झारखंड : माओवाद से निकले नहीं, आतंकवाद में फंसे!

झारखंड में माओवाद खात्मे की ओर है लेकिन इस बीच पुलिस ने यहां से कई आतंकवादियों की निशानदेही की है

History of Terrorism in Pakistan
सांकेतिक तस्वीर

झारखंड पुलिस की मानें तो राज्य में 95 फीसद तक नक्सलवादी खत्म हो चुके हैं और इनके प्रभाव में आने वाले इतने क्षेत्र से इनका पूरी तरह सफाया कर दिया गया है. 

पुलिस के दावे काफी हद तक सही भी नजर आ रहे हैं. बीते जनवरी से जून माह तक नक्सलियों से संबंधित दर्ज मामलों की संख्या महज 124 रही है. लेकिन राज्य की पुलिस बीते कुछ सालों से आतंकवाद की नई चुनौती से जूझ रही है. 

झारखंड पुलिस की एंटी टेरेरिस्ट स्क्वाड ने राज्य के 285 ऐसे लोगों की पहचान की है जिनका संबंध किसी न किसी आतंकी संगठन से है. इनमें इंडियन मुजाहिदीन, आईएसआईएस, सिमी, लश्कर-ए-तैयबा, पीएफआई जैसे संगठनों से जुड़े संदिग्ध लोग हैं. पिछले एक साल में राज्य से कुल 11 लोगों को विभिन्न आतंकी संगठनों से जुड़े होने या काम करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. यह रिपोर्ट आतंकियों की झारखंड या राज्य से बाहर से हुई गिरफ्तारी और उसमें पूछताछ में आए संदिग्ध लोगों के नाम और पते के आधार पर तैयार की गई है. 

झारखंड के 285 लोग देश–विदेश में सक्रिय प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से जुड़े हुए हैं. ये संदिग्ध राज्य के 10 जिलों में फैले हुए हैं. राज्य में सबसे ज्यादा 113 संदिग्ध पाकुड़ जिले के रहने वाले हैं, जिनमें 111 लोग पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़े हैं. वहीं रांची जिले में 49 संदिग्ध हैं, जिनमें 18 आईएसआई, 2 अलकायदा और 3 हिजबुल से जुड़े हैं. 

जिलावार आंकड़ा देखें तो पाकुड़ में 113, साहिबगंज में 65, रांची में 49, जमशेदपुर में 22, हजारीबाग में 17, रामगढ़ में 6, लोहरदगा में 5, धनबाद में 5, गढ़वा में 3, बोकारो में 1, गोड्डा में 1, चतरा में 1, लातेहार में 1 और खूंटी में 1 आतंकी की पुलिस ने पहचान की है. 

संगठन के लिहाज से देखें तो पीएफआई से जुड़े 175, अल कायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट से 49, इंडियन मुजाहिदिन से जुड़े 21, आईवाईएफ से 13, सिमी से 6, आईएसआइएस से 12, जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) से 4, लश्कर-ए-तैयबा से 5, हिज्ब-उत तहरीर से 5 को चिन्हित किया है. 

हालांकि इसमें वो भी शामिल हैं जो पूर्व में किसी आतंकी घटना में शामिल होने के आरोप में जेल जा चुके हैं या उन पर ऐसे किसी मामले से संबंधित केस दर्ज है. और वो भी जो ऐसे मामले में पहले जेल गए और फिर बरी हो गए या जमानत पर बाहर हैं. 

एटीएस और अन्य खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में मौजूद ये संदिग्ध अलग–अलग आतंकी संगठनों के लिए काम कर रहे हैं. इनमें से कई लोगों का संपर्क अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से है. ताजा घटनाक्रम में बीते 31 जुलाई को गुजरात एटीएस ने बेंगलुरू से झारखंड की एक महिला शमा परवीन को गिरफ्तार किया है.

झारखंड का आतंकी संगठन से पहला कनेक्शन 28 जनवरी 2002 को सामने आया था. यहां उन आतंकियों का एनकाउंटर हुआ था जो 22 जनवरी 2002 को कोलकाता में अमेरिकन सूचना केंद्र पर हुए हमले में शामिल थे. मारे गए आतंकियों के नाम इदरीश और सलीम था. 
 
बात गिरफ्तारियों की करें तो गुजरात एटीएस ने 25 दिसंबर 2020 को जमशेदपुर के मानगो सहारा सिटी से अब्दुल माजिद कुट्टी को अरेस्ट किया गया था. इसके अलावा डॉ इश्तियाक अहमद, मोहम्मद सामी, मोहम्मद कलीमुद्दीन मुजाहिरी, नसीम अख्तर, मोहम्मद मोनू, अब्दुल रहमान कटकी, इनामुल अंसारी, मोतिउर्र रहमान, शहबाज अंसारी व अल्ताफ अंसारी समेत कई आतंकियों या संदिग्धों को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और झारखंड एटीएस ने हाल के वर्षों में अरेस्ट किया है. 

नक्सलवाद अंतिम चरण में 

केंद्र सरकार की ओर से मिले निर्देश के मुताबिक झारखंड पुलिस ने 31 मार्च 2026 तक राज्य से माओवादियों के पूरी तरह खात्मे का लक्ष्य रखा है. इस साल अप्रैल में झारखंड पुलिस को अब तक की सबसे बड़ी सफलता तब मिली जब एक करोड़ के इनामी नक्सली प्रयाग मांझी को पुलिस ने मार दिया. जबकि साल 2021 में एक करोड़ रुपए के एक और इनामी और पोलित ब्यूरो मेंबर प्रशांत बोस को उनकी पत्नी शीला मरांडी के साथ गिरफ्तार किया गया था. 

राज्य बनने के बाद से अब तक यानी 25 साल में कुल 812 नक्सलियों को झारखंड पुलिस ने मारा है. जबकि इसी दौरान कुल 1089 मुठभेड़ की घटनाओं में 551 सुरक्षाकर्मी और 837 आम लोग भी मारे गए हैं. साल   2025 में (16 जुलाई तक) 21 नक्सली मारे गए हैं, जो पिछले पांच सालों में सबसे अधिक है. लेकिन पिछले महीने सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में पांच बड़े इनामी नक्सलियों को मार गिराया है. पुलिस का अनुमान है कि राज्य में अब मात्र 100-150 माओवादी सक्रिय हैं. 

इनमें एक करोड़ रुपए के इनाम वाले पोलित ब्यूरो मेंबर मिसिर बेसरा, सेंट्रल कमेटी मेंबर असीम मंडल, सेंट्रल कमेटी मेंबर पतिराम मांझी, सेंट्रल कमेटी मेंबर सहदेव सोरेन शामिल हैं. राज्य में इनामी नक्सलियों की संख्या अभी भी 56 है. इन सब पर कुल मिलाकर 5 करोड़ 46 लाख रुपए का इनाम सरकार ने रखा है. 

बीते 16 जुलाई को बोकारो जिले में पुलिस और माओवादियों के बीच एक मुठभेड़ हुई थी. जिसमें पांच लाख के इनामी नक्सली कुंवर मांझी, झारखंड पुलिस का एक जवान और एक ग्रामीण मारे गए. घटना के बाद डीजीपी अनुराग गुप्ता ने दावा किया कि राज्य से 95 प्रतिशत माओवादी खत्म हो चुके हैं. 

साल 2026 में राज्य में माओवादियों के पूरी तरह खत्म होने के डेडलाइन में मात्र 8 महीने बचे हैं. पुलिस अपने लक्ष्य को हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. आलम ये है कि जहां पहले बरसात में अभियान रुक जाता था, इस साल यह लगातार जारी है. बावजूद इसके 150 से अधिक माओवादी राज्य के पांच जिलों में सक्रिय हैं. जिसमें एक करोड़ रुपए इनाम वाले चार माओवादी तो अभी भी मौजूद हैं. 

Read more!