मध्य प्रदेश : भोपाल में नाम बदलने पर फिर घमासान, कैसे आया पाकिस्तान एंगल

हमीदिया अस्पताल और हमीदिया कॉलेज के नाम को लेकर उठी है मांग, जिनका नाम भोपाल के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान के नाम पर रखा गया था. कुछ बीजेपी नेताओं का आरोप है कि वे पाकिस्तान समर्थक थे

CM Mohan Yadav
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव

सार्वजनिक स्थानों और सरकारी इमारतों का नाम बदलने का विवाद भोपाल में फिर शुरू हो गया है. बीजेपी नेताओं की मांग है कि सरकार की ओर से संचालित हमीदिया अस्पताल और हमीदिया कालेज का नाम बदला जाए.

सरकारी गांधी मेडिकल कॉलेज से जुड़े इस अस्पताल और कॉलेज का नाम भोपाल के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान के नाम पर है. भोपाल नगर निगम (बीएमसी) के कुछ बीजेपी नेताओं की यह मांग उनके इस दावे पर आधारित है कि आखिरी नवाब अपनी रियासत को पाकिस्तान में मिलाने के इच्छुक थे और लिहाजा वे देशद्रोही थे. बीजेपी नेताओं ने अपने दावे के समर्थन में कोई सबूत पेश नहीं किया है.

पिछले हफ्ते, बीजेपी पार्षदों ने बीएमसी में एक संकल्प पेश किया, जिसमें हमीदिया अस्पताल और हमीदिया कॉलेज का नाम बदलने की मांग की गई. विपक्ष की नेता शबिस्ता ज़की के नेतृत्व में कांग्रेस पार्षदों ने इस आधार पर इसका विरोध किया कि बीएमसी के पास इमारतों का नाम बदलने का अधिकार नहीं है. हालांकि, सदन में प्रस्ताव पारित हो गया.

इससे पहले बीएमसी सदन ने एक प्रस्ताव पारित कर भोपाल के अशोका गार्डन इलाके का नाम बदलकर रामबाग करने की मांग की थी. बीजेपी पार्षद ने दावा किया कि क्षेत्र का असली नाम रामबाग था. 

कांग्रेस नेता अब्बास हाफिज कहते हैं कि ऐसी मांगें सिर्फ़ भोपाल की असली समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए हैं. उन्होंने कहा, "बीजेपी नेताओं को लगता है कि सांप्रदायिक मांगें उठाने से उन्हें अपने राजनीतिक करियर में जान फूंकने में मदद मिलेगी."

बीजेपी नेताओं के एक वर्ग ने पहले भी भोपाल के पूर्व नवाब पर निशाना साधा था. उनके खिलाफ दो दावे किए गए- पहला, उन्होंने भारत में विलय की संधि पर हस्ताक्षर करने में देर की, और दूसरा, रायसेन में भोपाल प्रिंसली स्टेट के भारत में जल्द विलय की मांग कर रहे युवाओं पर भोपाल स्टेट पुलिस ने फायरिंग की थी.
 
मोटे तौर पर भोपाल और मध्य प्रदेश में नाम बदलने का विवाद नई बात नहीं है.  वर्ष 2021 में, प्रशासन ने भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति के नाम पर रखा था. रानी कमलापति 18वीं शताब्दी में इस क्षेत्र पर शासन करने वाली गोंड राजकुमारी थीं. 

मध्यकालीन परमार शासक राजा भोज के नाम पर भोपाल का नाम बदलकर 'भोजपाल' करने की भी मांग उठी है. मोहन यादव सरकार ने अभी तक इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा है. हालांकि प्रशासन ने जनवरी में उन कुछ गांवों के नाम बदल दिए थे, जिनके नामों में 'इस्लामी' झलक दिखाई देती थी. 

Read more!