ओडिशा उपचुनाव : सिर्फ एक सीट के लिए मोहन माझी हर दांव आजमाने को क्यों हैं बेताब?

ओडिशा की नुआपाड़ा विधानसभा सीट अब तक बीजू जनता दल (BJD) का अभेद्य किला मानी जाती थी लेकिन उपचुनाव से पहले उसका संभावित उम्मीदवार BJP के खेमे में चला गया है

ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी (फाइल फोटो)

ओडिशा में नुआपाड़ा विधानसभा सीट पर 11 नवंबर को उप-चुनाव होने जा रहा है. BJP की ओर से सत्ता की बागडोर संभालने वाले सीएम मोहन माझी की यह पहली राजनीतिक परीक्षा है. भले ही ओडिशा में उपचुनाव सिर्फ एक सीट पर हो रहा है लेकिन सरकार की अगुवाई करने के लिहाज से वे इस उपचुनाव की गंभीरता पूरी तरह समझ रहे हैं. 

इसकी एक झलका 11 अक्टूबर को तब दिखी जब बीजू जनता दल (BJD) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री राजेंद्र ढोलकिया के बेटे जय ढोलकिया ने पार्टी का साथ छोड़, सत्तारूढ़ BJP का दामन थाम लिया. वह भी तब, जब BJD की ओर से नुआपाड़ा सीट से उन्हें प्रत्याशी घोषित करना लगभग तय माना जा रहा था. 

नुआपाड़ा वह सीट है, जहां से साल 2004 में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी राजेंद्र ढोलकिया ने अपने चुनावी करियर की शुरूआत की. जीत के बाद वे BJD में शामिल हो गए. इसके बाद वे 2009 का विधानसभा चुनाव यहां से जीते, 2014 में हारे और फिर 2019 और 2024 में भी जीत हासिल की. कुल मिलाकर राजेंद्र ढ़ोलकिया के राजनीतिक और सामाजिक नेतृत्व से बना BJD का एक ऐसा गढ़, जो लगभग अभेद्य सा रहा है. बीते सितंबर में उनके निधन से यह सीट खाली हो गई थी. इसके बाद मोहन माझी ने BJD के इस अभेद्य किले में पहला वार कर दिया है और चुनाव से पहले बड़ा झटका दे दिया है. जय के इस कदम ने उपचुनाव के राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह बदल दिया है. 

इससे पहले BJD ने उपचुनाव की तैयारियां शुरू कर दी थीं, जिसमें पदयात्रा और व्यापक मतदाता संपर्क अभियान की योजना बनाई गई थी. स्थानीय नेता चाहते थे कि ढोलकिया परिवार का प्रतिनिधित्व जारी रहे ताकि दिवंगत विधायक का वफादार वोट बैंक पार्टी के साथ बना रहे. BJD के वरिष्ठ नेता और उपाध्यक्ष देबी प्रसाद मिश्रा ने हाल ही में संकेत दिया था कि पार्टी जय ढोलकिया को उनके पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए उम्मीदवार बना सकती है. मिश्रा ने कहा था, "नुआपाड़ा का विकास हमेशा बीजू बाबू की दृष्टि और राजेंद्र धोलकिया के नेतृत्व से जुड़ा रहा है.” 

जय के BJP में शामिल होने का बैकग्राउंड क्या है?

11 अक्टूबर को भुवनेश्वर स्थित पार्टी मुख्यालय में जिस वक्त जय ढोलकिया को BJP की सदस्यता दिलाई जा रही थी, सीएम मोहन माझी, डिप्टी सीएम केवी सिंहदेव, प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन सामल, खेल मंत्री सूर्यवंशी सूरज सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे. आखिर जय को पार्टी में लाने का यह निर्णय किन परिस्थितियों में लिया गया?

BJP के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "पार्टी ने उस सीट पर इंटरनल सर्वे कराया था. हमारी स्थिति खराब नहीं, लेकिन मजबूत भी नहीं थी. ऐसी परिस्थिति में अगर हम चुनाव हार जाते तो अगले विधानसभा चुनाव तक ये बात हमारी सरकार को परेशान करती. केवल जीत ही हमारे लिए इस वक्त जरूरी है. यही वजह रही कि हमने विनिंग कैंडिडेट पर ध्यान लगाया.” 

मुख्यमंत्री मोहन माझी जय ढोलकिया के BJP में शामिल होने के मौके पर

दूसरी बात ये है कि अब BJD किसी भी कैंडिडेट को वहां से खड़ा करती है तो उसके लिए लड़ाई बहुत मुश्किल हो चुकी है. इसी बात का हवाला देते हुए बीजेपी नेता कहते हैं, "संभावित हार को देखते हुए नवीन पटनायक चुनाव प्रचार में सीधे तौर पर शामिल नहीं होंगे. अगर ऐसा होता है तो इसका नकारात्मक असर पूरी BJD पर पड़ने वाला है. तीसरी बात ये है कि इस संभावित हार से BJD के अंदर वे लोग फिर मुखर होंगे जो वीके पांडियन का विरोध करते हैं. इस संभावित हार से उनको बल मिलेगा. एक तीर से कई शिकार किए गए हैं. सीएम माझी की एक बेहतरीन राजनीतिक चाल के तौर पर भी इसे देखा जा रहा है.”  

हालांकि एक सवाल यह भी है कि ओडिशा में BJP की सरकार बने एक साल से ज्यादा हो गया है. ऐसे में क्या पार्टी के पास इस सीट पर कोई उम्मीदवार नहीं था? इस पर पार्टी के प्रदेश महासचिव डॉ. जतिन मोहंती कहते हैं, "कैंडिडेट पिछली बार भी थे, इस बार भी हैं. BJP को पूरे प्रदेश में कहीं भी कैंडिडेट की कमी नहीं है. वैसे भी हम सत्ता में हैं, कैंडिडेट की कमी भला क्यों होगी.” तो फिर BJD से नेता क्यों लाना पड़ा? मोहंती कहते हैं, "इसे ऐसे नहीं कह सकते कि लाना पड़ा. जय ढोलकिया खुद BJP में शामिल होना चाहते थे. उनके पिता शानदार जन नेता रहे हैं. जय की राजनीतिक समझ और पकड़ भी पिता की तरह है. अच्छे लोग अगर BJP में शामिल होना चाहते हैं, तो हमें क्या दिक्कत होगी.’’ 

सवाल ये भी है, बदली हुई परिस्थिति में BJD क्या करेगी? पार्टी के प्रवक्ता लेनिन मोहंती कहते हैं, "मैं अभी इस परिस्थिति पर कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हूं. पार्टी में विचार-विमर्श चल रहा है.’’  

क्या ढोलकिया के लिए सबकुछ इतना आसान है 

जय ढोलकिया के BJP में शामिल होने के बाद सत्तारूढ़ पार्टी के सामने नुआपाड़ा सीट जीतने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. उनका दल परिवर्तन BJP के लिए शुरुआती बढ़त लेकर आया है, लेकिन अब उन पर यह जिम्मेदारी है कि वे अपने पुराने BJD समर्थक वोट बैंक को बनाए रखें और साथ ही स्थानीय वरिष्ठ BJP नेता बसंत पांडा का पूरा सहयोग भी हासिल करें. 

खास बात यह है कि बसंत के बेटे अभिनंदन ने 2024 के विधानसभा चुनाव में लगभग 45,000 वोट हासिल किए थे. हालांकि पार्टी को भरोसा है अभिनंदन किसी तरह का विद्रोह नहीं करेंगे. साथ ही इस बात की भी संभावना फिलहाल कम है कि वे जवाबी हमले के तौर पर BJD में शामिल हो जाएंगे. 

वर्तमान स्थिति में BJP थोड़ी बढ़त में दिख रही है, लेकिन राजनीति में एक हफ्ता भी बहुत लंबा समय होता है. नुआपाड़ा में BJD अभी भी एक मजबूत शक्ति है. दूसरी तरफ BJP और BJD की लड़ाई में कांग्रेस को भरोसा है कि वह बाजी मार ले जाएगी. यही वजह है कि उसने अपनी पिछली गलती को सुधारते हुए घासीराम माझी को मैदान में उतारा है. घासीराम 2024 में इस सीट से निर्दलीय चुनाव लड़े थे और दूसरे स्थान पर रहे थे. वे राजेंद्र ढोलकिया के सामने महज 10 हजार वोटों से चुनाव हारे थे. बीते विधानसभा चुनाव में तगड़ा दावेदार होने के बावजूद उन्हें कांग्रेस से टिकट नहीं मिल पाया था. हालांकि इससे पहले साल 2019 में बतौर कांग्रेस प्रत्याशी रहते हुए भी वे दूसरे स्थान पर थे. 

त्रिकोणीय होते दिख रहे इस उप-चुनाव में सभी की नज़रें नुआपाड़ा पर टिकी हैं. यह मुख्यमंत्री मोहन मझी के नेतृत्व की अग्निपरीक्षा बन गया है. इस अहम जंग में हार का विकल्प उनके पास नहीं है. जाहिर है, नुआपाड़ा उपचुनाव मुख्यमंत्री मोहन मझी के लिए एक निर्णायक राजनीतिक चुनौती बन गया है. इस चुनाव का परिणाम प्रतीकात्मक तौर पर ही सही, उनके लिए खासा महत्व रखता है. जीत से जहां उनकी नेतृत्व क्षमता मजबूत होगी और सरकार की स्थिति मजबूत होगी, वहीं हार पार्टी के भीतर असहजता पैदा कर सकती है. इसी वजह से यह उपचुनाव एक तरह से माझी सरकार के प्रदर्शन पर जनमत-संग्रह के रूप में देखा जा रहा है. 

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