भोपाल में जब जहरीली हवा ने लील ली थी हजारों जिंदगियां, तस्वीरों के जरिए देखें तबाही का मंजर
6 दिसंबर को यूसीसी यानी यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष वॉरेन एंडरसन भारत पहुंचे. लेकिन एंडरसन को बिल्कुल अंदेशा नहीं था कि मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने उनके लिए कुछ अलग प्लान कर रखा था

साल 1984 की 2 दिसंबर की रात भोपाल के लिए काल बन कर आई थी. शहर में ही स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से करीब 40 टन जहरीली गैस का रिसाव हुआ और महज कुछ ही घंटों के भीतर इसने हजारों जिंदगियां लील लीं. इस गैस का नाम था – मिथाइल आइसोसाइनेट या एमआईसी. स्वभाव में विषैली और बेहद ज्वलनशील. पानी के साथ मिल जाए तो तबाही का रास्ता ढूंढ़ने लगती है. उस रात फैक्ट्री में भी यही हुआ.
प्लांट ‘सी’ के टैंक नंबर 610 में यह जहरीली गैस पानी के साथ मिली. इस रासायनिक प्रक्रिया से टैंक में जबर्दस्त दबाव पैदा हुआ. टैंक खुल गया. गैस रिसने लगी. देखते ही देखते पूरा भोपाल गैस चैंबर में तब्दील हो चुका था. शहर में अफरा-तफरी मच चुकी थी. आंखों में जलन और सांस की तकलीफ से लोग बदहवास होकर नीचे गिर रहे थे. पर सबसे ज्यादा मार झेली फैक्ट्री के नजदीक रह रहे लोगों ने. यह उन लोगों की बस्ती थी जो दूर-दराज से कमाने-खाने के लिए वहां इकट्ठा हुए थे. लेकिन शायद जिन्हें नहीं पता था कि वे बारूद के ढेर पर खड़े हैं.
शहर भी बचा नहीं रह गया था. उस समय भोपाल की करीब साढ़े आठ लाख की आबादी में 5 लाख से भी अधिक लोग इस गैस की जद में आए. यानी कुल आबादी के दो-तिहाई से भी अधिक. सरकारी आंकड़ों ने मौत की संख्या 5800 के करीब जाहिर किया. जबकि गैर-सरकारी स्रोतों के मुताबिक यह आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा था. विश्व के सबसे त्रासद औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक इस घटना में लगभग 15 हजार से भी अधिक जानें गईं.
2 दिसंबर की अगली सुबह बीती रात की तबाही का संकेत दे रही थी. सड़कें, चौक-चौराहे, गली-मुहल्ले लाशों से अटे पड़े थे. मनुष्यों के साथ-साथ जानवर भी इस जानलेवा गैस का शिकार हुए थे. पेड़-पौधों भी इसकी मार से अछूते न रहे. गैस से पीड़ित लोग अचेत अवस्था में जब अस्पतालों की ओर भागे तो डॉक्टरों को भी नहीं पता था कि इस गैस के असर से कैसे मुकाबला किया जाए. ऊपर से अस्पतालों की कमी ने इस समस्या को और भी भयानक बना दिया था. अस्पतालों में लोगों के लिए जगह नहीं थी. बावजूद इसके पहले दो दिनों में करीब 50 हजार लोगों का इलाज किया गया.
घटना के तीन दिन बाद 6 दिसंबर को यूसीसी यानी यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष वॉरेन एंडरसन भारत पहुंचे. लेकिन एंडरसन को बिल्कुल अंदेशा नहीं था कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने उनके लिए कुछ अलग प्लान कर रखा था. भोपाल पहुंचते ही एंडरसन गिरफ्तार कर लिए गए लेकिन ज्यादा देर के लिए नहीं. महज 24 घंटे के भीतर एंडरसन वापस अमेरिका के लिए उड़ान भर रहे थे. ऐसा क्यों और कैसे हुआ इस बात पर अभी भी धुंध कायम है, लेकिन यह साफ है कि भोपाल गैस त्रासदी ने मासूमों सहित कई जिंदगियों को बर्बाद कर दिया.