तस्वीरों में देखें, 2004 की सूनामी की वह आपदा जिसके बाद सरकार को बनाना पड़ा था नया कानून
तस्वीरों में देखिए कि उस विभीषिका का भारतीयों पर क्या असर हुआ. दिल चीर देने वाली ये तस्वीरें 2005 के इंडिया टुडे के जनवरी के अंक में छपी थीं

26 दिसंबर, 2004 दक्षिण भारतीय तटों के पास रहने वाले लोगों के लिए अपशकुनी इतवार बनकर आया था. क्रिसमस मनाकर अगले दिन लोग बीच पर थे, तभी उन्होंने देखा की कई फुट ऊंची समुद्र की लहरें तटों की तरफ बढ़ रही हैं. किसी को इसका पूर्वानुमान नहीं था और जब तक कोई संभल पाता तब तक तो इसने कइयों को लील लिया था. इस सुनामी का कारण था इंडोनेशिया का भूकंप जो रिक्टर स्केल पर 9.1 की तीव्रता का इशारा कर रहा था. इतनी तीव्रता वाला ये भूकंप अभी तक के सबसे भयानक भूकंपों की सूची में शामिल है. इसी भूकंप की वजह से भारतीय महासागर में सूनामी उठी जिसने इंडोनेशिया के अलावा दक्षिण एशिया के कई तटों को तबाह किया जिनमें तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के तट भी शामिल थे.
इसी बीच तस्वीरों में देखिए कि उस विभीषिका का भारतीयों पर क्या असर हुआ. दिल चीर देने वाली ये तस्वीरें 2005 के इंडिया टुडे के जनवरी के अंक में छपी थीं.
एक साथ दफन की गई थीं कई लाशें
ऊपर दी गई तस्वीर में दिखाए गए इस तटवर्ती कस्बे में हादसे के अगले दिन तक 347 लाशें तलाशी जा चुकी थीं जबकि 50 का अभी कोई पता न था. मृतकों का अंतिम संस्कार इतना कठिन था कि कइयों को एक साथ ही दफन करना पड़ा.
शवों को इकठ्ठा कर होने लगे सामूहिक अंतिम संस्कार
जब चारों ओर इंसानों की लाशें बिखरी पड़ी थीं, तब स्वयंसेवी संगठनों और जवानों ने मोर्चा संभाला. वे शवों को इकट्ठा करके अंतिम संस्कार के काम में जुटे, ताकि महामारी फैलने से रोकी जा सके. सूनामी का तांडव शांत होने के तुरंत बाद हरकत में आए भारतीय तटरक्षक बल ने चेन्नई के समुद्र तट से बड़ी संख्या में लोगों को निकाला. इसके बावजूद कइयों को बचाया नहीं जा सका.
सूनामी को लेकर प्री-प्लानिंग जरूरी
प्रलय का पर्याय मानी जाने वाली सूनामी की इन लहरों को रोक पाना मुमकिन नहीं, पर उनका असर कम किया जा सकता है. इस खतरे के प्रति उपेक्षा भाव के चलते ही भारी जनहानि की नौबत बनी. इस आपदा के बाद ही भारत सरकार ने डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट, 2005 आनन-फानन में पारित किया. इसके बाद भारत सरकार ने जो तैयारियां की उसी की बदौलत आज इंडिया की डिजास्टर मैनेजमेंट प्लानिंग एशिया के टॉप 5 देशों में शामिल है. इसमें भारत के अलावा चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर हैं.