अमेठी से कांग्रेस उम्मीदवार केएल शर्मा ने कैसे रायबरेली को गांधी परिवार का अभेद्य दुर्ग बनाया?
सांसद निधि खर्च के ‘किशोरी लाल मॉडल’ ने सोनिया गांधी को जनता के बीच लोकप्रिय बनाया. अब इन्हीं केएल शर्मा को कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर अमेठी लोकसभा सीट पर भाजपा का चक्रव्यूह तोड़ने की जिम्मेदारी दी गई है

उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट पर सबकी निगाहें यह जानने के लिए लगी थीं कि क्या कांग्रेस नेता राहुल गांधी दोबारा यहां से लड़कर भाजपा उम्मीदवार स्मृति इरानी से अपनी पिछली हार का बदला ले पाएंगे? हालांकि नामांकन की अंतिम तारीख 3 मई की सुबह यह तय हो गया कि लंबे समय से गांधी परिवार के करीबी रहे किशोरी लाल शर्मा, जिन्हें ज्यादातर स्थानीय लोग केएल शर्मा के नाम से जानते हैं, अमेठी से कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे.
सुबह पार्टी ने उनके नाम की घोषणा की और फिर उसी दिन शर्मा ने अमेठी लोकसभा सीट से अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया. कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को धन्यवाद देते हुए शर्मा ने कहा, "अमेठी और रायबरेली मेरी 'कर्मभूमि' रही हैं और यह मेरे लिए अमेठी के लोगों की सेवा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है." पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी राहुल गांधी के नामांकन से समय निकालकर अमेठी में शर्मा के रोड शो में शामिल हुई थीं.
इस मौके पर प्रियंका ने कहा, “मैं यहां किशोरी लाल जी के लिए हूं… हम सभी उन्हें 35-40 वर्षों से अधिक समय से जानते हैं. वे अमेठी के हर गली-कूचे से वाकिफ हैं. वे पार्टी कार्यकर्ताओं को उनके नाम से जानते हैं और जानते हैं कि अमेठी के लोगों को क्या चाहिए. मैं यहां आप सभी से उन पर अपना प्यार बरसाने और उन्हें वोट देने का आग्रह करने आई हूं.”
रायबरेली और अमेठी के कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए रायबरेली से परसदेपुर जाने वाले मार्ग पर मौजूद भुएमऊ गेस्ट हाउस पिछले कई वर्षों से राजनीतिक गतिविधियों का एक केंद्र बना हुआ था. इसी गेस्ट हाउस में एक तरफ किशोरी लाल शर्मा कैंम्प कर रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस की गतिविधियों की न केवल निरंतर मॉनिटरिंग कर रहे थे बल्कि जनता से कनेक्ट करने की योजनाओं को भी आकार दे रहे थे.
किशोरी लाल 1980 के बाद से कांग्रेस द्वारा अमेठी से मैदान में उतारे जाने वाले दूसरे गैर-गांधी हैं. इससे पहले, कैप्टन सतीश शर्मा ने 1991 (उपचुनाव) और 1996 के चुनावों में इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था. अब अमेठी में कांग्रेस के जिला कार्यालय में बना गेस्ट हाउस शर्मा के कैम्प आफिस में तब्दील हो गया है. यहां से वे भाजपा उम्मीदवार स्मृति इरानी के खिलाफ चुनावी जंग लड़ेंगे.
लुधियाना के मूल निवासी केएल शर्मा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से काफी प्रभावित थे. कांग्रेस पार्टी के पुराने नेताओं की मानें महज 20 वर्ष की उम्र में शर्मा राजीव गांधी के संपर्क में आ गए थे. कैप्टन सतीश शर्मा ने उनको राजीव गांधी से मिलवाया था. रायबरेली निवासी वयोवृद्ध एडवोकेट आरके अवस्थी बताते हैं कि राजीव गांधी को एक ऐसे शख्स की तलाश थी जो रायबरेली की जनता और उनके बीच लिंक का काम कर सके.
उस वक्त शर्मा नेहरू युवा केंद्र के जिला युवा समन्वयक की नौकरी छोड़कर कैप्टन सतीश शर्मा के साथ अमेठी आए. जब राजीव गांधी अमेठी के सांसद रहे तो किशोरी लाल शर्मा, कैप्टन सतीश शर्मा के साथ मिलकर उनका काम देखते थे. राजीव ने सबसे पहले शर्मा को तिलोई विधानसभा की जिम्मेदारी दी थी. इसके बाद केएल शर्मा के प्रबंधन और कामकाज में जमीनी पकड़ से राजीव गांधी का इनपर विश्वास बढ़ता गया. कुछ ही समय बाद शर्मा अमेठी के साथ रायबरेली में भी कांग्रेस और गांधी परिवार की गतिविधियों का केंद्र बिंदु बन गए.
राजीव गांधी की हत्या के बाद, किशोरी लाल ने कैप्टन सतीश शर्मा के साथ काम किया और जब 1999 में सोनिया गांधी ने राजनीतिक शुरुआत की, तो वे उनके साथ जुड़ गए. एडवोकेट अवस्थी बताते हैं, “सोनिया गांधी ने राजीव गांधी के साथ केएल शर्मा को काम करते देखा था. वे शर्मा के जमीनी प्रबंधन और लोगों से संबंध बनाने की कला से परिचित थीं. इसलिए जब सोनिया ने रायबरेली- अमेठी को अपनी राजनीतिक कर्मस्थली बनाने की सोची तो उन्होंने आंख मूंदकर शर्मा पर ही विश्वास किया.”
कुछ समय बाद, शर्मा को उनके पब्लिक मैनेजमेंट और माइक्रो मैनेजमेंट के कौशल के कारण रायबरेली और अमेठी दोनों सीटों का प्रभारी बनाया गया. आधुनिक राजनीति में चुनाव प्रबंधकों और चुनाव रणनीतिकारों के आगमन से बहुत पहले, शर्मा गुपचुप ढंग से गांधी परिवार के लिए ऐसी रणनीति तैयार कर रहे थे जिसका तोड़ निकाल पाना विपक्षी दलों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा था. रायबरेली के कांग्रेस नेता विनय द्विवेदी बताते हैं, “शर्मा जी गांवों और शहरी इलाकों में कांग्रेस कैडर पर नजर रखते थे और गांधी परिवार और लोगों के बीच एक सेतु के रूप में काम करते थे.”
सोनिया गांधी भले ही पिछले कुछ वर्षों से अपने संसदीय क्षेत्र से दूर रही हों लेकिन रायबरेली-परसदेपुर रोड पर बना भुएमऊ गेस्ट हाऊस रायबरेली में कांग्रेस के संगठनात्मक कार्यों का केंद्र बना हुआ है. इसी गेस्ट हाउस में कैंप करके शर्मा रायबरेली में कांग्रेस की मजबूत किलेबंदी कर रहे थे. बीते दो वर्षों के भीतर उन्होंने कांग्रेस के स्थानीय संगठन को नया रूप दिया है. बूथ कमेटियों का पुनर्गठन किया गया है.
सोनिया गांधी के प्रतिनिधि के तौर पर रायबरेली संसदीय क्षेत्र में केएल शर्मा ने सांसद निधि के उपयोग का जो मॉडल तैयार किया वह किसी अन्य जगह नहीं दिखाई देता है. रायबरेली में कुल 15 ब्लॉक है. ऐसे में शर्मा सांसद निधि के तौर पर प्रतिवर्ष मिलने वाले पांच करोड़ रुपए को 16 भागों में बांट देते थे. 15 हिस्सा ब्लॉकों के लिए और एक हिस्सा शहर के लिए रख देते हैं.
इस तरह पार्टी के हर ब्लॉक अध्यक्ष के पास जनता के कार्यों के लिए एक निधि मौजूद होती है. इस तरह रायबरेली में कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष की हैसियत किसी विधायक से कम नहीं होती. इससे न केवल पूरे संसदीय क्षेत्र में सांसद निधि के पैसे का उपयोग होता है और इससे सांसद का जनता से कनेक्ट भी बढ़ता है. सांसद से संगठन के इसी “किशोरी लाल मॉडल” ने रायबरेली को कांग्रेस का मजबूत किला बना रखा है. रायबरेली को गांधी परिवार का अभेद्य दुर्ग बनाने वाले किशोरी लाल शर्मा पर अब अमेठी में भाजपा का चक्रव्यूह तोड़ने की बड़ी-भारी जिम्मेदारी है.