बिहार चुनाव: क्या कन्हैया समेत यूथ कांग्रेस के दर्जनों नेताओं की राह का रोड़ा बन रहे तेजस्वी?

बिहार में 12 सीटों पर RJD, कांग्रेस, VIP और CPI के उम्मीदवार आमने-सामने हैं. इनमें से 6 सीटों पर कांग्रेस के युवा नेताओं के खिलाफ तेजस्वी ने अपने उम्मीदवार उतार दिए

तेजस्वी यादव और कन्हैया कुमार (फाइल फोटो)
तेजस्वी यादव और कन्हैया कुमार (फाइल फोटो)

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण से ठीक 4 दिन पहले 2 नवंबर को राहुल गांधी बेगूसराय पहुंचे. इस दौरान जब राहुल मछली पकड़ने के लिए तालाब में उतरे तो उनके साथ महागठबंधन के दो बड़े नेता थे. इनमें एक VIP पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी और दूसरे कांग्रेस के युवा नेता कन्हैया कुमार.

वही कन्हैया कुमार जो CPI की टिकट पर 2019 में बेगूसराय लोकसभा सीट से चुनाव लड़े, तो RJD ने गठबंधन धर्म की परवाह किए बिना उनको हराने के लिए तनवीर हसन को मैदान में उतार दिया.

परिणाम ये हुआ कि मार्च 2016 में तिहाड़ जेल से बाहर आने के बाद लालू के पैर छूकर आशीर्वाद लेने वाले कन्हैया उन्हीं के कारण चुनाव हार गए.

अब 6 साल बाद कन्हैया की तरह ही बिहार की 6 सीटों पर यूथ कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ तेजस्वी ने अपने उम्मीदवार उतार दिए. इसके बाद से ही एक बार फिर यह चर्चा जोड़ पकड़ने लगी है कि क्या तेजस्वी कांग्रेस के युवा नेताओं की राह का रोड़ा बन रहे हैं?

कांग्रेस के किन युवा नेताओं के खिलाफ RJD ने उम्मीदवार उतारे?

इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में 12 सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं. महागठबंधन के नेता इस मुकाबले को फ्रेंडली-फाइट बता रहे हैं.

इन 12 में से 6 ऐसी सीटें हैं, जहां कांग्रेस ने अपने युवा नेताओं को मौका दिया है. लेकिन, इन नेताओं के सामने तेजस्वी ने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं.  हालांकि, बाद में एक सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार ने अपना समर्थन RJD प्रत्याशी को देने का ऐलान किया है. इस फ्रेंडली फाइट का सबसे ज्यादा असर महागठबंधन के कोर वोट बैंक पर पड़ना तय है.

कांग्रेस और RJD के वोटर यहां दुविधा में हैं कि आखिर वे किसे वोट दें. आखिर उनका असली उम्मीदवार कौन है? कई सीटों पर तो RJD और कांग्रेस दोनों के कैंडिडेट यादव हैं, सो यह दुविधा और बढ़ गई है.

इन सीटों पर RJD-कांग्रेस में टकराव होगा -

वैशाली: यहां RJD के अजय कुशवाहा और कांग्रेस के संजीव कुमार आमने-सामने हैं. संजीव यूथ कांग्रेस के नेता भी हैं. कांग्रेस पिछली बार यहां दूसरे नंबर पर थी. यही वजह है कि कांग्रेस इस सीट को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है.

सुल्तानगंज: RJD के चंदन सिन्हा का मुकाबला कांग्रेस के ललन यादव से है. ललन यादव 2020 में दूसरे स्थान पर थे. ललन भी सोशल मीडिया पर खुद को यूथ कांग्रेस का नेता बताते हैं.

कहलगांव: RJD के रजनीश भारती के सामने कांग्रेस पार्टी के प्रवीण कुशवाहा हैं. प्रवीण इससे पहले भागलपुर और पटना से भी चुनाव लड़ चुके हैं. इन दोनों के सामने JDU उम्मीदवार शुभानंद मुकेश हैं. कांग्रेस के सीनियर नेता सदानंद सिंह के कारण यह कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती है. इसके बावजूद यहां RJD ने अपना उम्मीदवार उतार दिया.

नरकटियागंज: RJD के दीपक यादव और कांग्रेस के शाश्वत केदार पांडेय (पूर्व CM केदार पांडेय के पोते) मैदान में हैं. कांग्रेस यहां भी पिछली बार दूसरे नंबर पर थी.

सिकंदरा: कांग्रेस यहां 2020 में दूसरे स्थान पर थी और इसे अपनी मजबूत सीट मानती है. कांग्रेस ने यहां से विनोद चौधरी को उम्मीदवार बनाया है. वहीं, RJD ने इस सीट पर विनोद के खिलाफ उम्रदराज नेता उदय नारायण चौधरी को टिकट दिया है. वे बिहार विधानसभा के अध्यक्ष रह चुके हैं, नतीजा यह है कि दोनों तरफ से तनातनी है.

लालगंज: वैशाली के लालगंज सीट पर भी कांग्रेस कैंडिडेट आदित्य कुमार राज के खिलाफ RJD ने बाहुबली मुन्ना शुक्ला की बेटी शिवानी शुक्ला को टिकट दे दिया. आदित्य युथ कांग्रेस के नेता हैं. हालांकि, बाद में शीर्ष नेतृत्व के समझाने पर कांग्रेस उम्मीदवार आदित्य ने शिवानी शुक्ला को समर्थन देने का ऐलान किया है.

इन सभी सीटों के अलावा, बेलदौर (जिला खगड़िया) सीट पर कांग्रेस के मिथिलेश कुमार निषाद के खिलाफ IIP की अनीसा सिंह चुनाव लड़ रही हैं. IIP महागठबंधन में शामिल है. इसके अलावा, राजापाकर (जिला वैशाली), बिहारशरीफ (जिला नालंदा) और बछवाड़ा (बेगूसराय) में CPI और कांग्रेस के उम्मीदवार आमने-सामने हैं.

क्या तेजस्वी बिहार में युवा नेताओं के राह का रोड़ा बन रहे हैं?

सीनियर जर्नलिस्ट सुनील कुमार के मुताबिक, RJD में तेजस्वी यादव को मजबूत करते पार्टी में नेतृत्व को केंद्रीकृत करने की कोशिश हो रही है. हालांकि, इससे युवा राजनीतिक प्रतिभाओं के कुचले जाने का डर है.

सुनील बताते हैं, "RJD ने सिर्फ कांग्रेस के युवा नेताओं के खिलाफ ही अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है, बल्कि अपनी पार्टी के कई युवा नेताओं को भी टिकट नहीं दिया है. ऋतु जायसवाल, छोटे लाल राय जैसे युवा नेता इसके उदाहरण हैं. इतना ही नहीं बगावत करने पर इन्हें 6 साल के लिए RJD से बाहर किया गया. यह कदम पार्टी अनुशासन के नाम पर लिया गया, लेकिन असल में यह तेजस्वी का सत्ता-केंद्रित रुख दिखाता है."

सुनील के मुताबिक कन्हैया कुमार और पप्पू यादव जैसे नेताओं को राहुल गांधी और तेजस्वी के साथ मंच पर जगह नहीं मिलना भी इसी प्लानिंग का हिस्सा है.

पॉलिटिकल एक्सपर्ट अमिताभ तिवारी का कहना है कि लालू यादव के कमजोर पड़ने के बाद RJD में तेजस्वी सबसे बड़े नेता हैं. इसमें कोई दो राय नहीं कि RJD में उन्हें शील्ड (कवर करना या सुरक्षा देना) करने की कोशिश होती है. ठीक वैसे ही जैसे राहुल गांधी को कांग्रेस में शील्ड करने की कोशिश होती है. इसकी वजह है कि तेजस्वी ना तो अभी लालू जितने मजबूत हैं और ना ही राहुल, इंदिरा या राजीव जैसे मजबूत हैं. संभव है कि बिहार और पार्टी में युवा नेताओं की प्रतिस्पर्धा को बढ़ने से रोकने के लिए ऐसा किया गया हो.

पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई कहते हैं कि गठबंधन का यह कड़वा सच है कि एक ही नेता बड़ा होता है. अभी राहुल गांधी ने भी बिहार चुनाव में खुद को पीछे रखने की कोशिश की है. ताकि जनता में मैसेज जाए कि यह चुनाव तेजस्वी बनाम नीतीश है. राहुल अपने भाषण में तेजस्वी का जिक्र करते हैं. यही वजह है कि गठबंधन में अगर एक नेता के कारण किसी के साथ नाइंसाफी होती है तो दूसरी पार्टी शांत रह जाती है. संभव है कि तेजस्वी की इमेज मजबूत करने के लिए ऐसा किया गया हो.

कांग्रेस के युवा नेताओं के खिलाफ RJD ने क्यों अपना उम्मीदवार उतारा है?

अमिताभ तिवारी के मुताबिक, किसी चुनाव में यूथ कांग्रेस का एक फिक्स कोटा होता है. ऐसे में कई बार कांग्रेस कमजोर सीटों पर युवा नेताओं को टिकट दे देती है. संभव है कि RJD को लगा हो कि उनकी पार्टी इन सीटों पर जीत सकती है तो उन्होंने अपने उम्मीदवार उतार दिए हों. कई बार गठबंधन दल आपसी सहमति से भी ऐसा करते हैं, लेकिन ये बातें बाहर नहीं आती है. इसलिए सिर्फ टिकट बंटवारे को भी इस बात से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए कि तेजस्वी युवा कांग्रेस नेताओं के रास्ते को रोक रहे हैं.

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