टिकट के पहले बंटवारे में कितनी पास हुई जन सुराज; पीके के चुनाव लड़ने पर क्यों है सस्पेंस?
बिहार चुनाव के लिए जन सुराज की तरफ से जारी उम्मीदवारों की पहली सूची में पार्टी ने काफी हद तक अपने नियम-कायदों का ख्याल रखा, हालांकि प्रशांत किशोर के चुनाव लड़ने पर अभी सस्पेंस कायम है

जन सुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने जैसे ही 9 अक्टूबर को अपनी पार्टी के 51 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की पत्रकारों की तरफ से पहला ही सवाल यह पूछा गया कि राजनीति को परिवार से निकालने का दावा करने वाली पार्टी जन सुराज ने आखिर क्यों आरसीपी सिंह की बेटी लता सिंह को टिकट दिया.
उदय सिंह इस सवाल के जवाब पर पत्रकारों को संतुष्ट नहीं कर पाए, हालांकि सूची जारी होने के बाद भी कुछ पार्टी कार्यकर्ता असंतुष्ट नजर आए और उन्होंने हंगामा किया. खासकर बेनीपट्टी और कुम्हरार के टिकट पर सवाल उठे. लोगों ने कहा, जो कार्यकर्ता शुरुआत से मेहनत कर रहे हैं, उनकी अनदेखी की गई.
फिर पार्टी के बड़े नेता इन असंतुष्टों को शांत कराने में जुटे रहे, जो मीडिया के सामने टिकट वितरण पर नाराजगी जता रहे थे. इस तरह जन सुराज ने टिकट वितरण की पहली किस्त के साथ कार्यकर्ताओं की सार्वजनिक नाराजगी का स्वाद भी चख लिया.
हालांकि इस सूची में कई नई और महत्वपूर्ण बातें भी थीं. बिहार में दशकों से जिसकी जिसकी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी का नारा लगता रहा है, मगर संभवतः पहली बार जन सुराज की इस सूची में जातीय समूहों के हिसाब से टिकट बांटे गये. टिकट वितरण की घोषणा करते वक्त उदय सिंह ने बताया कि 51 लोगों की सूची में सात एससी-एसटी, 17 अति पिछड़ा वर्ग, 11 पिछड़ा वर्ग, 7 अल्पसंख्यक और 7 सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों को टिकट दिये गये.
इस सूची में कई चौंकाने वाले नाम थे. गणित की किताबों के चर्चित लेखक प्रो. केसी सिन्हा को पार्टी ने राजधानी पटना की कुम्हरार सीट से टिकट दिया है. गोपालगंज के भोरे से किन्नर समुदाय की प्रीति किन्नर को टिकट मिला है, तो पहली बार नट समुदाय की महिला नेहा नटराजन को चेनारी से चुनाव लड़ाया जा रहा है. रोहतास की जिस करहगर सीट से प्रशांत किशोर के चुनाव लड़ने की बात कही जा रही थी, वहां से पार्टी ने भोजपुरी गायक रितेश पांडेय को टिकट दिया है.
प्रशांत किशोर चुनाव लड़ेंगे या नहीं, यह अभी-भी साफ नहीं है. मगर प्रेस कांफ्रेंस में यह बताया गया कि 11 अक्तूबर से वे राघोपुर से जन सुराज के चुनावी अभियान की शुरुआत करेंगे. दरअसल पार्टी में प्रशांत किशोर के चुनाव लड़ने को लेकर दो तरह की राय है. पहली यह कि प्रशांत को चुनाव नहीं लड़ना चाहिए, क्योंकि वे पार्टी के इकलौते स्टार कैंपेनर हैं और हर जगह उनकी सभा की मांग होगी. समय कम है और वे शायद ही सभी 243 सीटों तक जा पायें, इसलिए उनका चुनाव न लड़ना ही ठीक है.
वहीं जन सुराज के आम समर्थकों का मानना है कि प्रशांत को चुनाव लड़ना चाहिए. अगर वे सामने से लीड करेंगे तो पूरे राज्य में जन सुराज के कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ेगा और चुनाव में पार्टी की धमक रहेगी. पार्टी के बड़े पदाधिकारी अनौपचारिक बातचीत में बताते हैं कि वे लोग इस मसले पर अभी तक कोई निर्णय नहीं ले पाये हैं. करहगर सीट पर प्रत्याशी दे देने के बाद ऐसा लगता है कि प्रशांत अगर चुनाव लड़ेंगे तो शायद राघोपुर या पश्चिमी चंपारण की किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं.
मौजूदा सूची में जन सुराज की तरफ से सबसे मजबूत प्रत्याशी किशोर कुमार बताए जाते हैं, जो किशोर कुमार मुन्ना के नाम से चर्चित हैं. उन्हें सहरसा विधानसभा से उतारा जा रहा है. वे पहले भी सोनवर्षा राज विधानसभा से दो बार निर्दलीय विधायक रह चुके हैं. इस सीट के सुरक्षित होने पर उन्हें सहरसा से चुनाव लड़ना पड़ा, जहां उन्हें हर बार ठीक-ठाक वोट मिले. इसके अलावा जन सुराज अभियान के दौरान शुरुआत से पार्टी के संगठन को मजबूत करने में जुटे रहे पूर्व आईपीएस अधिकारी आरके मिश्रा को पार्टी ने दरभंगा से उतारा है.
इनके अलावा इस सूची में दो और चर्चित नाम हैं, पहला नाम जागृति ठाकुर का है जो जानेमाने समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर की पोती हैं. जिन्हें समस्तीपुर की मोरवा विधानसभा सीट से टिकट दिया गया है. इनके अलावा वाल्मिकीनगर से पार्टी ने दीर्घ नारायण प्रसाद को टिकट दिया है, वे किसी बड़े राजनीतिक दल से संभवतः थारु जनजाति से चुनाव लड़ने वाले पहले व्यक्ति होंगे.
इस सूची में जन सुराज ने अपने कई सिद्धांतों का पालन किया है, मगर कुछ सिद्धांत टूटे भी हैं. इनमें सबसे अधिक विवाद लता सिंह की उम्मीदवारी को लेकर हो रहा है, जो जदयू के पूर्व अध्यक्ष रहे और वर्तमान में जन सुराज नेता आरसीपी सिंह की बेटी हैं, उन्हें अस्थावां से टिकट मिला है.