यूपीपीएससी : सीबीआई जांच की इस सुस्ती का राज क्या है? 

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की भर्ती परीक्षाओं की सीबीआई जांच शुरू हुए छह वर्ष से ज्यादा हो गए हैं लेकिन अभी तक गड़बड़ी करने वाले गिरफ्त से बाहर, जांच एजेंसी की कार्यप्रणाली पर खड़े हो रहे सवाल

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की भर्ती परीक्षाओं की सीबीआई जांच शुरू हुए छह वर्ष से ज्यादा हो गए हैं
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की भर्ती परीक्षाओं की सीबीआई जांच शुरू हुए छह वर्ष से ज्यादा हो गए हैं

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की भर्तियों में भ्रष्टाचार के खि‍लाफ साल 2017 में सीबीआई जांच का आदेश उन लाखों युवाओं के लिए राहत भरा था जो अपने दम पर अधिकारों की लड़ाई लड़ रह थे. इन्हीं में से अयोध्या की रहने वाली एक प्रतियोगी छात्रा भी थीं, जिनका पीसीएस के चार और लोअर सबआर्डिनेट के दो इंटरव्यू देने के बाद भी चयन नहीं हो पाया था. 

सीबीआई जांच टीम के आश्वासन के बाद उन्होंने यूपीपीएसी की परीक्षाओं में गड़बड़ी की लिखित शिकायत दर्ज कराई. समय बीतने के साथ साल 2020 में वे ओवरएज हो गईं और प्रयागराज छोड़कर अयोध्या वापस आ गईं. सीबीआई जांच की सुस्त गति से अब वे अपने को ठगा महसूस कर रही हैं. 

आजमगढ़ से आकर प्रयागराज तैयारी करने वाले एक शिकायतकर्ता ने सीबीआई के विश्वास में आकर एसडीएम पद पर चयनित हुए एक अधिकारी का बैंक डि‍टेल और गड़बड़ि‍यों से जुड़ी कई अन्य जानकारियां भी मुहैया कराई थीं. जांच सुस्त गति से चली और इसी बीच वर्ष 2019 में यह अभ्यर्थी ओवरएज होकर वापस आजमगढ़ आ गए और प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने लगे. अब सीबीआई ने इन्हें भी समन भेजकर शिकायत में पक्ष में जरूरी साक्ष्य मुहैया कराने को कहा है. 

यूपी लोकसेवा आयोग में गड़बडि़यों की जांच कर रही सीबीआई की सुस्त चाल अब कई ऐसे अभ्यर्थि‍यों की गले की फांस बन गई जो "व्हिसल ब्लोअर" बनकर आयोग की परीक्षाओं में गड़बड़ियों के खि‍लाफ लड़ाई लड़ रहे थे.

ऐसे ही एक अभ्यर्थी बताते हैं, "हमारी आस थी कि सीबीआई तेजी से जांच पूरी करके दोषियों को सजा दिलाएगी. समय रहते गड़बड़ी वाली परीक्षाएं निरस्त होंगी और योग्य अभ्यर्थियों का चयन होगा. जांच की सुस्त गति से न्याय तो मिलना दूर ज्यादातर अभ्यर्थी अब ओवरएज होकर नौकरी के लायक भी नहीं रह गए हैं." 

योगी सरकार की संस्तुति के पांच महीने बाद 25 जनवरी, 2018 में सीबीआई ने 'प्र‍िलिम्नरी इंक्वायरी' दर्जकर यूपीपीएससी में भर्तियों की जांच शुरू कर दी थी लेकिन छह साल बीतने के बाद भी यह अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है.

सबसे पहले भर्तियों की जांच का जिम्मा आईपीएस अफसर राजीव रंजन को सौंपा गया लेकिन उसके बाद आईआरएस अफसर जितेंद्र कुमार (वर्ष 2019 से 2021), दिल्ली कैडर के आईपीएस अफसर अतुल ठाकुर (वर्ष 2021 से जुलाई 2022) और जुलाई 2022 से आईपीएस अफसर सुमन कुमार और विकास कुमार द्व‍ितीय को जिम्मेदारी सौंपी गई लेकिन अभी तक किसी भी दोषी पर सीधी कार्रवाई नहीं हो सकी है. 

सीबीआई को अप्रैल 2012 से मार्च 2017 से तकरीबन 633 भर्ती परीक्षाओं की जांच करनी थी जिसके तहत 40 हजार से अधिक पदों पर चयन हुए थे. शुरुआत में सीबीआई जांच तेजी से आगे बढ़ी और भर्तियों में भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज कराने बड़ी संख्या में अभ्यर्थी सीबीआई के सामने उपस्थित हुए. अब तक करीब 12 हजार अभ्यर्थ‍ियों के बयान दर्ज कराए जा चुके हैं. 

भर्तियों में धांधली की जांच कर रही सीबीआई ने पिछले छह वर्षों में केवल दो प्रमुख परीक्षाओं पीसीएस-2015 और अपर निजी सचिव (एपीएस)-2010 में हुई धांधली के मामले में एफआईआर दर्ज की है. वहीं अभ्यर्थियों से मिले साक्ष्यों और शिकायतों के आधार पर समीक्षा अधिकारी / सहायक समीक्षा अधिकारी-2013, मेडिकल अफसर-2014 की सीधी भर्ती, लोअर सबआर्डिनेट-2013 समेत कुछ अन्य भर्तियों के मामले में प्राथमिक जांच (पीई) दर्ज की जा चुकी है. 

अपर निजी सचिव (एपीएस)—2010 भर्ती की सीबीआई जांच शुरू हुए भी साढ़े पांच साल से अधिक समय हो गया है, इस दौरान गड़बड़ी मिलने पर यूपीपीएससी के तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ पर नामजद एफआईआर भी दर्ज हुई है लेकिन इसके बाद जांच ठंडी ही पड़ी हुई है.

हालांकि, इस भर्ती के तहत चयनित 223 अभ्यर्थी उत्तर प्रदेश सचिवालय में कार्यरत हैं. 'प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति' के अध्यक्ष अवनीश पांडेय ने सीबीआई निदेशक को पत्र भेजकर दावा किया है कि सचिवालय में तैनात अभ्यर्थी नौकरशाहों से मिलकर जांच को प्रभावित कर रहे हैं. 

सीबीआई ने धांधली में शामिल होने की आशंका में कुछ अन्य लोकसेवकों के खिलाफ सीधी कार्रवाई के लिए शासन और यूपी लोकसेवा आयोग से अभियोजन की स्वीकृति भी मांगी है लेकिन इसपर अभी तक कोई निर्णय नहीं हो सका है. अवनीश पांडेय कहते हैं, "जिस तरह से सीबीआई जांच अचानक धीमी हो गई है उससे पीड़ित अभ्यर्थ‍ियों को न्याय मिलने की उम्मीद धूमिल हो गई है." 

सीबीआई जांच का दंश झेल रहा यूपी लोक सेवा आयोग की परीक्षा अभी तक पूरी तरह फुलप्रूफ नहीं हो पाई हैं. राज्य सरकार ने समीक्षा अधिकारी व सहायक समीक्षा अधिकारी भर्ती परीक्षा करने के बाद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के परीक्षा नियंत्रक अजय कुमार तिवारी को भी हटा दिया है. उन्हें कम महत्व वाले राजस्व परिषद में तैनाती दी गई है. 

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा 11 फरवरी 2024 को समीक्षा अधिकारी व सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा आयोजित कराई गई थी. इसके बाद से ही अभ्यर्थियों द्वारा यह आरोप लगाया जाने लगा कि पेपर लीक हुआ है.

शासन स्तर से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी गई और इसके बाद 2 फरवरी को इस प्रारंभिक परीक्षा को रद्द कर दिया गया है. शासन ने अगले ही दिन परीक्षा नियंत्रक को भी हटा दिया है. हालांकि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कहते हैं, "सरकार प्रतियोगी छात्रों को न्याय दिलाने के लिए पूरी तरह संवेदनशील है. भर्ती प्रक्रियाओं में गड़बड़ी करने वाले बख्शे नहीं जाएंगे."

कब क्या हुआ

  • 31 जुलाई, 2017 को प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को यूपी लोक सेवा आयोग की भर्तियों की सीबीआइ जांच की सि‍फारिश की. 
  • 21 नवम्बर 2017 को केंद्र सरकार के कार्मिक व पेंशन मंत्रालय द्वारा लोक सेवा आयोग की सीबीआई जांच की अधिसूचना जारी की गई. 
  • 25 जनवरी, 2018 को तत्कालीन एसपी, सीबीआइ भ्रष्टाचार निरोधक प्रकोष्ठ शाखा राजीव रंजन ने लखनऊ में “प्र‍िलिम्नरी इंक्वायरी” दर्ज कर जांच शुरू की. 
  • 31 जनवरी 2018 को राजीव रंजन ने लोक सेवा आयोग परिसर पहुंचकर आयोग कर्मियों के भारी विरोध के बीच दस्तावेजों की तलाशी शुरू की.  
  • 5 मई, 2018 को सीबीआइ ने लोक सेवा आयोग के खिलाफ पहली एफआइआर दर्ज कर आयोग परिसर में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज सील किए. 
  • 19 जून, 2018 को सीबीआइ ने अपर निजी सचिव भर्ती-2010 में भारी गड़बड़ी पाई और प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर जांच की अनुमति मांगी. 
  • 4 अक्टूबर 2018 को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अपर निजी सचिव भर्ती परीक्षा के सम्पूर्ण परिणाम के जाँच का अनुमोदन गृह मंत्रालय भेज दिया गया. 
  • जुलाई 2020 में समीक्षा अधिकारी / सहायक समीक्षा अधिकारी 2013  समेत तीन अन्य परीक्षाओं में हुई गड़बड़ियों की “प्र‍िलिम्नरी इंक्वायरी” दर्ज हुई. 
  • 4 अगस्त 2021 को अपर निजी सचिव भर्ती-2010 मामले में मुकदमा दर्ज किया. इसमें तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ को नामजद किया गया.

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