महाराष्ट्र के बुलढाणा में 300 लोगों के अचानक गंजे होने के पीछे क्या है वजह?

महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के 18 गांवों में लगभग 300 लोग (जिनमें से कई कॉलेज के छात्र और युवा लड़कियां हैं) गंभीर रूप से बाल झड़ने की समस्या से जूझ रहे हैं. इनमें से ज्यादातर पूरी तरह से गंजे हो गए हैं

क्या बच्चे और क्या बूढ़े, सभी इस अचानक गंजेपन की समस्या से पीड़ित हैं
क्या बच्चे और क्या बूढ़े, सभी इस अचानक गंजेपन की समस्या से पीड़ित हैं

वैसे तो बालों का झड़ना एक नियमित प्रक्रिया है जहां हर रोज 50 से 100 बाल गिरते हैं. स्वाभाविक रूप से हेयर ग्रोथ के तीन चरण होते हैं जिनमें ग्रोथ (वृद्धि), रेस्ट (ठहराव) और फॉल (गिरना) शामिल हैं. लेकिन क्या हो कि कोई इंसान अगली सुबह जगे, और जब अपने बालों पर हाथ फिराए तो अचानक बकबका उठे, 'अरे! मेरे तो आधे बाल खत्म हो गए हैं!'

उस इंसान के तनाव और झुंझलाहट की स्थिति तब और सातवें आसमान पर पहुंच जाएगी, जब उसे पता चलेगा कि महज दो-तीन दिन के भीतर ही उसके सिर पर एक भी बाल नहीं बचा. महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में कुछ ऐसा ही हुआ, जहां दिसंबर-जनवरी के बीच 18 गांवों में करीब 300 लोगों में से ज्यादातर महज दो-तीन दिन के भीतर ही पूरी तरह से गंजे हो गए.

क्या पुरुष, क्या महिलाएं और क्या बच्चे, इस अचानक बाल झड़ने की समस्या ने किसी को नहीं बख्शा. इसने 8 से 72 साल के उम्र के लोगों को समान रूप से प्रभावित किया. यहां तक कि कॉलेज जाने वाले लड़के-लड़कियां भी इससे अछूते नहीं रह सके. जब बहुतायत में लोगों ने बताना शुरू किया कि उनके बाल पूरी तरह झड़ रहे हैं तो अधिकारी मामले की जांच के लिए हरकत में आए.

कई लोगों के अचानक बाल झड़ने की लगातार रिपोर्ट मिलने के बाद जिला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बोंडगांव, कालवाड़ और हिंगना गांवों में पहुंचे, जांच शुरू की और इस घटना का कारण जानने के लिए मरीजों की जांच की. प्रभावित लोगों के नमूने जांच के लिए भेजे गए. वहां के पानी को भी टेस्टिंग के लिए भेजा गया.

हालांकि, फिर भी यह रहस्य बना हुआ ही था कि अचानक बाल झड़ने के पीछे क्या वजह है. इधर, घटना के प्रकाश में आने के बाद पूरे जिले में चिंता और दहशत का माहौल फैल गया. लेकिन अब, कई सप्ताह तक इस समस्या के रहस्य बने रहने के बाद विशेषज्ञों और स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस मामले से पर्दा उठाया है.

विशेषज्ञों ने इस अचानक फैली गंजेपन की बीमारी के पीछे टॉक्सिक (जहरीले) गेहूं के उपभोग को जिम्मेदार बताया है. पद्मश्री से सम्मानित डॉ. हिम्मतराव बावस्कर द्वारा किए गए एक स्टडी से पता चलता है कि बुलढाणा के लोगों में इस अचानक गंजेपन की समस्या के पीछे उनके द्वारा खाए जा रहे गेहूं में मौजूद विषैले तत्व हो सकते हैं.

करीब महीने भर तक चली इस स्टडी में डॉ. बावस्कर ने पाया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत जो गेहूं लोगों में वितरित किया गया और जिसे वहां के लोगों ने खाया, उसमें सेलेनियम का स्तर उच्च था, जबकि जिंक की मात्रा काफी कम थी.

दरअसल, जिन गांवों में गंजापन फैला है, वहां के लोग राशन दुकानों पर निर्भर हैं. डॉ. बावस्कर ने बोंदगांव के सरपंच रामेश्वर धारकर से वहां राशन में आ रहे गेहूं के बोरे के फोटो और सैंपल मंगवाए. इस जांच में पता चला कि गेहूं शिवालिक पर्वतीय क्षेत्र के नीचे की जमीन से निकला हुआ है और शिवालिक पर्वतीय क्षेत्र से बारिश के दिनों में बड़े झरने निकलते हैं. वहां के पत्थरों में सेलेनियम की मात्रा ज्यादा होती है और झरनों के पानी के साथ सेलेनियम भी उपजाऊ जमीन में मिल जाता है.

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में डॉ. बावस्कर ने कहा, "प्रभावित इलाके से गेहूं के हमारे विश्लेषण से पता चला कि इसमें स्थानीय रूप से उगाई जाने वाली किस्म की तुलना में 600 गुना अधिक सेलेनियम था. माना जाता है कि सेलेनियम का यह उच्च सेवन एलोपेसिया के मामलों का कारण है. यह स्थिति तेजी से विकसित हुई, इन गांवों में लक्षण शुरू होने के तीन से चार दिनों के भीतर पूरी तरह से गंजापन हो गया."

एलोपेसिया एक त्वचा संबंधी बीमारी है जिसमें बाल झड़ने लगते हैं. यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अपने ही ऊतकों और अंगों पर हमला करती है. बहरहाल, गेहूं के नमूने ठाणे की वर्नी एनालिटिकल लैब में भेजे गए, जहां सेलेनियम का स्तर 14.52 मिलीग्राम/किग्रा पाया गया, जो सामान्य 1.9 मिलीग्राम/किग्रा से काफी अधिक था.

डॉ. बावस्कर ने यह भी बताया कि गेहूं की ये सभी खेपें पंजाब से आई हैं. उन्होंने कहा, "खून, पेशाब और बाल के नमूनों में सेलेनियम की मात्रा में क्रमशः 35 गुना, 60 गुना और 150 गुना वृद्धि देखी गई. इससे पता चलता है कि बहुत ज्यादा सेलेनियम का सेवन इस प्रकोप की सीधी वजह है. हमारी टीम ने यह भी पाया कि प्रभावित लोगों में जिंक का स्तर काफी कम था, जो अतिरिक्त सेलेनियम के कारण होने वाले संभावित असंतुलन की ओर इशारा करता है."

डॉ. बावस्कर के मुताबिक इस समस्या से प्रभावित जिले में 8 साल से लेकर 72 साल तक के लोग गंजे हो रहे हैं. उन लोगों को 'कलंक' का सामना करना पड़ रहा है, बच्चों ने स्कूल-कॉलेज जाना बंद कर दिया है, युवाओं की जो शादियां तय थीं, वे टूट गई हैं. हालांकि, उन्होंने अभी तक अपनी स्टडी रिपोर्ट प्रशासन को नहीं सौंपी है.

इधर, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों ने परीक्षण के लिए इलाके से पानी और मिट्टी के नमूने भी एकत्र किए, जिससे बाल झड़ने की समस्या से पीड़ित लोगों के खून में सेलेनियम के उच्च स्तर की पुष्टि हुई. आईसीएमआर ने अपनी जांच रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है, लेकिन अभी तक इसका ब्योरा सामने नहीं आया है.

क्या है सेलेनियम का बालों के साथ रिश्ता?

शरीर को उचित वृद्धि और विकास के लिए मैक्रोन्यूट्रिएंट्स के अलावा कई ट्रेस मिनरल्स की जरूरत होती है. ट्रेस मिनरल्स, वे खनिज होते हैं जिनकी शरीर में बहुत कम मात्रा में ज़रूरत होती है. इन्हें माइक्रोमिनरल्स भी कहा जाता है. ये शरीर की उचित वृद्धि और विकास में अहम भूमिका निभाते हैं.

सेलेनियम भी ऐसा ही एक ट्रेस मिनरल है जिसकी शरीर को कई अहम कामों को करने के लिए जरूरत होती है, जिनमें प्रजनन, डीएनए का संश्लेषण, थायराइड हार्मोन मेटाबॉलिज्म, ऑक्सीडेटिव नुक्सान को कम करना और बालों के विकास जैसे काम शामिल हैं. हालांकि, सप्लीमेंट के रूप में इस ट्रेस मिनरल की जरूरत से ज्यादा मात्रा लेने से बाल झड़ भी सकते हैं.

सेलेनियम जरूरत भर मात्रा में तो बालों के लिए अच्छा है. लेकिन जैसे किसी भी चीज की अति आखिर में नुकसानदायक ही साबित होती है, वैसे ही सेलेनियम भी है. हर रोज सेलेनियम का अत्यधिक सेवन करने से टेलोजन एफ्लुवियम जैसी बाल झड़ने की समस्या हो सकती है.

ऐसा इसलिए है क्योंकि सेलेनियम बालों की पूरी संरचना को बदल देता है, जिससे बाल झड़ने लगते हैं या बालों के प्राकृतिक ग्रोथ साइकल में बाधा उत्पन्न होती है और बालों के रोम निष्क्रिय अवस्था में चले जाते हैं. सेलेनियम बालों को इतना भंगुर बना देता है कि वे टूटने लगते हैं.

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