गुजरात में पांच BLO की मौत से कैसे मचा प्रशासनिक हड़कंप; कांग्रेस ने क्या आरोप लगाए?

गुजरात में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान अधिकारियों की मौतों ने राजनीतिक और प्रशासनिक बवंडर खड़ा कर दिया है

सांकेतिक तस्वीर

मतदाता सूचियों के SIR के दौरान गुजरात में पांच बूथ-स्तरीय अधिकारियों (BLO) की मौत हो चुकी है. BLO घर-घर जाकर दस्तावेज जुटाने और फिजिकल वेरिफिकेशन के जरिये मतदाताओं के ब्योरे को अपडेट और वेरिफाई करने वाले जमीनी स्तर के कर्मचारी होते हैं.

19 नवंबर से 25 नवंबर के बीच इन मौतों के लिए काम का लगातार बढ़ते बोझ को ठहराया जा रहा है, क्योंकि BLO सरकारी स्कूल टीचर या आंगनवाड़ी वर्कर के तौर पर दिन में काम करते हैं, और उसके बाद SIR वेरिफिकेशन में जुटे रहते हैं.

गुजरात में मतदाता सूचियों की इस गहन समीक्षा का महीने भर चलने वाला अभियान 4 दिसंबर को खत्म हो रहा है. पहला मसौदा 9 दिसंबर को प्रकाशित होगा, जिसके बाद 8 जनवरी तक आपत्तियां दर्ज कराई जा सकेंगी और इसके आधार पर आगे अपडेट होंगे. अंतिम सूची 7 फरवरी तक जारी की जाएगी.

विपक्षी दल कांग्रेस ने BJP सरकार पर टीचर्स के प्रति असंवेदनशील होने और सरकारी स्कूलों के गरीब और पिछड़े बच्चों को पढ़ाने के उनके सबसे जरूरी काम को कमजोर करने का आरोप लगाया है. शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने अपने नियमित कामकाजी घंटों के बाद SIR ड्यूटी पर नहीं आने वाले टीचर्स के खिलाफ अरेस्ट वारंट या अनुशासनात्मक कार्रवाई के खिलाफ मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को पत्र लिखा.

मौतों की बढ़ती संख्या देख पटेल प्रशासन ने चुनाव अधिकारियों को अरेस्ट वारंट जारी न करने का निर्देश दिया है और BLOs की मदद के लिए स्थानीय BJP कार्यकर्ताओं को भी शामिल किया. सरकारी प्रवक्ता जीतू वघानी ने कहा कि यह भी पता लगाया जा रहा है कि क्या नॉन-टीचिंग स्टाफ को SIR ड्यूटी पर लगाया जा सकती है.

टीचर्स के अलावा,12 अलग-अलग श्रेणी के सरकारी अधिकारियों को चुनाव का काम सौंपा जा सकता है. इनमें ग्राम सेवक, राजस्व अधिकारी और गुजरात विद्युत बोर्ड के कर्मचारी शामिल हैं. हालांकि, कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोशी ने कहा, “गुजरात में 90 फीसद BLO प्राइमरी सरकारी स्कूलों के टीचिंग स्टाफ हैं.”

जिला सूत्रों के मुताबिक, अपनी जान गंवाने वाले BLO वडोदरा, सूरत, तापी, खेड़ा और गिर सोमनाथ जिलों में तैनाते थे. ड्यूटी के दौरान या फिर फील्ड वेरिफिकेशन पूरा करने के कुछ ही समय बाद उनकी मौत हो गई. हर मामले में ही सहकर्मियों और परिवार वालों का दावा है कि SIR के लिए बेहद सीमित डेडलाइन और सर्वे की जरूरतों की वजह से अधिकारियों को कई घंटे तक ज्यादा काम करना पड़ रहा है.

राज्य चुनाव अधिकारियों ने मौतों की पुष्टि की है लेकिन काम के तनाव को इसकी वजह नहीं माना. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हम विस्तृत मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. ये सही जांच के बाद ही पता लगा पाएगा कि क्या इसका ऑफिशियल ड्यूटी से कोई संबंध है.” हालांकि, यह इनकार उस समय बेमानी साबित हुआ जब गिर सोमनाथ जिले के कोडिनार तालुका के 40 वर्षीय अरविंद वढेर ने आत्महत्या कर ली और एक सुसाइड नोट छोड़ा जिसमें लिखा था कि वह घरों का पता लगाने, डेटा अपलोड करने और कड़ी डेडलाइन का सामना करने की SIR ड्यूटी से मानसिक रूप से परेशान थे. खेड़ा जिले के कपडवंज तालुका के जम्बूडी गांव के एक और SIR वर्कर 50 वर्षीय रमेशभाई परमार की हार्ट अटैक के कारण मौत हो गई. उनके परिवार ने मौत की वजह काम का बहुत ज़्यादा दबाव बताया.

मरने वाले पांच BLO में से तीन महिलाएं थीं. तापी जिले के बारडोली तालुका में स्कूल प्रिंसिपल 56 वर्षीय कल्पनाबेन पटेल की हार्ट अटैक के कारण मौत हो गई, जबकि वडोदरा के कड़क बाज़ार में प्रताप स्कूल में 50 साल की उषाबेन सोलंकी ड्यूटी के दौरान गश खाकर गिर पड़ीं और बाद में उनकी मौत हो गई. मरने वालों में सबसे कम उम्र की डिंकल शिंगोडावाला (26 वर्ष) सूरत म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन में टेक्निकल असिस्टेंट थीं. शिंगोडावाला की मौत काम से लौटने के बाद घर पर हुई.

कांग्रेस नेता दोशी ने दावा किया कि हर स्कूल से तीन से चार टीचर्स को किसी स्वास्थ्य सुरक्षा या परिवहन जैसी सुविधाएं मुहैया कराए बिना ही SIR काम में झोंक दिया गया है. उन्होंने सरकार के इस दावे को खारिज कर दिया कि मौतें प्राकृतिक कारणों से हुईं, और प्रभावित परिवारों के लिए मुआवजे और टीचिंग स्टाफ पर SIR का बोझ घटाने के लिए काम अन्य सरकारी अधिकारियों के बीच भी बांटने की मांग की है.

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