क्या नोएडा में हैट्रिक लगा पाएंगे भाजपा के महेश शर्मा?
गौतमबुद्ध लोकसभा सीट (नोएडा) पर भाजपा, सपा-कांग्रेस और बसपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है और पिछली दो बार से यह सीट जीत रहे भाजपा के डॉ. महेश शर्मा के लिए इस बार सिकंदराबाद, जेवर और खुर्जा इलाके चुनौती बन गए हैं

उत्तर प्रदेश के ‘शो विंडो’ के रूप में पहचान रखने वाला गौतमबुद्ध नगर या नोएडा रामायण और महाभारत काल की स्मृतियां संजोए हुए है. यहां के दनकौर में द्रोणाचार्य और बिसरख में रावण के पिता विश्वेश्रवा ऋषि का प्राचीन मंदिर आज भी स्थित है. ग्रेटर नोएडा स्थित रामपुर जागीर गांव में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 1919 में मैनपुरी षड्यंत्र करके फरार हुए प्रसिद्ध क्रांतिकारी राम प्रसाद 'बिस्मिल' भूमिगत होकर कुछ समय के लिए रहे थे.
नोएडा ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे के किनारे स्थित नलगढ़ा गांव में भगत सिंह ने भूमिगत रहते हुए कई बम-परीक्षण किए थे. यहां आज भी एक बहुत बड़ा पत्थर सुरक्षित रखा हुआ है. ब्रिटिश आर्मी व मराठों की सेना के बीच 11 सितंबर 1803 को हुए निर्णायक युद्ध के स्मारक के रूप में नोएडा के गोल्फ कोर्स परिसर के अंदर ब्रिटिश जनरल गेरार्ड लेक की स्मृति को दिखाता अंग्रेज वास्तुविद एफ. लिस्मन द्वारा बनाया हुआ ‘जीतगढ़ स्तम्भ’ आज भी दूर से ही दिखाई देता है.
इस जिले की स्थापना 9 जून 1997 को बुलंदशहर एवं गाजियाबाद जिलों के कुछ ग्रामीण व अर्धशहरी क्षेत्रों को काटकर की गई थी. इस जिले का महत्व इसकी सीमा में आने वाली प्रमुख औद्योगिक इकाइयों और दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरीडोर के कारण तो है ही, नोएडा, ग्रेटर नोएडा जैसे अत्यधिक विकासशील औद्योगिक प्राधिकरणों के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में समायोजित कर लिए जाने से यह और भी अधिक विस्तृत हो गया है.
साल 2008 के परिसीमन ने इस क्षेत्र को अलग पहचान दी और गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट अस्तित्व में आई. इस तरह गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास तीन चुनाव पुराना ही है. इससे पहले यह जिला खुर्जा लोकसभा सीट के अंतर्गत आता था. पिछले नतीजों की बात करें तो इस सीट के गठन के बाद वर्ष 2009 में इस पर हुए पहले चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने जीत हासिल की थी. इसमें बसपा के प्रत्याशी सुरेंद्र नागर ने भाजपा उम्मीदवार डॉ. महेश शर्मा को 15 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था.
इसके बाद 2014 में राजनीतिक समीकरण कुछ बदले तो डॉ महेश शर्मा ने चुनाव जीतकर भाजपा का खाता खोला. इस चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) दूसरे और बसपा तीसरे नंबर पर थी. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा के गठबंधन में गौतमबुद्ध नगर सीट पर बसपा के उम्मीदवार ने चुनाव लड़ा. डॉ. महेश शर्मा तीसरी बार भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और लगातार दूसरी बार जीत हासिल करने में कामयाब रहे.
2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने डॉ. महेश शर्मा के गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट पर हैट्रिक लगाने के दावे के साथ चौथी बार उम्मीदवार बनाया है. इस तरह गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट के गठन के बाद से हुए हर चुनाव में डॉ. महेश शर्मा भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरे हैं. डा. शर्मा के सामने सपा-कांग्रेस गठबधन के प्रत्याशी और गुर्जर समाज से ताल्लुक रखने वाले डा. महेंद्र नागर और बसपा के राजपूत समाज से ताल्लुक रखने वाले राजेंद्र सिंह सोलंकी हैं.
गौतमबुद्ध लोकसभा सीट का जातीय गणित भाजपा समर्थक वोट बैंक से काफी हद तक सामंजस्य रखता है. यहां पर करीब 27 लाख मतदाता हैं. इनमें करीब 4 लाख क्षत्रिय, 3.5 लाख ब्राह्मण, 3.5 लाख गुर्जर, 4 लाख दलित, 3 लाख वैश्य, 3 लाख मुस्लिम, 2 लाख त्यागी, 2 लाख यादव, 1 लाख जाट और बाकी अन्य जातियों के मतदाता हैं. गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट पर पांच विधानसभा क्षेत्र नोएडा, दादरी, जेवर, खुर्जा और सिकंदराबाद हैं.
जातिगत समीकरणों के हिसाब से भाजपा नोएडा, दादरी विधानसभा क्षेत्र को ही अपने लिए सबसे ज्यादा सुरक्षित मानकर चल रही है. हालांकि खुर्जा और सिकंदराबाद विधानसभा सीट भगवा दल के लिए इस बार कुछ चुनौतीपूर्ण हो गई हैं. नोएडा के एक निजी कालेज में प्राचार्य रहे रामेश्वर दास अग्रवाल बताते हैं, “सिकंदराबाद और खुर्जा में ठाकुर मतदाताओं की आबादी अपेक्षाकृत अधिक है और पिछले कुछ दिनों से क्षत्रिय समाज के एक तबका भाजपा के विरोध में है. इसके अलावा पिछले वर्ष त्यागी समाज से हुए विवाद के बाद भी इस बार डॉ. महेश शर्मा का कुछ इलाकों में विरोध हो रहा है.” इसलिए भाजपा संगठन सिकंदराबाद और खुर्जा पर खास ध्यान दे रहा है.
लोकसभा चुनाव से पहले सिकंदराबाद विधानसभा क्षेत्र में ही पीएम मोदी की रैली हुई थी. सिकंदराबाद विधानसभा क्षेत्र के झाझर में 18 अप्रैल को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनसभा की. योगी ने भाजपा उम्मीदवार डॉ. महेश शर्मा के लिए वोट मांगे. इस सभा के लिए भाजपा ने पूरा जोर लगा दिया था.
गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट पर भाजपा की चुनौती देख विपक्षी दल भी इसी इलाके में जोर लगा रहे हैं. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने प्रत्याशी डॉ. महेंद्र नागर के लिए वोट की अपील करने के लिए यहां पहुंच रहे हैं. 22 अप्रैल को बसपा सुप्रीमो मायावती भी अपने प्रत्याशी राजेंद्र सिंह सोलंकी के लिए यहां सभा करने आ रही हैं. चार दिन बाद, 26 अप्रैल को यहां वोटिंग होनी है.
सपा के प्रत्याशी डॉ. महेंद्र नागर ग्रेटर नोएडा में लंबे समय तक कांग्रेस में सक्रिय रहे हैं. कांग्रेस इस बार सपा के साथ गठबंधन में है. रामेश्वर दास अग्रवाल बताते हैं, “सिकंदराबाद में कांग्रेस के पास समर्थन है. वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र से सपा ने बढ़िया चुनाव लड़ा था. यहां भले ही सपा हार गई थी लेकिन उसके उम्मीदवार को 96 हजार से ज्यादा वोट मिले थे. उस समय कांग्रेस ने भी प्रत्याशी उतारा था. अब सपा और कांग्रेस गठबंधन को सिकंदराबाद विधानसभा सीट पर बढ़े वोटों का फायदा मिलने की उम्मीद है.”
वहीं बसपा उम्मीदवार राजेंद्र सिंह सोलंकी सिकंदराबाद के पूर्व विधायक हैं. पश्चिम यूपी में भाजपा के विरोध में खड़ा ठाकुर समाज सोलंकी का समर्थन कर रहा है. इससे भी गौतमबुद्ध नगर सीट पर भाजपा उम्मीदवार डॉ. महेश शर्मा की चुनौती बढ़ी है. इससे पहले यह सरगर्मी खुर्जा विधानसभा क्षेत्र में थी. खुर्जा में यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की जनसभा हो चुकी है. इसी तरह गौतमबुद्ध नगर लोकसभा क्षेत्र में शामिल जेवर विधानसभा क्षेत्र में भी मतदाताओं का मिजाज मिलाजुला देखने को मिल रहा है.
लोकसभा के 2014 और 2019 के जो दो चुनाव भाजपा जीती है इनमें जेवर सीट पर जीत का अंतर 4 अन्य सीटों के मुकाबले सबसे कम रहा है. अगर आंकड़ों की बात करें तो यह बढ़त सात हजार के आसपास ही ठहरती है. वहीं भाजपा उम्मीदवार डॉ. महेश शर्मा गौतमबुद्ध नगर सीट पर शहरी मतदाताओं पर भरोसा जता रहे हैं. डॉ. महेश शर्मा शहरी मतदाताओं के साथ गुर्जर, जाट और अति पिछड़ा वर्ग पर अधिक जोर दे रहे हैं. भाजपाई ब्राह्मण, वैश्य, पंजाबी, कायस्थ और प्रवासी मतदाताओं को अपना परंपरागत वोट मानते हुए वंचितों और खासकर मुस्लिम समुदाय की महिला मतदाताओ में सेंध लगाने में जुटे हैं.