उत्तराखंड : कांवड़ यात्रा के दौरान पुष्कर धामी ने क्यों चलाया ‘ऑपरेशन कालनेमि’?
उत्तराखंड सरकार का दावा है कि सनातन धर्म के नाम पर ठगी करने वाले फर्जी बाबाओं पर एक्शन, लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि हर बार कांवड़ यात्रा में क्यों शुरू होते हैं ऐसे अभियान?

जैसे-जैसे सावन महीने में शिव भक्तों की कांवड़ यात्रा जोर पकड़ रही है, उत्तराखंड सरकार ने पहली बार 'ऑपरेशन कालनेमि' शुरू कर दिया है. इस ऑपरेशन का मकसद उन फर्जी साधु-संतों पर कार्रवाई करना है जो खुद ऐसा वेश बनाकर भोली-भाली जनता के साथ ठगी कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर शुरू हुए इस ऑपरेशन का फोकस देहरादून, हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर जैसे मैदानी जिलों पर है. कुछ ही दिनों में पुलिस ने 220 से ज़्यादा फर्जी बाबाओं को पकड़ा है.
धामी ने खुद सोशल मीडिया पर लिखा कि उन्होंने पुलिस को ऑपरेशन कालनेमि शुरू करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा, “राज्य में कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं जहां कुछ लोग खुद को साधु बताकर खासकर महिलाओं के साथ ठगी कर रहे हैं. इससे लोगों की आस्था को ठेस पहुंच रही है और समाज में गलत संदेश जा रहा है. चाहे वो किसी भी धर्म के हों अगर कोई इस तरह का काम करता पाया गया तो उस पर सख्त कार्रवाई होगी.”
क्यों रखा गया नाम ‘कालनेमि’?
रामायण के कालनेमि राक्षस की कहानी से इस ऑपरेशन का नाम लिया गया है. कहानी के मुताबिक, जब लक्ष्मण घायल हुए तो हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे. रावण ने हनुमान को भटकाने के लिए कालनेमि को भेजा, जिसने साधु का रूप धारण कर उनके रास्ते में एक आश्रम बना लिया. लेकिन हनुमान जी उसकी सच्चाई समझ गए और उसे मार गिराया.
धामी का कहना है कि आज के समय में भी कई लोग इसी तरह फर्जी साधु बनकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं. हमारी सरकार ऐसे पाखंडी लोगों के खिलाफ सख्त है. धर्म के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाने वालों को किसी हाल में बख्शा नहीं जाएगा.
अब तक कहां-कहां हुई कार्रवाई?
पुलिस के मुताबिक, हरिद्वार में अब तक 52 फर्जी बाबा पकड़े जा चुके हैं. ऊधम सिंह नगर में कई लोग खुद को 'पीर फकीर बाबा' बताकर गरीब और मजबूर लोगों को ठग रहे थे, यहां 66 लोगों को पकड़ा गया है. देहरादून में पिछले 4 दिन में 111 लोगों की गिरफ्तारी हुई है.
देहरादून पुलिस का कहना है कि कुछ लोग धर्म का सहारा लेकर भोले-भाले लोगों को जादू-टोना, भूत-प्रेत और देवी-देवताओं के डर के नाम पर लूट रहे थे. ये लोग पश्चिम बंगाल, बिहार और दूसरे राज्यों से आकर यहां लोगों की भावनाओं से खेल रहे हैं. चाहे वो किसी भी धर्म के हों अगर ऐसा करते पकड़े जाएंगे तो कानून कार्रवाई करेगा.
पिछली बार भी हुआ था विवाद
पिछले साल जब कांवड़ यात्रा हो रही थी, तब उत्तराखंड पुलिस ने सभी दुकानों और ढाबों को अपने नाम का बोर्ड साफ-साफ लगाने का आदेश दिया था. उस समय ये फैसला काफी विवादों में रहा क्योंकि इसे मुसलमानों को दुकानों उनकी पहचान से जोड़कर देखा गया था.
अब ऑपरेशन कालनेमि को लेकर भी लोग कह रहे हैं कि हर बार कांवड़ यात्रा के समय ही ऐसी सख्ती क्यों दिखाई जाती है.
सरकार का कहना है कि इस बार फोकस सिर्फ फर्जी बाबाओं पर है, लेकिन हर बार इस यात्रा के दौरान उठने वाले ऐसे कदम यह दिखाते हैं कि कहीं ना कहीं धार्मिक माहौल में ‘बाहरी’ लोगों को लेकर एक डर या चिंता बनी रहती है.
धामी की चेतावनी
जैसे-जैसे इस ऑपरेशन में गिरफ्तारियां बढ़ रही हैं, धामी ने साफ कहा है कि जो लोग फर्जी साधु के नाम पर घूम रहे हैं, वो या तो अपनी असली पहचान बताएं या फिर कानून की सख्ती के लिए तैयार रहें. उन्होंने आम लोगों से भी अपील की है कि ऐसे फर्जी बाबाओं की पहचान में पुलिस की मदद करें.