तमिलनाडु में सुपरस्टार विजय और DMK की टक्कर के बीच BJP कहां फंसी?
करूर भगदड़ की घटना से उबरने की कोशिश कर रहे अभिनेता विजय पहली बार सार्वजनिक तौर पर लोगों के संपर्क में आए तो उन्होंने सत्तारूढ़ DMK के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया

तमिलनाडु के करूर में एक मेगा रैली के दौरान भगदड़ के करीब दो महीने बाद अभिनेता से नेता बने विजय ने 23 नवंबर को पहली बार सार्वजनिक संपर्क के तहत बंद कमरे में 2,000 से अधिक समर्थकों के साथ मुलाकात की.
बातचीत के दौरान तमीझगा वेत्रि कझगम (TVK) के संस्थापक विजय ने द्रविड़ मुनेत्र कझगम (DMK) पर तीखा हमला बोला और सत्तारूढ़ पार्टी पर “झूठ और धोखाधड़ी” के जरिये सत्ता पर काबिज होने का आरोप लगाया. विजय ने विधानसभा चुनाव अभियान के लिए TVK की तरफ से एक बड़े कल्याणकारी एजेंडे की घोषणा करके माहौल बनाने की कोशिश भी की, जिसमें गरीबों के लिए पक्के घर बनाना शामिल हैं.
राजनीतिक विश्लेषक प्रियन श्रीनिवासन के मुताबिक उन्हें विजय के यह रुख अपनाने की उम्मीद थी. श्रीनिवासन कहते हैं, “मुझे पहले ही लग रहा था कि विजय DMK पर निशाना साधते रहेंगे और संभवत: AIADMK (अन्नाद्रमुक) और BJP के खिलाफ अपना रुख नरम कर लेंगे. ठीक यही हो रहा है. वे BJP के साथ न जाने को लेकर दृढ़ हैं. लेकिन AIADMK के साथ जाएंगे या नहीं, यह हमें आखिरी समय पर ही पता चलेगा.”
प्रियन ने आगे कहा कि BJP के गठबंधन में AIADMK की स्थिति ही सीधे तौर पर विजय की पसंद तय करेगी. उन्होंने कहा, “अगर AIADMK, ने BJP के साथ गठबंधन नहीं छोड़ा तो विजय को अकेले चुनाव लड़ने पर बाध्य होना पड़ सकता है. यह AIADMK के नेता एडप्पादी के. पलानीस्वामी (EPS) के फैसले पर निर्भर करेगा. अगर विजय अकेले चुनाव मैदान में उतरे तो यह संभावना भी है कि टी.टी.वी. दिनाकरन, ओ. पन्नीरसेल्वम और यहां तक कि के.ए. सेंगोट्टैयन जैसे AIADMK के नाराज नेता भी उनके साथ हाथ मिला सकते हैं. उनके लिए, मकसद DMK को हराना नहीं बल्कि पलानीस्वामी को झटका देना होगा.”
प्रियन के मुताबिक, विजय के राजनीतिक संदेश का मकसद मुख्य तौर पर द्रमुक-विरोधी भावना को मजबूत करना है. प्रियन ने कहा, “अगर वे पूरी तरह BJP विरोधी होते तो DMK की तरफ का कुछ BJP विरोधी वोट भी हासिल कर सकते थे. लेकिन वे ऐसे नहीं हैं. उन्होंने राज्यपालों के विधेयकों में देरी करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं की, जिसे संघवाद विरोधी माना जाता है. उन्होंने मदुरै और कोयंबटूर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट्स के लिए डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) को खारिज किए जाने पर कोई टिप्पणी नहीं की. यह साफ नहीं है कि वे मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के खिलाफ हैं या नहीं. ऐसे में, अल्पसंख्यकों का विजय पर भरोसा कर पाना मुश्किल होगा. वे DMK को भ्रष्ट बताते हैं. लेकिन AIADMK के बारे में चुप क्यों हैं? क्या AIADMK भ्रष्ट नहीं है? उनकी रणनीति में पूरी तरह बदलाव जरूरी नजर आता है.”
हालांकि, वरिष्ठ पत्रकार और चुनाव विश्लेषक एस.जे. इधाया ने कहा कि विजय का तरीका मतदाताओं का समर्थन जुटा रहा है. तमिलनाडु में 51 चुनाव क्षेत्रों का सर्वे करने वाले इधाया ने कहा, “मैंने डेल्टा, साउथ और कोंगू इलाके में लोगों से बात की है. कुछ चुनाव क्षेत्रों में विजय को 30 फीसद से ज़्यादा वोट मिल रहे हैं. कुछ में, ये आंकड़ा करीब 15 फीसद है. ये करूर हादसे के बाद की स्थिति में है. मेरा मानना है कि करूर के बाद भी, उनके पास औसतन 20 फीसद वोट हैं.”
इधाया ने TVK लीडर आधव अर्जुन के इस बयान की ओर भी इशारा किया कि उनकी पार्टी का एक बड़ा वोट-बैंक है. उन्होंने कहा, “आधव अर्जुन का दावा है कि उनके पास 26 फीसद (TVK के लिए) वोट है, जिसका मतलब है AIADMK वोट शेयर के लिहाज से पीछे है. इसीलिए विजय बार-बार कहते हैं कि असली लड़ाई DMK और TVK के बीच है. वे AIADMK के खिलाफ ज्यादा आक्रामक तेवर नहीं अपनाते क्योंकि उन्हें लगता है कि उसका विरोध करने से वे उसके जनाधार से दूर हो सकते हैं.”
इधाया का कहना है कि AIADMK का पारंपरिक वोटर बेस हमेशा से ही करिश्माई सिने हस्तियों को पसंद करता रहा है, जिसका झुकाव EPS के मुकाबले विजय की तरफ ज्यादा रहेगा. उन्होंने कहा, “विजय खुद AIADMK के मुकाबले DMK के ज्यादा कट्टर आलोचक नेता के तौर पर उभरे हैं.” साथ ही जोड़ा कि अगर EPS की पार्टी को लगता है कि विजय सिर्फ DMK के वोट-बैंक में सेंध लगा रहे हैं तो वे स्थिति को ठीक से समझ नहीं पा रहे हैं. उन्होंने कहा, “AIADMK को DMK के मुकाबले विजय से ज्यादा वोट का नुकसान हो सकता है.” और संभवत: चुनाव में यह कई सीटों पर तीसरे नंबर पर भी खिसक सकती है. इस बीच, सूत्रों से मिली अपुष्ट खबरों के मुताबिक, पार्टी से निकाले जा चुके AIADMK के नाराज नेता सेंगोट्टैयन ने हाल में विजय से मुलाकात की थी, जिससे TVK और AIADMK बागियों के बीच संभावित गठजोड़ के संकेत मिले.
वैसे, सूत्रों का तो ये तक कहना है कि BJP इस पर बंटी हुई है कि सेंगोट्टैयन को क्या भूमिका निभानी चाहिए, जबकि वे अपने विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. BJP के अंदर एक तबका मानता है कि अगर सेंगोट्टैयन और दूसरे नाराज नेता TVK के साथ जाते हैं तो AIADMK कमजोर हो सकती है और आगे चलकर BJP को ही इसका फायदा हो सकता है. हालांकि, दूसरे तबके को लगता है कि एकजुट AIADMK ही आने वाले चुनाव में BJP के ज्यादा सीटें जीतने की संभावनाएं बेहतर बना सकती है.
बहरहाल, एक बात साफ है कि विजय ने DMK को प्रमुख प्रतिद्वंद्वी मानकर अपनी नजरें मजबूती से उस पर दिका दी है. हालांकि, ये देखना बाकी है कि वे उससे मुकाबला BJP और AIADMK के साथ मिलकर करेंगे; अकेले AIADMK के साथ करेंगे; या फिर अकेले अपने ही दम पर चुनाव मैदान में उतरना बेहतर समझेंगे.
कई विश्लेषकों का मानना है, अगर TVK आखिर में अकेले मैदान में उतरने का फैसला करती है तो यह चुनाव विजय की पार्टी और AIADMK के बीच वर्चस्व कायम करने की सबसे बड़ी लड़ाई बन जाएगा. AIADMK को आंतरिक विरोध का सामना करना पड़ रहा है और वह अपने पुराने वोटर बेस का कुछ हिस्सा विजय के हाथों गंवा सकती है. और, चूंकि करूर भगदड़ के बाद भी TVK को सभी इलाकों में लगातार समर्थन मिल रहा है, इसलिए तमिलनाडु में 2026 का चुनाव शीर्ष स्थान हासिल करने की लड़ाई से आगे का मुकाबला बन सकता है.