उत्तर प्रदेश में रोडवेज बसों की 'सारथी' बनीं महिलाएं, कैसे टूटा पुरुषों का वर्चस्व?

मॉडल ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च इन्स्टीट्यूट, कानपुर से प्रशिक्षि‍त देश के पहले 17 महिला ड्राइवरों के बैच ने 'महिला सारथी योजना' में उत्तर प्रदेश रोडवेज बसों की जिम्मेदारी संभाली है

अयोध्या में महिला सारथी योजना की शुरुआत करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
अयोध्या में महिला सारथी योजना की शुरुआत करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

समाज की परंपराओं को तोड़कर महिलाएं अब पुरुषों के प्रभुत्व वाले कार्यों में भी अपनी धमक दिखा रही हैं. सरकारी रो‍डवेज बसों के ड्राइवर के रूप में पुरुषों के आधिपत्य को उत्तर प्रदेश में पहली बार महिलाओं से चुनौती मिली है. इन महिलाओं में से एक कानपुर निवासी गीता सिंह हैं जो वाराणसी में सरकारी रोडवेज बस ड्राइवर हैं.

गीता ने भारी वाहनों का ड्राइवर बनने को एक चुनौती के रूप में लिया. कानपुर के मॉडल ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट से ड्राइवर के रूप में ट्रेनिंग लेने के बाद 10 महीने डिपो में बसों के ड्राइवर के रूप में गहन ट्रेनिंग ली. गीता महिला रोडवेज बस चालकों के उस पहले जत्थे की सदस्य हैं जिन्हें 22 अक्टूबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था.

मुख्यमंत्री योगी ने अयोध्या के राम कथा पार्क में मिशन शक्त‍ि अभि‍यान के तहत महिला सारथी योजना का शुभारंभ किया था. इस मौके पर 51 बसों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया. इन बसों में 32 महिलाएं ड्राइवर और कंडक्टर की भूमिका निभा रही हैं.

इन्हीं में से लखनऊ डिपो में ड्राइवर रेखा भी हैं. रेखा को बचपन से ड्राइविंग का शौक था. शौक को करियर में बदलने के लिए परिवार वालों को राजी किया. इसके बाद रेखा का चयन कानपुर के सरकारी ड्राइविंग इंस्टीट्यूट में हुआ. यहां से प्रशिक्षण पूरा करने के बाद रेखा अब एक मंझे हुए बस ड्राइवर के रूप में अपनी ड्यूटी निभा रही हैं. हालांकि यूपी की पहली महिला सरकारी बस ड्राइवर प्रियंका शर्मा हैं, जो बिहार के बांका जिले के हरदौड़ी गांव की निवासी हैं.

2020 में यूपी परिवहन निगम ने 26 नए बस ड्राइवरों की भर्ती की चयन प्रक्रिया शुरू की थी. दो साल बाद जब यह प्रक्रिया पूरी हुई तो इसमें प्र‍ियंका शर्मा का एकमात्र महिला बस ड्राइवर के रूप में चयन हुआ था. पति की मृत्यु के बाद प्रियंका के ऊपर दो बच्चों के परवरिश की जिम्मेदारी आ गई थी. काम की तलाश में वे बिहार से दिल्ली आ गईं, यहां पर उन्हें एक फैक्टरी में काम मिल गया. इसी दौरान उन्होंने ड्राइविंग स्कूल में एडमिशन ले लिया और फिर ड्राइविंग सीखकर ट्रक चलाने का फैसला किया. 2020 में उन्हें यूपी परिवहन निगम में ड्राइवरों की भर्ती के बारे में पता चला. इसके लिए उन्होंने फॉर्म भरा और इम्तहान भी पास कर लिया. इसके बाद उन्होंने ट्रेनिंग ली और फिर सितंबर, 2022 में उनकी पोस्टिंग हो गई.

महिला सारथी योजना में शामिल महिला बस ड्राइवर

महिलाओं के स्वावलंबन पर जोर देने के लिए योगी सरकार ने मॉडल ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च इन्स्टीट्यूट कानपुर में महिला ड्राइवरों के प्रशिक्षण की शुरुआत 2020 में की थी. महिलाओं की ट्रेनिंग का पहला बैच 8 मार्च 2021 से शुरू किया गया था. इसके तहत इन्हें 200 घंटे की हल्के वाहन (एलएमवी) की ट्रेनिंग दी गई, जो 35 दिनों में पूरी हुई थी. इसके बाद 22 फरवरी, 2022 से महिला ट्रेनर बस ड्राइवरों को 400 घंटों की हेवी वाहन यानी बस (एचएमवी) की ट्रेनिंग दी गई. पिछले वर्ष 15 मई को यह ट्रेनिंग पूरी हुई. इस प्रशिक्षण में नियमित कक्षाएं लगीं. इंटरव्यू और प्रैक्टिकल शामिल रहा.

इसके साथ ही डिपो में तैनाती के दौरान इन्हें करीब 6000 रुपए प्रति माह मानदेय भी मिला. इस तरह देश में पहली बार 21 महिला बस ड्राइवरों का पहला बैच तैयार हुआ. 22 अक्टूबर को इन्हीं महिला बस ड्राइवरों को यूपी परिवहन निगम की बसों की स्टेयरिंग सौंप दी गई. पहले बैच के बाद दूसरे और तीसरे बैच के लिए महिला चालकों को मॉडल ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च इन्स्टीट्यूट कानपुर में प्रशिक्षण देने की तैयारी शुरू हो गई है. दूसरे बैच में 27 लोगों को ट्रेनिंग दिया जाएगा. ड्राइवरों को लाइट मोटर व्हीकल ड्राइवर लेवल-3 एवं कमर्शियल व्हीकल ड्राइवर लेवल-4 दोनों कोर्स का ट्रेनिंग दिया जाएगा.

ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के प्रधानाचार्य एसपी सिंह के मुताबिक लाइट मोटर व्हीकल ड्राइवर लेवल-3 कोर्स की प्रशिक्षण अवधि 344 घंटे (3 महीने) की होगी. इसके बाद कौशल विकास मिशन द्वारा निर्धारित सेक्टर स्किल काउंसिल एएसडीसी दिल्ली के माध्यम से एसेसमेंट कराया जाएगा. उत्तीर्ण अभ्यर्थियों का कमर्शियल व्हीकल ड्राइवर लेवल-4 कोर्स का 400 घंटे (4 महीने) का प्रशिक्षण होगा. दोनों कोर्स करने के बाद डिपो में 17 महीने की ट्रेनिंग होगी. 24 माह के प्रशिक्षण के बाद पिंक बस संचालित करने के लिए डिपो में संविदा ड्राइवर के रूप में इनकी तैनाती की जाएगी.

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