राजस्थान उपचुनाव : वसुंधरा राजे के गढ़ में BJP कैसे हार गई?
राजस्थान की अंता विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में BJP उम्मीदवार मोरपाल सुमन को कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया के सामने शिकस्त झेलनी पड़ी है

राजस्थान की सियासत में अहम माने जाने वाले हाड़ौती क्षेत्र ने इस बार बड़ा सियासी संकेत दिया है. बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में BJP को अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा है. इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद जैन भाया ने BJP के मोरपाल सुमन को 15,594 वोटों के अंतर से हराया है.
अंता विधानसभा क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया का प्रभाव क्षेत्र है और उनके बेटे, सांसद दुष्यंत सिंह के निर्वाचन क्षेत्र में आता है. यही वजह है कि पार्टी के इस हार को पचा पाना आसान नहीं होगा. BJP की यह हार इसलिए भी अहम है क्योंकि पार्टी उम्मीदवार मोरपाल सुमन के लिए टिकट की पैरवी से लेकर उनके चुनाव प्रबंधन तक का पूरा जिम्मा वसुंधरा राजे और दुष्यंत सिंह के पास था.
BJP उम्मीदवार की हार में निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा की सबसे अहम भूमिका मानी जा सकती है क्योंकि उन्हें 53,800 वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे. इन हालात में सुमन की हार को पूर्व सीएम के घटते प्रभाव से जोड़कर देखा जा रहा है. राजे के साथ ही BJP की इस हार को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के लिए भी बड़ी सियासी चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है.
आमतौर पर विधानसभा उपचुनाव में सत्तारुढ़ दल की जीत का ट्रेंड रहा है मगर अंता में BJP की हार को लेकर सियासी सवाल खड़े हो रहे हैं. BJP की हार की एक बड़ी वजह पार्टी के दिग्गज मंत्रियों में शुमार किरोड़ी लाल मीणा, मदन दिलावर और हीरालाल नागर जैसे नेताओं की अंता विधानसभा उपचुनाव से दूरी को भी माना जा रहा है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक BJP का ही एक धड़ा यह नहीं चाहता था कि यहां पार्टी को जीत हासिल हो. वसुंधरा राजे को उनके गढ़ में कमजोर करने के लिए इस धड़े ने अंता उपचुनाव से दूरी बनाए रखी.
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर हाड़ौती संभाग से आते हैं और अनुसूचित जाति के मतदाताओं में गहरी पैठ रखते हैं. इसी तरह कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा भी एसटी वोटों पर मजबूत पकड़ रखते हैं. सियासी जानकार मानते हैं कि अगर किरोड़ी लाल मीणा सक्रिय होते तो निर्दलीय नरेश मीणा को 53 हजार 740 वोट हासिल नहीं होते. नरेश मीणा और BJP उम्मीदवार मोरपाल सुमन को मिले मतों का अंतर महज 128 वोट का रहा है.
राजस्थान के ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर भी हाड़ौती संभाग से ही आते हैं. अंता में नागर के सक्रिय नहीं होने का खमियाजा भी BJP को उठाना पड़ा है क्योंकि और इस क्षेत्र में नागर मतदाताओं की बड़ी तादाद है. राजनीतिक विश्लेषक गजेंद्र सिंह कहते हैं, ''अंता में BJP की हार का एक अहम कारण अति आत्मविश्वास भी रहा है क्योंकि वसुंधराराजे और दुष्यंत सिंह का प्रभाव क्षेत्र होने के कारण यहां BJP अपनी जीत पक्की मानकर चल रही थी.''
अंता में BJP की हार मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के लिए भी सियासी चुनौती है. राजस्थान में उपचुनाव में आमतौर पर सत्तारुढ़ पार्टी को फायदा मिलता रहा है मगर अंता की इस हार को सत्ता व संगठन विरोधी लहर के तौर पर देखा जा रहा है. नवंबर 2024 में प्रदेश में छह सीटों पर हुए उपचुनाव में BJP को पांच सीटों पर जीत हासिल हुई थी. सरकार बनने के एक साल बाद ही पांच सीटों पर जीत से मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के सियासी कद में बढ़ोतरी हुई थी मगर अंता की इस हार से उनका सियासी कद घटा है. अंता के BJP प्रत्याशी मोरपाल सुमन के पक्ष में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और BJP प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने दो रोड शो किए थे. रोड शो के दौरान पहली बार वसुंधरा राजे और भजनलाल शर्मा एक ही खुली जीप पर सवार नजर आए थे.
2023 के विधानसभा चुनाव में अंता से BJP के विधायक चुने गए कंवरलाल मीणा को अदालत से तीन साल की सजा होने के बाद जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत विधानसभा से उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई थी.
वर्ष 2005 के पंचायतराज चुनाव में एसडीएम रामनिवास मेहता पर पिस्तौल तानने के मामले में कंवरलाल मीणा दोषी पाए गए थे. एडीजे कोर्ट ने दिसंबर 2020 में राजकार्य में बाधा डालने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और एसडीएम पर पिस्तौल तानने को लेकर तीन साल की सजा सुनाई थी. मीणा ने एडीजे कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी. पांच साल तक हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई चली. हाईकोर्ट ने सजा को बरकार रखते हुए मीणा को तीन सप्ताह में सरेंडर करने के निर्देश दिए. इसके बाद मीणा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया मगर वहां से भी राहत नहीं मिली. इसके बाद मीणा ने अकलेरा कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया.
2023 में कंवरलाल मीणा ने कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया को पांच हजार से अधिक वोटों से शिकस्त दी थी. प्रमोद जैन भाया ने अब BJP से अपनी हार का बदला ले लिया है. निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा और BJP के मोरपाल सुमन ने 'भाया' के भ्रष्टाचार को चुनावी मुद्दा बनाया था. चुनाव में 'भाया रे भाया, खूब खाया' नारा खूब गूंजा था मगर जनता ने मीणा और सुमन को नकार कर 'भाया' के नाम पर मुहर लगा दी. भाया चौथी बार विधायक चुने गए हैं.
हालांकि, अंता में कांग्रेस की जीत से प्रदेश में सरकार को किसी तरह का नुकसान नहीं होने वाला है. फिलहाल, 200 सदस्यों वाली राजस्थान विधानसभा में BJP के 117 और कांग्रेस के 67 सदस्य हैं.
अंता उपचुनाव में BJP की यह हार एक सीट को कम करने वाली ही नहीं बल्कि राजस्थान की सियासी हवा में बदलाव का संकेत भी दे रही है.