मध्य प्रदेश में ‘लव जिहाद’ के मामलों का अंबार; पुलिस क्या कह रही है?

राज्य में जिम नई सांप्रदायिक जंग का मैदान बने, जहां कुछ हिंदू धड़े मांग कर रहे हैं कि हिंदू महिलाओं को हिंदू ट्रेनर ही वर्कआउट सिखाएं

(सांकेतिक तस्वीर)
(सांकेतिक तस्वीर)

बीते दो-एक महीनों से मध्य प्रदेश पुलिस एक के बाद एक ऐसे अपराधों की श्रृंखला से निपट रही है जिनमें सांप्रदायिकता का एंगल बहुत अहम है. ये कथित ‘लव जिहाद’ के मामले सांप्रदायिक कड़ाहे को उबलता रखने का खतरा पैदा कर रहे हैं. इन मामलों को मध्य प्रदेश ‘धर्म की स्वतंत्रता कानून 2021’ के बावजूद अंजाम दिया जा रहा है. यह वही कानून है जो बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती या धोखाधड़ी के जरिए होने वाले धर्मांतरणों को रोकने के लिए बनाया गया है और जिसमें शादी के नाम पर ऐसा किया जाना भी शामिल है.

अप्रैल में भोपाल में छह मुसलमान पुरुषों को गिरफ्तार किया गया, जब एक महिला ने शिकायत की कि उनमें से कुछ ने उसका यौन शोषण किया था. महिला ने आरोप लगाया कि उनमें से एक साथ उसके अंतरंग वीडियो के बल पर उसे ब्लैकमेल किया जा रहा था. उसने पुलिस को बताया कि उस पर धर्म बदलकर इस्लाम अपनाने के लिए दबाव डाला जा रहा था.

पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धर्म की स्वतंत्रता कानून और बलात्कार कानूनों की धाराएं लगाईं. मामले ने जल्द ही बढ़कर भोपाल के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रही कई महिलाओं को अपनी चपेट में ले लिया. मामलों ने सांप्रदायिक मोड़ भी ले लिया क्योंकि सभी आरोपी अल्पसंख्यक समुदाय के थे जबकि महिलाएं हिंदू थीं. 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने 1 जुलाई को राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिरीक्षक (डीजीपी) को पत्र लिखकर उनसे कथित शोषण के बाद अपनी पढ़ाई अधबीच में छोड़ देने वाली शिकायकर्ताओं को कॉलेज में फिर दाखिला मिलना सुनिश्चित करने के लिए कहा. एनएचआरसी ने हर महिला के लिए राज्य सरकार की तरफ से घोषित 50,000 रुपए की धनराशि बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दी.

आयोग ने राज्य सरकार से शिकायतकर्ताओं को बहाल करने और मामले की वजह से पढ़ाई अधबीच छोड़ देने वाली छात्राओं की फीस चुकाने को कहा. आयोग ने उन पुलिस कर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए भी कहा जिन्होंने उस रेस्तरां को ढहाने का आदेश दिया था जिसमें महिलाओं का कथित यौन शोषण हुआ था. आयोग ने इसे सबूत नष्ट करने की तरह बताया.

अप्रैल में ही एक और मामले में उज्जैन जिले के बिछड़ोद गांव की तीन नाबालिग सहित चार हिंदू लड़कियों ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई कि उनके साथ बलात्कार किया गया और जबरन धर्म बदलने के लिए बाध्य किया जा रहा था. मामले के छहों आरोपी मुसलमान और उनमें एक नाबालिग है.
जून में उज्जैन के नागदा में अल्पसंख्यक समुदाय के चार पुरुषों के खिलाफ धर्म की स्वतंत्रता कानून के तहत मामला दर्ज किया गया, जब चार हिंदू लड़कियों ने आरोप लगाया कि उनका यौन शोषण किया गया और धर्म बदलने के लिए कहा गया.

मई में इंदौर की ड्रीम ओलिंपिक शूटिंग एकेडमी के कोच मोहसिन खान के खिलाफ एक पूर्व छात्रा का यौन शोषण करने के लिए मामला दर्ज किया गया. लड़की ने दावा किया कि 2023 में उसे परेशान किया गया और इस पूरे दौरान मुंह न खोलने के लिए धमकियां दी गईं. पुलिस ने दावा किया कि खान के फोन में लड़कियों का शोषण करते हुए उसके वीडियो थे, जिनमें ज्यादातर उसकी छात्राएं थीं. बजरंग दल की स्थानीय शाखा ने मामले को ‘लव जिहाद’ का मामला करार दिया.

जून में ही साहिल शेख और अल्ताफ शाह नाम के दो आदमियों ने आरोप लगाया कि इंदौर नगर निगम के कांग्रेसी पार्षद अनवर कादरी ने उन्हें हिंदू औरतों से शादी करने और उनका धर्म बदलवाने के लिए धन दिया था. पुलिस ने कादरी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया. मामले ने तब राजनैतिक मोड़ ले लिया जब कांग्रेस ने आरोपों को राजनैतिक बदले की कार्रवाई करार दिया.

राज्य में बने जिम नई सांप्रदायिक जंग के मैदान बनकर उभरे हैं, जहां कुछ हिंदू धड़े मांग कर रहे हैं कि हिंदू महिलाओं को हिंदू ट्रेनर ही वर्कआउट सिखाएं. भोपाल के एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर का वीडियो वायरल हुआ जिसमें वह कथित तौर पर जिम के मालिकों से मुस्लिम ट्रेनरों को इजाजत नहीं देने के लिए कह रहा था. हंगामा मचने के बाद उसका तबादला कर दिया गया.

राज्य पुलिस ने मामलों की जांच के लिए भोपाल के महानिरीक्षक अभय सिंह की अगुआई में एक विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन किया है. पुलिस महिला विरोधी अपराध प्रकोष्ठ ने कॉलेज छात्राओं के लिए एडवाइजरी भी जारी की है. सिंह कहते हैं, “मामलों की जांच चल रही है और जल्द ही रिपोर्ट दी जाएगी.”

हालांकि सूत्रों ने बताया है कि जांच में कोई वित्तीय पहलू या संगठित गिरोह के काम करने का सबूत नहीं मिला है. कांग्रेस ने कानून और व्यवस्था की स्थिति के लिए सत्तारूढ़ बीजेपी को दोषी ठहराया. कांग्रेस के प्रवक्ता अब्बास हफीज ने कहा, “राज्य में होने वाले किसी भी अपराध के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर बीजेपी जिम्मेदार है क्योंकि वे अब करीब दो दशकों से सत्ता में हैं. यह सांप्रदायिक नहीं बल्कि महिलाओं के आम तौर पर राज्य में असुरक्षित होने का मुद्दा है.” इन मामलों में कथित तौर पर सांप्रदायिक बयान देने वाले बीजेपी नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए हफीज ने यह भी कहा : “सांप्रदायिक बयान केवल सद्भाव बिगाड़ते हैं और कुछ निश्चित पार्टियों को वोट हासिल करने में मदद करते हैं.”

जब हिंदू धड़े ‘लव जिहाद’ को तूल दे रहे थे, एक ऐसा मामला सामने आया जिसमें महिला मुसलमान थी और कथित तौर पर एक हिंदू नौजवान ने मुसलमान का भेष धरकर उससे दोस्ती की थी. इसने कुछ मुस्लिम धड़ों को ‘लव जिहाद’ शब्द की परिभाषा को ही चुनौती देने के लिए उकसाया.
इस बीच हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई जिसमें कहा गया कि मीडिया को अपनी रिपोर्टिंग में ‘लव जिहाद’ शब्द का इस्तेमाल करने से रोका जाए. अदालत ने दखल देने से इनकार कर दिया.

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