महाराष्ट्र: अब दो बड़े नेताओं ने छोड़ा कांग्रेस का साथ! पार्टी में मची भगदड़ की क्या है वजह?

पुणे क्षेत्र के मजबूत जनाधार वाले नेता और भोर के पूर्व विधायक संग्राम थोपटे कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए हैं

कांग्रेस नेता संग्राम थोराट बीजेपी में शामिल हुए
कांग्रेस नेता संग्राम थोराट बीजेपी में शामिल हुए

महाराष्ट्र में कांग्रेस को अपने पुराने गढ़ पुणे में जोरदार झटका लगा, जहां पूर्व विधायक संग्राम थोपटे ने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है.

थोपटे का दल बदलना आम तौर पर कांग्रेस के लिए एक पूर्व विधायक के पार्टी बदलने से कहीं ज्यादा बड़ा नुकसान माना जा रहा है. इसकी बड़ी वजह यह है कि थोपटे को पुणे के ग्रामीण क्षेत्र में मजबूत जनाधार वाले कांग्रेसी नेता के रूप में देखा जाता था.

पूर्व विधायक थोपटे के बीजेपी में शामिल होने का फैसला पूर्व कांग्रेस विधायक रवींद्र धांगेकर के एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल होने के कुछ सप्ताह के भीतर आया है.

तीन बार विधायक रह चुके ‘कट्टर कांग्रेसी’ नेता थोपटे ने दावा किया है कि कांग्रेस ने उनकी वफादारी को नजरअंदाज कर दिया और मंत्री पद की नियुक्ति के वक्त भी उनके नाम पर ध्यान नहीं दिया गया.

थोपटे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व की भी सराहना की है. हाल ही में थोपटे द्वारा नियंत्रित राजगढ़ सहकारी चीनी मिल को राज्य सरकार द्वारा दी गई ऋण गारंटी को फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने वापस ले लिया था. कांग्रेस नेता बताते हैं कि महाविकास अघाड़ी (एमवीए) शासन के दौरान थोपटे विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए पार्टी की पसंद थे, लेकिन तत्कालीन राज्यपाल बीएस कोश्यारी ने इस पद के लिए चुनाव कराने की अनुमति नहीं दी थी.

2019 विधानसभा चुनाव में पुणे शहर और जिले से कांग्रेस के तीन विधायक जीते थे, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2024 में इस क्षेत्र में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला. 2019 में चुनाव जीतने वाले कांग्रेस के तीनों विधायकों में से थोपटे और धांगेकर ने पाला बदल लिया है, जिससे पार्टी के पास केवल संजय जगताप बचे हैं, जो पुणे के पुरंदर से कांग्रेस विधायक चुने गए थे.

रवींद्र धांगेकर और संग्राम थोपटे के अलावा कांग्रेस के बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटिल के पोते विशाल पाटिल भी कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं. पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान एमवीए के भीतर सीट बंटवारे में सांगली निर्वाचन क्षेत्र शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) को आवंटित किया गया था. विशाल पाटिल निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और भाजपा के दो बार के सांसद संजयकाका पाटिल को हराकर जीत हासिल की.

महाराष्ट्र के इन तीन बड़े नेताओं के अलावा पुणे के एक और पूर्व कांग्रेस विधायक और बाद में एनसीपी (शरदचंद्र पवार) में शामिल होने वाले नेता अनंतराव नारायणराव थोपटे के भी भाजपा में शामिल होने की खबर है. अनंतराव नारायणराव थोपटे महाराष्ट्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. उन्होंने दशकों तक (2004 से 2024) भोर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है. अनंतराव थोपटे को पिछले विधानसभा चुनाव में अजित पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के काशीनाथ खुटवाड़ के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था.

2004 में अनंतराव ने दोबारा इस सीट पर जीत हासिल की, इससे पहले वह 1980 में भी यहां से विधायक रहे थे. 2009 में उन्होंने अपने बेटे संग्राम थोपटे को यहां से चुनाव लड़ाया, जिसने 2014 और 2019 में भी जीत हासिल की. हालांकि, 2024 विधानसभा चुनाव में थोपटे को अजित पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट के शंकर मांडेकर के हाथों अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा.

पहलवान रहे मांडेकर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के साथ थे और बाद में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो गए थे. मांडेकर को अजित गुट ने एनसीपी में शामिल कराया और भोर सीट से चुनाव लड़वाया. कहा जाता है कि अजीत पवार ने थोपटे को हराने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी. चुनाव परिणाम आने पर थोपटे के हार से वे बेहद उत्सुक थे, क्योंकि पिछले साल एनसीपी की अपनी चचेरी बहन सुप्रिया सुले (शरदचंद्र पवार) की जीत और बारामती लोकसभा सीट से अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार की हार में थोपटे ने अहम भूमिका निभाई थी.

थोपटे के भाजपा में शामिल होने से पार्टी को उस क्षेत्र में मजबूती मिलेगी, जहां परंपरागत रूप से वह कमजोर रही है. 2029 में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा का लक्ष्य अपने दम पर चुनाव जीतना है.

दिलचस्प बात यह है कि जब अनंतराव थोपटे कांग्रेस में थे, तब वे हमेशा एनसीपी (शरदचंद्र पवार) प्रमुख शरद पवार के विरोधी माने जाते थे. भाजपा परंपरागत रूप से महाराष्ट्र में शरद पवार के प्रति अपने विरोध को बढ़ाती रही है. थोपटे के बीजेपी में शामिल होना भी शरद को इस पूरे इलाके में कमजोर करने वाली उसी रणनीति का हिस्सा है.

एक समय था, जब अनंतराव को कांग्रेस में भी मुख्यमंत्री के रूप में देखा जाता था. 2024 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान शरद पवार ने पुणे में अनंतराव और संग्राम थोपटे के घर जाकर उनसे मुलाकात की थी. थोपटे ने पवार की बेटी सुप्रिया सुले को बारामती लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ाने का समर्थन किया था, जिसका एक हिस्सा भोर विधानसभा क्षेत्र भी है.

पुणे शहर के बाहरी इलाके में स्थित भोर का भी धीरे-धीरे शहरीकरण हो रहा है. यहां शहरी, महानगरीय और भाजपा समर्थक मतदाताओं का उदय हो रहा है. इस निर्वाचन क्षेत्र में आदिवासी मतदाताओं की संख्या भी काफी है.

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