पांच सरकारें, दर्जनों तारीखें... राजस्थान रिफाइनरी आखिर 20 साल बाद भी शुरू क्यों नहीं हो पाईॽ
राजस्थान की भजनलाल सरकार ने घोषणा की थी कि जनवरी, 2026 में राजस्थान रिफाइनरी शुरू हो जाएगी लेकिन अब इसकी तारीख एक बार फिर बढ़ाकर मार्च, 2026 कर दी गई है

राजस्थान में जब 2005 में रिफाइनरी बनाने की घोषणा हुई तो यह पूरे राज्य के लिए मानों बरसों पुराना सपना हकीकत में बदलने की मुनादी थी, लेकिन आज 20 साल बाद ऐसा लगता है कि यह सपना कुछ ज्यादा ही लंबा खिंच गया.
दरअसल पहले बाड़मेर जिले (अब बालोतरा) में बनने वाली राजस्थान रिफाइनरी परियोजना का पूरा होना इस दौरान राजनीति और प्रशासन के 'तारीख पर तारीख' के खेल में उलझ गया है. 2005 से लेकर अब तक प्रदेश में पांच सरकारें आ चुकी हैं और हर सरकार ने अपनी सहूलियत के अनुसार नई तारीखें और नई घोषणाओं का ऐलान किया लेकिन धरातल पर काम अपनी तय रफ़्तार नहीं पकड़ सका. अब भजनलाल सरकार ने रिफाइनरी का काम पूरा होने की नई तारीख जनवरी 2026 से बढ़ाकर मार्च 2026 तय की है जिसे लेकर सियासी हलको में कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिली है.
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का इस पर कहना है,''भले ही सरकार ने नई तारीख तय कर दी हो मगर अभी भी यह सवाल बना हुआ है कि रिफाइनरी में उत्पादन कब शुरू होगाॽ'' इसके जवाब में BJP के वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ ने जवाब दिया, “आप हर बार की तरह पचपदरा रिफाइनरी पर राजनीति तो खूब कर रहे हैं लेकिन सच यह है कि देरी और अव्यवस्था की असली नींव आपकी ही सरकार ने रखी थी... आपकी सरकार के समय रिटेण्डरिंग, बार-बार निर्णय बदलना और बाहर से आने वाले उपकरणों की समय पर व्यवस्था न कर पाना इन्हीं कारणों से परियोजना वर्षों पीछे चली गई... ”
राठौड़ का आरोप कुछ हद तो सही ही है. अशोक गहलोत के कार्यकाल में भी रिफाइनरी का काम पूरा होने की तारीखें बदलती रही हैं. वर्ष 2013 में जब गहलोत सरकार ने यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के हाथों से रिफाइनरी का शिलान्यास करवाया तब इसके पूरा होने की तारीख दिसंबर 2017 निर्धारित की गई थी मगर तब तक 10 फीसदी काम भी पूरा नहीं हो सका था. 2013 में तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार के वक्त जो समझौता हुआ उसके तहत राज्य सरकार को रिफाइनरी के लिए हिंदुस्तान पेट्रोलियम लिमिटेड (HPCL) को 15 साल तक हर साल ब्याज मुक्त ऋण के रूप में 3736 करोड़ रुपए देने थे. यह राशि 56 हजार 540 करोड़ रुपए थी और रिफाइनरी में राजस्थान की हिस्सेदारी 26 फीसदी रखी गई थी.
2013 के आखिर में प्रदेश में कांग्रेस सरकार बदल गई और वसुंधरा राजे सिंधिया के नेतृत्व में BJP सरकार बनी. शुरुआती कुछ साल तो वसुंधरा राजे सरकार ने इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाले रखा मगर 2017 में एक नया समझौता हुआ जिसके तहत HPCL के साथ रि-नेगोशिएशन कर सालाना 3736 करोड़ रुपए का ब्याज मुक्त ऋण देने की जगह 1 हजार 123 करोड़ रुपए देने का फैसला किया गया. इस तरह 2017 में दूसरी बार रिफाइनरी के 43 हजार 129 करोड़ रुपए के नए समझौते की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों आधारशिला रखवाई गई.
2018 में राजस्थान में फिर सरकार बदल गई और अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी. इस दौरान गहलोत ने कई बार केंद्र सरकार पर रिफाइनरी का काम अटकाने के आरोप लगाए. फरवरी 2023 में केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पूरी ने बाड़मेर रिफाइनरी का दौरा किया. तब पुरी का कहना था कि परियोजना की 2017 में 43 हजार करोड़ की लागत अब फरवरी 2023 में 72 हजार करोड़ रुपए पहुंच गई है इसके लिए राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार जिम्मेदार है.’’
अब केंद्र और राज्य में डबल इंजन की सरकार है मगर फिर भी तीन बार नई तारीखों का ऐलान हाे चुका है. देखा जाए तो पिछले दो दशक से राजस्थान रिफाइनरी की कहानी ने कई घुमाव लिए हैं. प्रदेश में सरकारें बदलने के साथ ही रिफाइनरी का रुख और तकदीर दोनों बदल रही हैं. साल 2005 में तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में रिफाइनरी का ऐलान हुआ था. तब से लेकर आज तक रिफाइनरी का काम पूरा होने की छह तारीखें घोषित हो चुकी हैं. 2013 के अंत में अशोक गहलोत सरकार ने पहली बार रिफाइनरी की आधारशिला रखी तब दिसंबर 2017 तक रिफाइनरी से उत्पादन शुरू होने का लक्ष्य रखा गया.
अगस्त 2017 में तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार ने रिफाइनरी का काम पूरा होने की जो तारीख निर्धारित की वह दिसंबर 2022 थी. 2022 में तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार के वक्त काम पूरा होने की नई तारीख मार्च 2024 रखी गई. 2023 में राजस्थान में भजनलाल के नेतृत्व में भाजपा सरकार आई तो रिफाइनरी का काम पूरा होने की तारीख अगस्त 2025 तय की गई. बाद में इसे बढ़ाकर जनवरी 2026 और अब मार्च 2026 कर दिया गया है.
सूत्रों का कहना है कि भजनलाल सरकार अपना दो साल का कार्यकाल पूरा होने पर रिफाइनरी के पहले चरण का उद्घाटन करने की योजना बना रही है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा कर चुके हैं. सरकारी सूत्रों के मुताबिक अब सरकार इस प्रोजेक्ट को तीन चरणों में पूरा करेगी.
12 हजार रुपए से बढ़कर 1 लाख करोड़ का हुआ प्रोजेक्ट
2005 में जब राजस्थान रिफाइनरी की पहली बार घोषणा हुई थी तब इसे बाड़मेर जिले के लीलाणा गांव के पास लगाया जाना था मगर जमीनों को लेकर हुई सियासत के कारण प्रोजेक्ट बीच में ही अटक गया. 2005 में रिफाइनरी प्रोजेक्ट की कुल लागत 12 हजार करोड़ आंकी गई थी. वहीं 2008 में राजस्थान में वसुंधरा राजे की सरकार बदलने के साथ ही रिफाइनरी की जगह भी बदल गई.
साल 2013 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अशोक गहलोत सरकार ने बाड़मेर जिले के पचपदरा कस्बे में HPCL के साथ रिफाइनरी प्रोजेक्ट का शिलान्यास कर दिया. पचपदरा अब बाड़मेर की जगह बालोतरा जिले का हिस्सा बन चुका है. उस वक्त 90 लाख टन सालाना क्षमता की रिफाइनरी की लागत 37 हजार 320 करोड़ रूपए आंकी गई. HPCL ने मार्च 2013 में राजस्थान सरकार के साथ इस रिफाइनरी के लिए आपसी सहमति के ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए.
दिसंबर 2013 में प्रदेश की सरकार फिर बदली और रिफाइनरी प्रोजेक्ट काम फिर अधर में लटक गया. राजस्थान की तत्कालीन वसुंधराराजे सरकार ने अशोक गहलोत सरकार व HPCL के बीच हुए अनुबंध पर कई बार सवाल उठाए. 17 अगस्त 2017 को वसुंधराराजे सरकार और HPCL के बीच जो नया समझौता हुआ उसके तहत राज्य सरकार को 15 वर्ष तक प्रतिवर्ष 3 हजार 736 करोड़ रुपए के ब्याज मुक्त ऋण की जगह 1 हजार 123 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष ऋण देना तय हुआ. बताया जा रहा है कि अब इस प्रोजेक्ट की लागत 43 हजार करोड़ रुपए से बढ़कर 1 लाख करोड़ रुपए पहुंच चुकी है.