पारस अस्पताल हत्याकांड : चश्मदीदों ने क्या बताया; डॉक्टर-सिक्योरिटी गार्ड्स पर क्यों लग रहे आरोप?

पटना के पारस अस्पताल में एक सजायाफ्ता अपराधी की दिन-दहाड़े हुई हत्या ने राजनीतिक माहौल भी गर्म कर दिया है

पटना पारस हॉस्पिटल में गैंगस्टर चंदन मिश्रा की हत्या का CCTV फुटेज
पटना पारस हॉस्पिटल में गैंगस्टर चंदन मिश्रा की हत्या का CCTV फुटेज

बिहार की राजधानी पटना में 17 जुलाई की सुबह हुए सनसनीखेज हत्याकांड ने पूरे राज्य को दहशत में ला दिया है. पटना के एक बड़े कॉरपोरेट अस्पताल पारस में सुबह करीब सवा सात बजे पांच अपराधी हाथ में पिस्तौल लिए घुस गए और उन्होंने दूसरे तले पर जाकर एक प्राइवेट रूम में भर्ती एक सजायाफ्ता अपराधी चंदन मिश्रा की गोली मारकर हत्या कर दी. 

सुबह-सवेरे इस बहुचर्चित अस्पताल में हुई इस हत्या ने इसलिए भी लोगों की पेशानी पर बल ला दिया, क्योंकि यह अस्पताल मुख्यमंत्री आवास से महज चार किमी की दूरी पर एक भीड़ भरे बाजार के बीच है. साथ ही यह भी कि हाल के दिनों में बिहार में ऐसी सनसनीखेज हत्याओं के मामले बढ़े हैं, इसको लेकर विपक्ष तो सरकार पर हमलावर है ही लोजपा (रामविलास) नेता चिराग पासवान भी अपने ही गठबंधन की सरकार पर सवाल उठा रहे हैं. 

कैसी हुई हत्या?

अस्पताल से जुड़े एक व्यक्ति से मिली जानकारी के मुताबिक अपराधियों ने पहले मुख्य रास्ते से प्रवेश करने की कोशिश की, मगर उन्हें दो-तीन जगह सुरक्षाकर्मियों ने पास मांगकर रोका. उसके बाद वे रेडियोलॉजी वाले हिस्से से अस्पताल में घुसे. यह हिस्सा पीछे पड़ता है और सुबह के वक्त यहां सुरक्षाकर्मी नहीं थे. ये अपराधी अंदर आकर सीढ़ियों से ऊपर चढ़ गए. 

इस घटना को लेकर जारी सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक 7.25 बजे पांचों लोग 209 नंबर कमरे के सामने पहुंचे, फिर वहां इन सभी ने पिस्तौल निकाली और कमरे के अंदर घुसकर गोलियां चंदन मिश्रा पर दाग दी. बताया जा रहा है कि चंदन बीमार था और इन लोगों के घुसने पर वह उठ भी नहीं पाया. 
इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी राजू कुशवाहा ने बताया, “मैंने उन अपराधियों को वारदात के बाद सीढ़ियों से उतरते देखा,  सभी के हाथ में पिस्तौल थी. उन्हें रोकने के लिए कोई सुरक्षागार्ड नहीं था. मैं अपने पापा का इलाज कराने यहां आया हूं, मगर यहां सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है. मेरे घर के लोग इस बात को लेकर काफी परेशान हैं.”

कौन है मृतक चंदन और हत्या की वजह क्या बताई जा रही है?

इस घटना के बाद पत्रकारों से बात करते हुए बक्सर पुलिस के एसडीपीओ धीरज ने बताया कि मृतक चंदन मिश्रा बक्सर के सोनबरसा थानाक्षेत्र का रहने वाला था. उसके पिता का नाम श्रीकांत मिश्रा है. चंदन सजायाफ्ता अपराधी था और इलाज कराने के लिए उसे 15 दिन का पेरोल मिला था. पेरोल की अवधि खत्म ही होने वाली थी कि यह घटना हो गई.

बक्सर पुलिस के मुताबिक चंदन मिश्रा का आपराधिक इतिहास रहा है. वह 25 मामलों में अभियुक्त रहा है. बक्सर, आरा और नवादा जिलों में दर्ज इन मामलों में से सात हत्या के मामले हैं और बाकी रंगदारी और आर्म्स एक्ट के. उस पर प्रिजनर्स एक्ट के मुकदमे भी हैं. व्यापारी राजेंद्र कुमार की हत्या के मामले में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. उसके गंभीर आपराधिक इतिहास को देखते हुए उसे बक्सर से दूसरे जेल में ट्रांसफर किया गया था.

वहीं पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्तिकेय के. शर्मा ने मीडिया को बताया कि चंदन मिश्रा को बक्सर से भागलपुर जेल ट्रांसफर किया गया था. वह इलाज कराने पेरोल पर था. अपराधी दो मोटरसाइकिल से आए थे. वे हत्या करके के बक्सर की तरफ भागे. चंदन को कई गोलियां मारी गईं. ऐसा लगता है कि विरोधी गुट की तरफ से उसकी हत्या की गई है. हम बक्सर पुलिस से इस मामले में जानकारी मांग रहे हैं.

बताया जाता है कि बक्सर में चंदन-शेरू गुट काफी चर्चित रहा है. बाद में चंदन और शेरू के बीच अनबन हो गई थी. भागलपुर जेल में भी दोनों के बीच झगड़े की खबर आई थी. सीसीटीवी में नजर आ रहे अपराधियों में से एक तौसीफ को पुलिस ने हिरासत में लिया है और पूछताछ कर रही है. 

इस घटना के बाद पारस अस्पताल पहुंचे मृतक चंदन मिश्रा के पिता श्रीकांत मिश्रा ने अस्पताल प्रबंधन पर मिली भगत का आरोप लगाया. इस मामले में उन्होंने एक डॉक्टर का भी नाम लिया. वहीं सेंट्रल रेंज (पटना) के आईजी जितेंद्र राणा ने भी पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि अभी इस मामले में अस्पताल के सुरक्षाकर्मियों के शामिल होने की बात को खारिज नहीं किया जा सकता और पुलिस इस एंगल से भी मामले की जांच करेगी.

तेजस्वी ने सरकार को घेरा, चिराग भी सवाल उठा रहे

इस घटना के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि आज सुबह से बिहार में पांच लोगों की हत्या हो गई है. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “अपराधियों ने पारस अस्पताल में भर्ती शख्स को ICU में घुसकर मारी गोली. बिहार में कोई भी कहीं भी सुरक्षित नहीं? 2005 से पहले ऐसे होता था जी?”

एनडीए के सहयोगी चिराग पासवान ने भी इस घटना को लेकर बिहार की बिगड़ी कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “आज पटना के रिहायशी इलाके में स्थित पारस अस्पताल के अंदर घुसकर अपराधियों द्वारा सरेआम गोलीबारी की घटना इस बात का प्रमाण है कि अपराधी अब कानून और प्रशासन को सीधी चुनौती दे रहे हैं. बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बढ़ते अपराधिक मामले चिंताजनक है. उम्मीद है कि प्रशासन जल्द ही कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए ठोस और कड़े कदम उठाएगी.”
घटना के बाद निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने पारस अस्पताल में जाकर मामले को समझने की कोशिश की, मगर वहां मौजूद पुलिस ने उन्हें अंदर जाने नहीं दिया.

पुराने बयान की कारण घिर गये एडीजी कुंदन कृष्णन

बिहार पुलिस के अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन का वह बयान इस घटना के बाद दिन भर चर्चा में रहा, जिसमें उन्हें यह कहते हुए बताया गया कि अप्रैल, मई, जून महीनों में हमेशा से हत्याएं होती रहीं हैं. क्योंकि इन दिनों में किसानों के पास कोई खास काम नहीं होता. 

हालांकि उन्होंने यह बयान इस वारदात से एक दिन पहले एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दिया था, जब वे बिहार में शूटरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एक सेल के गठन की घोषणा कर रहे थे.

उनके इस बयान को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में तेजस्वी यादव ने कहा, “यह बचकाना बयान है, अगर इन महीनों में हत्या अधिक होती है और पुलिस कुछ कर नहीं पाती तो पुलिस को छुट्टी पर चले जाना चाहिए.”

वहीं चिराग पासवान ने कुंदन कृष्णन से इस बयान के लिए माफी मांगने कहा. उन्होंने कहा, “हमारे अन्नदाता किसानों को अपरोक्ष रूप से हत्यारा बताना न सिर्फ उनके मान-सम्मान का अपमान है बल्कि उनके त्याग और परिश्रम का भी अनादर है. अपराधियों पर शिकंजा कसने के बजाय बिहार पुलिस का ध्यान बेवजह के बयानों पर ज्यादा है, जो बेहद चिंताजनक है. प्रशासन को अपनी प्राथमिकता स्पष्ट करनी चाहिए.”

इस बीच जदयू के वरिष्ठ नेता ललन सिंह का बयान भी काफी चर्चा में रहा. उन्होंने इस हत्या को क्राइम मानने से ही इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, “अभी हम और ई बैठे हैं, हम इनको मार देंगे, ई हमको मार देंगे, ई क्राइम है? आपसी विवाद है. आपसी विवाद में घटनाएं होती हैं.”

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