राजस्थान में 6 दिसंबर को 'शौर्य दिवस’ मनाने का आदेश कैसे जारी हुआ और फिर क्यों हुआ वापस?

राजस्थान में 6 दिसंबर यानी बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के दिन सभी स्कूलों में 'शौर्य दिवस’ मनाए जाने के एक सरकारी आदेश सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था

Rajasthan Education Minister Madan Dilawar
राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर (फाइल फोटो)

बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के दिन 6 दिसंबर को राजस्थान के सरकारी स्कूलों में 'शौर्य दिवस' के तौर पर मनाए जाने के एक विवादास्पद आदेश ने प्रदेश के सियासी गलियारों में भूचाल मचा दिया है. शिक्षा विभाग के इस फैसले को विपक्ष, सामाजिक संगठनों और शिक्षा जगत ने स्कूलों को वैचारिक प्रयोगशाला बनाने की कोशिश करार दिया. 

हालांकि, विवाद बढ़ने पर शिक्षा विभाग ने एक नया आदेश जारी कर 'शौर्य दिवस' मनाए जाने संबंधी आदेश को गलत करार दिया. हुआ यह था कि 29 नवंबर की रात 9:38 बजे प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के निजी सहायक प्रताप तोमर की ओर से मीडिया के लिए बनाए गए वॉट्सअप ग्रुप में 6 दिसंबर को 'शौर्य दिवस' के तौर पर मनाए जाने संबंधी एक आदेश भेजा गया. 

सोशल मीडिया पर इस आदेश को लेकर हंगामा मचा तो 30 नवंबर की सुबह सूबे के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने एक लिखित बयान जारी कर कहा, ‘‘स्कूलों में 5 और 6 दिसंबर को परीक्षाओं के दौरान किसी भी कार्यक्रम या गतिविधि का आयोजन करना संभव नहीं है.’’ हालांकि, अपने उस बयान में मदन दिलावर राम जन्मभूमि आंदोलन की सराहना करना नहीं भूले. उन्होंने कहा, ‘‘भगवान राम भारतीय संस्कृति के आदर्शों का प्रतिनिधित्व करते हैं और राम मंदिर आंदोलन सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है. राम जन्मभूमि आंदोलन के बारे में जानने से छात्रों को प्रेरणा मिलेगी और उनमें देशभक्ति और राष्ट्रीय एकता की भावना का संचार होगा.’’

'शौर्य दिवस' मनाने को लेकर यही आदेश वायरल हुआ था

राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चा की मानें तो मुख्यमंत्री कार्यालय से भी 'शौर्य दिवस' को लेकर आपत्ति जताई गई थी. इसी के चलते रविवार को छुट्टी के दिन सूबे के शिक्षा निदेशक ने एक अन्य आदेश जारी कर 'शौर्य दिवस' संबंधी आदेश को गलत बताया. 

इस बीच आदेश को लेकर सरकार पर सवाल उठने भी शुरू हो गए. मानवाधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन फाॅर सिविल लिबर्टीज (PUCL) ने एक बयान जारी कर कहा, ''धर्म विशेष के कार्यक्रम को स्कूली शिक्षा का हिस्सा बना देना बहुत निंदनीय फैसला है.” PUCL राजस्थान के अध्यक्ष भंवर मेघवंशी ने कहा, "भले ही शिक्षा विभाग ने 'शौर्य दिवस' मनाए जाने के आदेश को गलत बताकर वापस लेे लिया हो मगर यह सरकार की छिपी हुई मंशा को उजागर करता है.'' 

राजस्थान मुस्लिम फोरम के महासचिव नजीमुद्दीन ने कहा, ''भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, ऐसे में सरकार मस्जिद गिराए जाने की याद को बच्चों के बीच महिमामंडित करने के लिए कैसे मजबूर कर सकती हैॽ'’ विपक्ष भी शिक्षा विभाग के इस आदेश को लेकर हमलावर नजर आया. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, ''BJP अपनी नफरत की राजनीति से स्कूलों को भी नहीं छोड़ना चाहती. बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की घटना को 'शौर्य दिवस' के रूप में मनाकर BJP बच्चों के बीच नफरत का बीज बोना चाहती है. यह BJP की ओछी राजनीति के अलावा कुछ नही है.'' 

कांग्रेस के ही प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी इस फैसले को BJP और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की 'नफरती विचारधारा' बच्चों पर थाेपने की साजिश करार देते हैं. उनका कहना है, ''बाबरी मस्जिद गिराया जाना एक अपराध था. स्कूलों में बच्चों के बीच ऐसे अपराधिक कृत्य को महिमांडित करना संवैधानिक भावना के खिलाफ है.''

आयोजन को लेकर गफलत! 

'शौर्य दिवस' के आयोजन को लेकर शिक्षा मंत्री और शिक्षा निदेशक के बयानों में भी विरोधाभास नजर आया. शिक्षा मंत्री ने परीक्षाओं का हवाला देते हुए कोई भी कार्यक्रम करना असंभव बताया वहीं माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक सीताराम जाट ने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई आदेश ही जारी नहीं किया है. 

हालांकि इंडिया टुडे की पड़ताल में यह सामने आया है कि इस विवाद की नींव करीब एक माह पहले ही रख दी गई थी. 22 अक्टूबर को शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के विशिष्ट सहायक ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर 6 दिसंबर को प्रदेश के सभी राजकीय और निजी स्कूलों में 'शौर्य दिवस' कार्यक्रम आयोजित किए जाने की सिफारिश की थी. इसी पत्र को आधार बनाकर माध्यमिक शिक्षा निदेशक कार्यालय से 6 दिसंबर को 'शौर्य दिवस' के रूप में मनाने और स्कूलों में भाषण, निबंध, चित्रकला व पोस्टर प्रतियोगिताएं आयोजित किए जाने संबंधी एक सर्कुलर तैयार हुआ मगर उसे निदेशक के बिना हस्ताक्षर के ही शिक्षा मंत्री के निजी सचिव की ओर से मीडिया संस्थानों को भेज दिया गया. 

शिक्षा निदेशक कार्यालय का जो आदेश वायरल हो रहा है उसके अनुसार इस आयोजन का उद्देश्य शिक्षकों व छात्रों में 'देशभक्ति व राष्ट्रवाद' की भावना जाग्रत करना है. इसमें यह हवाला दिया गया है कि 6 दिसंबर को सभी सरकारी और निजी स्कूलों में भारतीय संस्कृति का गौरव और राम मंदिर आंदोलन, शौर्य और बलिदान की परंपरा, राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका विषय पर भाषण व निबंध प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएं. साथ ही अयोध्या में राम मंदिर, राष्ट्रीय एकता और 'भारत के वीर योद्धा' विषय पर चित्रकला व पोस्टर प्रतियोगिताएं कराई जाएंगी.

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