बिहार : ठेके पर प्रोफेसर, ट्रेडर्स कर रहे हैं बहाली! क्या है पूरी कहानी?

विकास ट्रेडर्स नाम की कंपनी बिहार में महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों के लिए ठेके पर प्रोफेसर की नियुक्ति कर रही है और इस हवाले से सोशल मीडिया पर इस कंपनी का एक पत्र भी वायरल हुआ है

पटना विश्वविद्यालय
पटना विश्वविद्यालय

बिहार में इन दिनों सोशल मीडिया पर विकास ट्रेडर्स नाम की कंपनी के दो पत्र वायरल हो रहे हैं. इन पत्रों के कंटेंट के मुताबिक ये राज्य के उन कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को ठेके पर शिक्षक उपलब्ध करा रहे हैं, जहां शिक्षकों की कमी है.

इसके एक पत्र के मुताबिक इन्होंने सहरसा के रमेश झा महिला कॉलेज को चार शिक्षक उपलब्ध कराए हैं और कहा है कि इन्हें विश्वविद्यालय के नियमानुसार मानदेय दिया जाएगा.

वहीं एक अन्य पत्र के मुताबिक विकास ट्रेडर्स ने राज्य के सभी स्वीकृत महाविद्यालयों के प्राचार्य को पत्र लिखकर कहा है  "आप अपने महाविद्यालय में खाली पदों की सूची हमें उपलब्ध कराएं, ताकि हम इसके अनुसार आपको शिक्षक उपलब्ध करा सकें." इन पत्रों को देखकर राज्य में शिक्षा से जुड़े लोग काफी नाराज हो गए हैं. सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी जा रही है कि क्या अब बिहार सरकार की ऐसी स्थिति हो गई है कि शिक्षकों की बहाली का जिम्मा ट्रेडर्स कंपनी को दिया जा रहा है? 

सोशल मीडिया पर वायरल पत्र

ऐसी खबरें वायरल होने के बाद इंडिया टुडे ने विकास ट्रेडर्स कंपनी के संचालकों से संपर्क किया. इस कंपनी के दो संचालक हमसे मिले. उन्होंने अपना नाम तो नहीं बताया, मगर यह जानकारी दी कि वे मूलतः सिविल कॉन्ट्रेक्टर हैं और ठेके पर मैनपावर उपलब्ध कराने का भी काम करते हैं. विकास ट्रेडर्स नाम की यह कंपनी ठेके पर पर मैनपावर उपलब्ध कराने का ही काम करती है और उनके क्लाइंट मुख्यतः बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के लोग ही हैं.

इन्होंने बताया कि 29 नवंबर 2023 को बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने उन्हें और तीन अन्य कंपनियों को अधिकृत किया था कि वे राज्य के उच्च शिक्षण संस्थानों में खाली पड़े पदों के बदले मैनपावर उपलब्ध कराएं और वे यही काम कर रहे हैं.

इस बारे में जब शिक्षा विभाग से पता किया गया तो मालूम हुआ कि उच्च शिक्षा निदेशालय की तरफ से 29 नवंबर, 2023 को एक पत्र जारी हुआ था, जिसमें राज्य के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षक उपलब्ध कराने के लिए चार एजेंसियों को अधिकृत किया गया था. इन चार एजेंसियों में विकास ट्रेडर्स के अलावा, पटना की डेस्टिनी आईटी सर्विसेज, यहीं की जेकेएसबी स्किल इंडिया और फरीदाबाद की सेनोवी टेकसिटी सर्विसेज है.

इन चारो एजेंसियों को इंस्ट्रक्टर, ट्रेनर/ स्पीकर, असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर और प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस तक के पदों पर योग्य लोगों को उपलब्ध कराना है. ये सभी अतिथि शिक्षक होंगे और इन्हें प्रति कक्षा 500 से 1500 रुपए तक दिया जाना है. मगर बड़ा सवाल यह है कि क्या इन एजेंसियों के पास असिस्टेंट प्रोफेसर से लेकर प्रोफेसर तक के चयन की विशेषज्ञता है?

शिक्षकों के अलग-अलग पद और उनके मानदेय की लिस्ट

विक्रमशिला भागलपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. योगेंद्र इस मुद्दे पर काफी मुखर हैं. वे कहते हैं, "2018 में सभी विश्वविद्यालयों को शिक्षा विभाग ने ही संकल्प पत्र भेजा था कि वे अपने स्तर पर अतिथि व्याख्याता की नियुक्ति कर लें. इस प्रक्रिया में वीसी अध्यक्ष होते थे, उनके अलावा दो विषय एक्सपर्ट और शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि भी रहते थे. इसके लिए विज्ञप्ति जारी होती थी. फिर नियमानुसार और योग्यतानुसार सिर्फ असिस्टेंट प्रोफेसर की अतिथि शिक्षक के तौर पर नियुक्ति होती थी. इसमें आरक्षण रोस्टर का भी पालन होता था."

डॉ. योगेंद्र आगे बताते हैं, "ऐसे में अब किसी प्राइवेट एजेंसी को जिसका कोई अनुभव नहीं है, जो आरक्षण रोस्टर का भी पालन करेगी या नहीं, यह काम कैसे दे दिया गया है. हैरत की बात है कि इन्हें एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर बहाल करने का भी जिम्मा दिया गया है, जबकि एसोसिएट प्रोफेसर बनने के लिए 9 और प्रोफेसर के लिए 13 साल का अनुभव चाहिए. यह नियुक्ति कोई कर नहीं सकता. अगर शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने यह आदेश दिया है, तो इससे बड़ी मूर्खता कोई नहीं हो सकती. बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के कुछ नियम हैं. अगर कुलपति नियुक्त नहीं कर पा रहे तो उन्हें हटाया जा सकता है. दिक्कत यह है कि विश्वविद्यालय सेवा आयोग खाली पदों पर समय से जरूरी लोगों को नियुक्त नहीं कर पा रहा. कुलपति भी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहे. अब ऐसे में ईंट-गारा के सप्लायरों को यह जिम्मा दे दिया गया है."

ऐसा क्यों किया जा रहा है, यह पता करने के लिए हमने उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. रेखा से संपर्क किया. पहले तो डॉ. रेखा विकास ट्रेडर्स और इस तरह की किसी योजना से ही अपरिचित नजर आईं. मगर जब उन्हें हमने उनके नाम से ही जारी पत्र दिखाया तो उन्होंने कहा, "दरअसल बिहार के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 11,031 स्वीकृत पद हैं, इनमें से 50 फीसदी से अधिक खाली पड़े हैं. अभी इन संस्थानों में 2000 के करीब अतिथि शिक्षक हैं. अब शिक्षक संस्थान अपने स्तर पर अतिथि शिक्षक नियुक्त करते हैं तो इसमें विवाद खड़ा हो जाता है और मामला अदालतों तक पहुंच जाता है. ऐसे में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के आदेश पर हमने यह तात्कालिक व्यवस्था की है. यह अस्थाई व्यवस्था है ताकि बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो. जैसे ही बेहतर व्यवस्था होगी, इन्हें तत्काल हटाया जा सकता है."

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