंतता का अनुभव हो. ये मॉडल कलाकार पटना के बच्चों की संस्था किलकारी के हैं (सभी फोटो : पुष्यमित्र)

(बाएं) तांबे और मिश्र धातु से बनी पार्वती की इस प्रतिमा का निर्माण नेपाल के कलाकार दीपेंद्र बीर शाक्य ने किया है. वे शक्ति और संतुलन के अवतार की प्रतीक हैं.
(दाएं) भैरव प्रतिमा नाम की इस कृति का निर्माण नेपाल के कलाकार सूरज शाक्य ने किया है. भगवान शिव के शक्तिशाली रूप भैरव की इस प्रतिमा का निर्माण उन्होंने अर्ध मूल्यवान पत्थर की जड़ाई, सोने की सजावट और तांबे के इस्तेमाल से किया है.
(बाएं) श्वेत तारा नाम की यह कलाकृति नेपाल के कलाकार नवीन शाक्य की है. तांबे की बनी इस कृति पर सोने का पानी चढ़ाया गया है. इसमें उन्होंने श्वेत तारा को युवा एवं अत्यंत सुंदर महिला के रूप में चित्रित किया है.
(बीच में) नेपाल के कलाकार ईशान परियार ने यह अवलोकितेश्वर का अनूठा चित्र बनाया है. हिमालयी क्षेत्र में सबसे प्रसिद्ध बौद्ध देव अवलोकितेश्वर के इस चित्र के ग्यारह सिर, हजार भुजाएं और हजार आंखें हैं.
(दाएं) भारतीय कलाकार संजय कुमार की इस कृति का नाम है शांति की प्रतिमा. यह आकृति मानवता के विरुद्ध मानसिक बुराइयों और अत्याचारों का आत्मसमर्पण है.
(बाएं) मॉरिशस के कलाकार धर्मदेव निर्मल हरि ने यह कृति तैयार की है. इसका नाम है, जीवन उर्जा के मूल नियम. इसमें उन्होंने प्राकृतिक और मानव निर्मित वस्तुओं का संयोजन किया है.
(बीच में) चीन के कलाकार वू वेशान ने शांति और अहिंसा के उत्कृष्ट व्यक्तित्व गांधी की यह प्रतिमा बनाई है. इसके लिए उन्होंने चीनी शीयी मूर्तिकला तकनीक का इस्तेमाल किया है.
(दाएं) भारत की कलाकार आयशा सेठ सेन की इस कृति का नाम है ‘वसुधैव कुटुंबकम’. यह इमर्सिव आर्ट इंस्टॉलेशन उनके वैश्विक जुड़ाव के व्यक्तिगत दर्शन का प्रतीक है.
(बाएं) म्यूजियम की प्रागैतिहासिक दीर्घा में खड़ा यह युवक आदि मानव बना हुआ है.
(बीच में) यह भारतीय कलाकार सनातन डिंडा की कृति बोधिवृक्ष है. इसे उन्होंने ई-कचरे से तैयार किया है. इसका मकसद लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना है.
(दाएं) इकोनारियो नामक यह कृति एक रोबोटिक पौधा है, जो नाजुक बीज की तरह चलता है. इसका निर्माण युनाइटेड किंगडम के कलाकार थिज्स बियरस्टेकर ने किया है.