राजस्थान में खुद कृषि मंत्री को नकली खाद-बीज कारोबारियों पर छापामारी क्यों करनी पड़ी?
राजस्थान में 29 मई से कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा नकली दवा-खाद बनाने वाली फैक्ट्रियों पर छापामारी की खुद अगुवाई कर रहे हैं

राजस्थान के कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा 29 मई को जयपुर से भीलवाड़ा के लिए रवाना हुए. दोपहर दो बजे उनका काफिला जैसे ही किशनगढ़ के पास रलावता गांव के पास पहुंचा उन्होंने अपनी सरकारी गाड़ी छोड़ दी और एक लोडिंग टैंपो में सवार होकर कच्चे रास्ते पर निकल लिए.
मीणा के साथ चल रहे अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को कुछ समझ आता इससे पहले ही उन्होंने किशनगढ़ के उदयपुर कलां में एक खाद बनाने वाली फैक्ट्री पर धावा बोल दिया. इस फैक्ट्री में नकली मार्बल की स्लरी, बजरी और बालू रेत में रंग मिलाकर डीएपी (डाई अमोनियम फॉस्फेट), एसएसपी (सिंगल सुपर फॉस्फेट) और पोटेशियम जैसे उर्वरक बनाए जा रहे थे.
मार्बल पाउडर में काला रंग मिलाकर डीएपी, सफेद रंग मिलाकर एसएसपी और भूरा रंग मिलाकर पोटेशियम (पोटाश) तैयार किया जा रहा था. यहां इस तरह की एक नहीं बल्कि 13 फैक्ट्रियां मिली जिनमें नकली खाद बनाई जा रही थी. यही नकली खाद इफको और अन्य नामी कंपनियों का ठप्पा लगाकर देश के 16 राज्यों में भेजी जा रही थी. यह मामला सिर्फ 13 कंपनियों तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह भी सामने आया है कि तमिलनाडु और दिल्ली से जैविक खाद बनाने का लाइसेंस लेकर करीब 50 कंपनियां राजस्थान में नकली खाद बनाने के खेल में जुटी थी.
किरोड़ी लाल मीणा ने यह कार्रवाई इतने गुपचुप तरीके से की कि उनके विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को भी इसकी भनक नहीं लगी. इस कार्रवाई को इतने गोपनीय ढंग से इसलिए अंजाम दिया गया क्योंकि मार्बल की नगरी माने जाने वाले किशनगढ़ के आस-पास इतनी बड़ी तादाद में नकली खाद तैयार करने वाली फैक्ट्रियां चल रही थीं मगर न तो कृषि विभाग के अधिकारियों और न ही पुलिस ने कभी इन पर कोई कार्रवाई की जहमत उठाई.
किशनगढ़ के आस-पास जिन कंपनियों पर नकली खाद बनाने को लेकर कार्रवाई की गई है उनमें ट्रॉपिकल एग्रो सिस्टम, अतिशय बायोटेक इंडस्ट्री, राघव एग्रो इंडस्ट्री श्री गोवर्धन एग्रो, दिव्या एग्रो फूड इंडस्ट्री, श्री एग्रो, मंगलदीप बायो फर्टिलाइजर एंड कैमिकल, ग्रीन एग्रो इंडस्ट्री, सत्वम एग्रो, राधिका बायो फर्टिलाइजर और अरावली फर्टिलाइजर शामिल हैं. इन सभी कंपनियों को सीज कर दिया गया है.
मंत्री की छापेमारी का सबसे बड़ा असर ये हुआ है कि प्रदेश में नकली खाद-बीज बनाने वाली फैक्ट्रियां उनके यहां बनने वाले नकली खाद-बीज को अब खुद ही ठिकाने लगाने लगी हैं. 30 मई को किशनगढ़ में सैकड़ों टन नकली खाद सड़क के किनारे फेंक दिया गया वहीं 5 जून को बीकानेर के छत्तरगढ़ के पास मोतीगढ़ गांव में बड़ी तादाद में नकली बीज हाइवे के किनारे बिखरा मिला. प्रदेशभर में नकली खाद व बीज की जांच के लिए सघन अभियान शुरू किया गया है. इसके लिए 160 सदस्यों की एक टीम बनाई गई है जो प्रदेशभर में खाद व बीज के सैंपल लेकर उनकी जांच करेगी. दोषी पाए जाने वाली फर्मों के खिलाफ चार माह के भीतर कार्रवाई की जाएगी.
नकली खाद-बीज बनाने वाली फैक्ट्रियों पर मंत्री किरोड़ी का प्रहार यहीं नहीं रुका. 5 दिन बाद ही वो राजस्थान के गंगानगर जिले में पहुंच गए और नकली बीज तैयार करने वाली 15 फैक्ट्रियों पर धावा बोल दिया. इन फैक्ट्रियों में किसानों से खरीदे गए बीज पर रंग का लेप चढ़ाकर उसे हाइब्रिड के नाम से पैकिंग करते हुए देखकर मंत्री ने माथा पकड़ लिया. फर्म मालिकों को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘‘किसानों के भरोसे के साथ इससे बड़ा धोखा नहीं हो सकता. महंगे बीज के नाम पर किसान को लूटा जा रहा है वहीं नकली खाद से उसकी जमीन बंजर हो रही है. इस अक्षम्य अपराध के लिए इन सबको सजा मिलेगी.’’
इन कार्रवाइयों पर कृषि मामलों के जानकार डीसी जाखड़ कहते हैं, ‘‘पिछले कई साल से राजस्थान के किसान यह शिकायत कर रहे थे कि उन्होंने बाजार से ब्रांडेड महंगा बीज खरीदा था मगर खेत में बुआई के बाद वह उगा ही नहीं. इसके साथ ही किसानों की यह भी शिकायत थी कि हाइब्रिड बीज खरीदने के बाद भी उसकी ग्रोथ सही नहीं हुई. नकली खाद जहां जमीन की उर्वरा शक्ति को नष्ट कर रहे हैं वहीं नकली बीज फसल की उत्पादन क्षमता को घटा रहा है.’’
कृषि विभाग और बीज उत्पादक फर्मों के बीच मिलीभगत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले पांच साल में घटिया क्वालिटी के बीज पाए जाने पर एक भी फर्म के मालिक को जेल नहीं भेजा गया. वर्ष 2020 से 2024 तक प्रदेश में बीज के 60 हजार सैंपल लिए गए जिनमें से 1451 सैंपल नकली पाए गए. राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता अभिमन्यु यदुवंशी कहते हैं, ‘‘बीज अधिनियम 1966 की धारा 15 की उपधारा (2) के तहत बीज का नमूना लिए जाने के बाद उसकी राज्य बीज प्रयोगशाला जांच होती है और जांच में अगर वह सब-स्टैंडर्ड (अमानक) पाया जाता है तो बीज निर्माता फर्म के मालिक के खिलाफ 3 से 7 साल की सजा का प्रावधान है.’’
कृषि मंत्री की छापेमारी में इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कॉऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) का भी नाम उभरकर सामने आया. किशनगढ़ के पास एक फैक्ट्री में इफको लिखे हुए बैग्स में नकली खाद का भंडार मिला. नकली खाद को लेकर जब इफको की किरकिरी होने लगी तो इफको की ओर से एक्स पर यह स्पष्टीकरण दिया गया, ‘‘किशनगढ़ में मंत्री किरोड़ी लाल मीणा की कार्रवाई के बाद इफको के उत्पादों को लेकर भ्रामक दुष्प्रचार किया जा रहा है. जहां छापामारी हुई है वहां इफको का कोई भी उर्वरक प्राप्त नहीं हुआ.’’ इस स्पष्टीकरण के बाद जब किशनगढ़ की एक फैक्ट्री में प्लास्टिक के बैग्स पर इफको लिखी हुई तस्वीरें जारी हुई तो यह बयान डिलीट कर दिया गया.
हालांकि, इस प्रकरण के बाद इफको की परेशानी बढ़ती नजर आ रही है. भादरा के पूर्व विधायक बलवान पूनिया ने नकली खाद के लिए इफको के जिम्मेदार अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज करने की मांग करते हुए 16 जून को हनुमानगढ़ में चक्काजाम करने का ऐलान किया.
कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के खाद-बीज बनाने वाली कंपनियों पर एक्शन को लेकर सूबे में सियासत भी तेज हो गई है. राजस्थान एग्रीकल्चरल इनपुट डीलर्स एसोसिएशन ने इस कार्रवाई का विरोध करते हुए 5 जून से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी. एसोसिएशन के अध्यक्ष पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कहा, ‘‘बीज उत्पादकों पर मनमाने तरीके से कार्रवाई की जा रही है. अचानक फैक्ट्रियों और दुकानों में घुसकर बीज को नकली बताना आतंकित करने जैसा है. पहले जांच होनी चाहिए, जांच में कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो कार्रवाई की जानी चाहिए.
वहीं कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी मंत्री की इस छापेमारी को बीज व्यापारियों को भयभीत करने वाला बताया है. डोटासरा का कहना है, ‘‘मंत्री को खुद गोदामों और फैक्ट्रियों में जाने की जगह ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि प्रदेश में कोई नकली खाद-बीज नहीं बेच सके. नकली खाद बीज बनाने वालों को पकड़कर कार्रवाई करो, मगर कार्रवाई के नाम पर सही खाद-बीज बनाने वालों को डराया धमकाया जा रहा है जो सही नहीं है.’’
हालांकि मीणा को केंद्र सरकार पूरा समर्थन मिल रहा है. केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी ने भी नकली खाद को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है. चौधरी ने कहा है, ‘‘पिछले 5-10 साल से किशनगढ़ के आस-पास इन कंपनियों का जाल फैला है. पिछली सरकारों के दौरान यह धंधा खूब फल-फूल रहा था. हम किसानों के साथ धोखा करने वालों को किसी भी कीमत पर माफ नहीं करेंगे.’’