राजस्थान: नए-नवेले मुख्यमंत्री की छवि तोड़कर भजनलाल शर्मा कैसे खुद को कद्दावर नेता साबित कर रहे!
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 2021 में पुलिस में SI भर्ती को बरकरार रखने और फर्जी नियुक्तियों को हटाने का मजबूत फैसला लेकर हर किसी को हैरान कर दिया है

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा विवादास्पद मुद्दों पर मजबूती से फैसला लेकर आलोचक और सहयोगी दोनों को चौंका रहे हैं. जिन मामलों पर उनके पीछे हटने की उम्मीद लगाई जा रही थी, उन मुद्दों पर कड़ा रुख अपनाकर उन्होंने साफ संदेश दिया है कि वे किसी दबाव में झुकने वाले नहीं हैं.
इसका सबसे ताजा उदाहरण 2021 की सब-इंस्पेक्टर (SI) भर्ती परीक्षा को रद्द न करने का उनका फैसला है, जो पेपर लीक और अन्य अनियमितताओं के आरोपों के कारण विवादों में घिर गया था. राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) ने इस परीक्षा के माध्यम से 857 उम्मीदवारों का चयन किया था.
हालांकि, 2023 में भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के बाद जांच में बड़ी खामियां सामने आईं. कुछ अभ्यर्थियों के स्थान पर कथित तौर पर फर्जी उम्मीदवार परीक्षा दे रहे थे.
कुछ जगहों पर प्रश्नपत्र लीक होने की खबर भी सामने आई और यहां तक कि RPSC के कुछ सदस्य भी कथित तौर पर इस गड़बड़ी में शामिल थे. इस मामले में अब तक लगभग 50 प्रशिक्षु SI को गिरफ्तार किया जा चुका है. इनके अलावा एक वर्तमान RPSC सदस्य और एक पूर्व सदस्य को भी गिरफ्तार किया गया है.
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल और यहां तक कि कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा जैसे नेताओं ने इस परीक्षा को पूरी तरह रद्द करने की मांग की है. परीक्षा रद्द करने की मांग करने वाली एक याचिका राजस्थान हाई कोर्ट में भी लंबित है.
हालांकि, भजनलाल शर्मा सरकार ने एक उप-समिति की समीक्षा के बाद परीक्षा परिणाम को बरकरार रखने का फैसला किया है. अधिकारियों का तर्क है कि केवल परीक्षा में असफल होने वाले कैंडिडेट्स ही इस परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे थे, जबकि सरकार अनुचित तरीकों से चयनित SI प्रशिक्षुओं की पहचान कर उन्हें हटाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है.
इंडिया टुडे से बातचीत में भजनलाल शर्मा ने अपने फैसले का बचाव किया. उन्होंने कहा, "कई चयनित उम्मीदवारों ने SI बनने के लिए दूसरी सरकारी नौकरियां छोड़ दी थीं. जो छात्र परीक्षा पास नहीं कर पाए, वे दोबारा कोशिश कर सकते हैं. लेकिन हमें SI के रिक्त पदों को समय पर भरना होगा. परीक्षा रद्द करने से सिर्फ कुछ ही लोगों को मदद मिलेगी."
भजनलाल शर्मा का तर्क कई लोगों को पसंद आया है. राजस्थान में परीक्षाएं रद्द होना और उनमें देरी होना तो मानो आम बात हो गई है. आलोचक इसके लिए कोचिंग सेंटरों को जिम्मेदार ठहराते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि कोचिंग सेंटर वाले इस तरह की लंबी अनिश्चितताओं से फायदा उठाते हैं. सरकारी नौकरियों में देरी से सबसे ज्यादा उम्मीदवारों को ही नुकसान होता है.
सीएम भजनलाल शर्मा ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) परीक्षा को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों से निपटने में भी काफी मजबूती दिखाई है. कुछ अभ्यर्थियों ने ऑपरेशन सिंदूर का हवाला देते हुए परीक्षा स्थगित करने की मांग की थी, लेकिन मुख्यमंत्री ने इस तरह की मांग को ठुकरा दिया.
उन्होंने पूछा, "RAS अधिकारी बनने की तैयारी कर रहे किसी व्यक्ति के पास पढ़ाई के बजाय धरने पर बैठने का समय कैसे हो सकता है?" उन्होंने आगे कहा, "मेधावी छात्र हमेशा चाहते हैं कि परीक्षाएं समय पर हों."
सरकारी नौकरियों में अवैध तरीकों के इस्तेमाल किए जाने की समस्या राजस्थान में एक दशक से भी ज्यादा समय से जारी है. राज्य में पेपर लीक विवादों का एक लंबा इतिहास रहा है. भजनलाल शर्मा के कार्यकाल में जांच और रोकथाम दोनों के लिए एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया गया है.
SI परीक्षा के मुद्दे पर भजनलाल शर्मा का मजबूत फैसला बेनीवाल की दिल्ली तक मार्च निकालने की धमकी के बिल्कुल उलट है. इसके बाद ही खबर आई कि स्थानीय प्रशासन ने नागौर में 11 लाख रुपए बकाया वाला एक बिजली कनेक्शन काट दिया है. यह कनेक्शन कथित तौर पर बेनीवाल के भाई के नाम पर है. प्रशासन ने बेनीवाल और उनके पूर्व विधायक भाई को पद पर नहीं होने के बावजूद सरकारी आवास पर कब्जा जमाए रहने की वजह से बेदखली का नोटिस भी दिया है.
हनुमान बेनीवाल ने सरकार के इन फैसलों को राजनीति से प्रेरित करार दिया है. नाम न बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा, "बेनीवाल की पार्टी के पास विधानसभा में एक भी विधायक नहीं है. ऐसे में वे राजनीतिक रूप से प्रासंगिक बने रहने की कोशिश कर रहे हैं. उनके बिजली बकाया और सरकारी आवास में तय समय से ज्यादा समय तक रहने का मामला उजागर किया जाना चाहिए."
वहीं, बेनीवाल ने दावा किया है कि बिजली बिल पर बातचीत चल रही है और सरकारी आवास का किराया भी दिया जा रहा है. इसके जवाब में उन्होंने सोशल मीडिया पर एक अभियान शुरू किया है, जिसमें पार्टी समर्थकों को एकजुट किया जा रहा है और भजनलाल शर्मा को हटाने की मांग की जा रही है.
इसमें कोई दो राय नहीं कि भजनलाल शर्मा इन सबसे बेफिक्र हैं. जानकारों का मानना है कि मुख्यमंत्री, जिन्हें कभी कमजोर समझा जाता था, अब तेजी से राजनीति के दांव-पेच सीख रहे हैं. यही नहीं अब वो उम्मीद से कहीं ज्यादा तेजी से अपनी बात भी रख रहे हैं. जैसे-जैसे नए राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी उन्हें चुनौती देने के लिए आगे आ रहे हैं, वे यह दिखाने के लिए मजबूत दिखाई दे रहे हैं कि उन्हें आसानी से नहीं दबाव में कुछ करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता