एआई के दौर में बिहार बन सकता है आईटी हब! क्या इसकी शुरुआत हो चुकी है?

बिहार में पिछले हफ्ते एक एआई कंपनी ने अपना काम शुरू किया है और कुछ और कंपनियां काम शुरू करने की योजना बना रही हैं

पटना में एआई कंपनी टाइगर एनालिटिक्स का ऑफिस खुलने के मौके कंपनी के सीईओ महेश कुमार और राज्य के उद्योग मंत्री समीर महासेठ के साथ उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और डेटा एनालिटिक्स के क्षेत्र में दुनिया के दस से अधिक मुल्कों में काम करने वाली आईटी कंपनी टाइगर एनालिटिक्स ने पिछले हफ्ते जब बिहार की राजधानी पटना में अपने नये दफ्तर की शुरुआत की, तो हर किसी की जुबां पर यह सवाल था, बिहार क्यों?

भारत के सबसे पिछड़े राज्य बिहार में सरकार पिछले 18 साल से औद्योगिक विकास के लिए कोशिशें कर रही हैं, मगर कोई बड़ी कंपनी यहां आने को तैयार नहीं है. ऐसे में एक आईटी कंपनी का यहां दफ्तर खुलना हर किसी के लिए हैरत की बात थी. हैरत की बात सिर्फ इतनी सी नहीं थी.

दो दिन पहले यानी 13-14 दिसंबर को इसी पटना में उद्योग विभाग द्वारा आयोजित ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट - बिहार बिजनेस कनेक्ट-2023 में पांच बड़ी आईटी कंपनियों के बड़े अधिकारी जुटे थे और वे बिहार में आईटी बिजनेस की संभावनाओं पर विचार कर रहे थे. इनमें एक्सेंचर के ग्लोबल एआई हेड प्रशांत थे, एएमडी प्रोसेसर के सीआईओ हसमुख रंजन थे, न्यूटॉनिक्स के एक्स सीईओ और सबसे बड़े शेयर होल्डर धीरज पांडे थे, रूब्रिक एशिया के बीपी अभिलाष पुरुषोत्तम थे और टाइगर एनालिटिक्स के सीईओ महेश कुमार तो थे ही. 

उनमें से कम से कम तीन ने यहां अपनी कंपनी की शुरुआत की मंशा जताई. उस रोज भारती एयरटेल, माइक्रोमैक्स और इमेजिन इंफ्रा ने बिहार सरकार के उद्योग विभाग के साथ एमओयू साइन किया. इस समिट में कुल आठ कंपनियों ने बिहार सरकार के साथ अपना कारोबार शुरू करने का एमओयू किया और निवेश की कुल राशि 717.55 करोड़ रही. 

समिट के आईटी वाले सत्र में वक्ताओं ने कहा कि बिहार के सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल बड़ी संख्या में देश और दुनिया की आईटी कंपनियों में काम करते हैं. अगर उन्हें बिहार में काम मिले तो वे थोड़े कम पैसे में भी यहां रहकर काम करना चाहेंगे. टैलेंटेड और अपेक्षाकृत सस्ते प्रोफेशनल ही बिहार की यूएसपी हैं. इन्हीं की वजह से आने वाले समय में बिहार आईटी सेक्टर में एक रीजनल हब बन सकता है.

पटना में 13-14 दिसंबर को आयोजित बिहार बिजनेस कनेक्ट में आईटी के सेशन में कई बड़ी कंपनियों के शीर्ष अधिकारी मौजूद रहे

बिहार के उद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव संदीप पौंड्रिक कहते हैं, "हम लगातार बिहार में ऐसा माहौल बना रहे हैं, जिससे आईटी कंपनियों के लिए यहां काम करना सुविधाजनक हो. इसके लिए हमने पटना में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क बनाया है और ऐसे पार्क आने वाले दिनों भागलपुर और दरभंगा में भी बनाए जाने वाले हैं. इसके अलावा पटना में एक प्राइवेट सॉफ्टवेयर पार्क भी खुला है. हमने अपने इंडस्ट्रियल एरिया में भी बड़े पैमाने पर प्लग एंड प्ले लोकेशन तैयार किए हैं, जिससे कंपनियां यहां सीधे काम शुरू कर सकती हैं. मुजफ्फरपुर में सुरेश चिप्स ने तो अपना काम शुरू भी कर दिया है.”

विज्ञान एवं तकनीकी विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह कहते हैं, “राज्य में हर जिले में सरकार ने इंजीनियरिंग कॉलेज खोले हैं और हम सॉफ्टवेयर कंपनियों को लगातार कुशल कर्मी उपलब्ध करा सकते हैं. राज्य की आईटी पॉलिसी भी जल्द आने जा रही है.” टाइगर एनालिटिक्स ने अभी पटना में सौ कर्मचारियों वाला अपना दफ्तर शुरू किया है. महेश कहते हैं, “आऩे वाले दिनों में हम इस संख्या को पांच हजार करने के बारे में सोच रहे हैं.” महेश का बिहार में काम शुरू करने का अनुभव शानदार रहा. वे बताते हैं, “सिर्फ तीन महीने पहले हमने सोचा था कि हम पटना में अपना दफ्तर खोलेंगे और तीन महीने में हमारा दफ्तर काम करने लगा. हमें राज्य सरकार के कई विभागों ने अपना काम दिया है. दुनिया के किसी भी देश में हमें अपना दफ्तर शुरू करने में छह माह से कम वक्त नहीं लगा था. यह पॉजिटिव बात हमें बिहार में अपना काम बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रही है.”

एक्सेंचर के प्रशांत कुमार कहते हैं, “यहां से मैं जैसा उत्साहजनक माहौल देखकर लौट रहा हूं, उसका फीडबैक मैं अपनी कंपनी की बोर्ड मीटिंग में दूंगा. और मुझे उम्मीद है कि हम कभी भी दस हजार लोगों के साथ बिहार में अपना काम शुरू कर देंगे.”

प्रशांत कहते हैं, “अभी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जो दौर शुरू हुआ है, उसमें आईटी कंपनियों के पास बड़े पैमाने पर बैक ऑफिस का काम होगा. उसके लिए हमें कुशल और थोड़े सस्ते लेबर चाहिए. ऐसे में इस नये दौर में बिहार के लिए संभावनाएं निश्चित तौर पर हैं. बिहार इस बार थोड़ा तैयार लग रहा है. थोड़ी तैयारी और कर ले तो यह दौर बिहार का हो सकता है.”

पटना के सामने सीखने के लिए बेंगलुरू और हैदराबाद के उदाहरण हैं. बेंगलुरू में 1984 के कंप्यूटर युग की शुरुआत में ही इंफोसिस और विप्रो जैसी कंपनियां खुली थीं तो हैदराबाद में 1998 के आसपास चंद्रबाबू नायडू ने सॉफ्टवेयर कंपनियों के लिए अच्छी सुविधाएं उपलब्ध करायीं. दोनों शहरों ने देश की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित किया, रिसर्च पर जोर दिया और कंपनियों के लिए अच्छा माहौल उपलब्ध कराया. बिहार हालांकि बहुत शुरुआती दौर में है. आईटी रिवॉल्यूशऩ के कई दौर में पिछड़ने के बाद एआई के दौर में राज्य शुरुआत करता नजर आ रहा है.

इसकी सबसे बड़ी उम्मीद अपने राज्य के प्रतिभाशाली आईटी प्रोफेशनल्स से है. जो पांच बड़ी आईटी कंपनियां इनवेस्टर समिट में पटना आयीं और अपना काम शुरू करने का मन बना रही हैं. उनके ओनर या शीर्ष अधिकारी बिहार के हैं. टाइगर एनालिटिक्स के सीईओ मूलतः नौगछिया के रहने वाले हैं. रूब्रिक्स के ओऩर विपुल सिन्हा मधेपुरा के. न्यूटॉनिक्स के एक्स सीओ और सबसे बड़े शेयर होल्डर धीरज पांडे पटना के. इसके अलावा सीएमडी प्रोसेसर के सीआईओ हसमुख रंजन पटना के और एक्सेंचर के एआई हेड प्रशांत सहरसा के रहने वाले हैं.

इन सभी लोगों को हसमुख रंजन ने एकजुट किया है और वे इस कोशिश में हैं कि बिहार में आईटी कंपनियां अपना काम शुरू कर सकें. उनकी कोशिशें थोड़ी रंग लाती तो नजर आ रही हैं.

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