आजम खान 'पैन कार्ड’ के मामले में कैसे फंस गए कि उन्हें फिर जेल जाना पड़ा?

करीब दो साल हिरासत में रहने के बाद सितंबर में जेल से रिहा किए गए आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को पैन कार्ड जालसाजी मामले में दोषी ठहराया गया है

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आजम खान अपने बेटे अब्दुल्ला आजम के साथ (फाइल फोटो)

रामपुर की एक विशेष सांसद/विधायक अदालत (एमपी/एमएलए कोर्ट) ने पैन कार्ड से जुड़े जालसाजी मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान और उनके बेटे पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम खान को सात साल कैद की सजा सुनाई, जिसके बाद 17 नवंबर को उन्हें फिर से जेल भेज दिया गया. दोषी करार दिए जाते ही दोनों को हिरासत में ले लिया गया था.

यह आदेश आजम खान के सीतापुर जेल से रिहा होने के करीब दो महीने बाद ही आया है. यहां वे कई आपराधिक मामलों के सिलसिले में लगभग दो वर्ष तक हिरासत में रहे थे. सितंबर में आजम खान के रिहा होते ही ये अटकलें लगाई जाने लगी थीं कि अब उनका अगला राजनीतिक कदम क्या होगा और 2027 में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों में वे किस पाले में रहेंगे.

अभियोजन पक्ष के मुताबिक, पैन कार्ड जालसाजी दिसंबर 2019 में तब सामने आई जब आकाश सक्सेना (जो अब BJP विधायक हैं) ने एक FIR दर्ज कराई जिसमें आरोप लगाया गया कि अब्दुल्ला ने अलग-अलग जन्मतिथि वाले दो पैन कार्ड इस्तेमाल किए हैं. जांचकर्ताओं ने कहा कि पहला पैन कार्ड अब्दुल्ला के स्कूल रिकॉर्ड के मुताबिक बना था, जिस पर उनकी जन्मतिथि 1 जनवरी, 1993 लिखी है. इसका इस्तेमाल बैंकिंग और आयकर रिटर्न आदि दाखिल करने में किया गया. एक दूसरे पैन कार्ड पर जन्मतिथि 30 सितंबर, 1990 दर्ज है, जिसे कथित तौर पर 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान इस्तेमाल किया गया ताकि बतौर सपा उम्मीदवार स्वार सीट से चुनाव लड़ने के लिए वो खुद को उम्र के लिहाज से योग्य दिखा सकें.

अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि अब्दुल्ला ने उम्र संबंधी अयोग्यता छिपाने के लिए चुनावी नामांकनपत्र के साथ जमा की गई बैंक पासबुक पर पैन नंबर बदल दिया था. उन्होंने कथित तौर पर यह भी बताया कि नामांकनपत्र में जिस बैंक खाते का हवाला दिया गया, वो उस समय दूसरे पैन से जुड़ा भी नहीं था.

कोर्ट ने पाया कि इस काम को आजम खान के साथ मिलकर अंजाम दिया गया, जिन पर चुनावी लाभ के लिए अपने बेटे को झूठे दस्तावेज पेश करने में मदद करने का आरोप था. कोर्ट ने दोनों को जालसाजी, धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और जाली दस्तावेजों के इस्तेमाल का दोषी करार दिया. अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट शोबित बंसल ने आजम खान और उनके बेटे को सात साल की जेल सुनाई और जुर्माना भी लगाया. उनके वकील ने आजम खान को रामपुर जेल में रखने की मांग की है, जिस पर अदालती फैसला आना अभी बाकी है.

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक संक्षिप्त सोशल मीडिया पोस्ट में इस फैसले पर नाराजगी जताई. अखिलेश ने लिखा, “सत्ता के गुरूर में जो नाइंसाफ़ी और जुल्म की हदें पार कर देते हैं, वो खुद एक दिन कुदरत के फैसले की गिरफ्त में आकर एक बेहद बुरे अंत की ओर जाते हैं. सब, सब देख रहे हैं.”

रामपुर से 10 बार के विधायक बने सपा के दिग्गज नेता आजम खान यूपी के सबसे प्रभावशाली मुस्लिम राजनेताओं में एक रहे हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोट बैंक पर उनकी मजबूत पकड़ रही है. अपने दशकों लंबे राजनीतिक सफर में वे कई बार राज्य के कैबिनेट मंत्री रहे. उन्हें मुस्लिम अधिकारों के मुखर और अक्सर विवादास्पद पैरोकार के तौर पर भी याद किया जाता है.

आजम खान की कानूनी मुश्किलें 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले उनके खिलाफ दर्ज एक भड़काऊ भाषण मामले से शुरू हुई थीं. उत्तर प्रदेश पुलिस के रिकॉर्ड बताते हैं कि 2017 में राज्य में BJP के सत्ता में आने के बाद उनके खिलाफ 81 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए.

17 नवंबर के आदेश तक आजम खान को रामपुर में छह और मुरादाबाद में एक मामले में दोषी ठहराया गया था और कई अन्य मामलों में बरी कर दिया गया था. इनमें कुछ को राज्य सरकार ने उच्च न्यायालयों में चुनौती दी है. नई सजा के साथ, पिता-पुत्र दोनों फिर से जेल में हैं, और आजम खान के राजनीतिक भविष्य को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं.

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