तो क्या अब मुरादाबाद की शान पीतल उद्योग खत्म हो जाएगा! ट्रंप का टैरिफ कैसे पड़ रहा भारी?

मुरादाबाद से सालाना 5500 करोड़ रुपए का निर्यात अमेरिका को होता है, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारतीय उत्पादों पर 50 फीसदी टैरिफ की घोषणा से यहां के कारोबारी सकते में हैं

Moradabad Brass Artisan Mohammad hanif
मुरादाबाद में पीतल के सजावटी सामान बनाने वाले मोहम्मद हनीफ

मुरादाबाद की कुछ खास गलियों में अब गर्म धातु की गूंज पहले जैसी नहीं रही. मुरादाबाद में कांठ की पुलिया इलाके की एक संकरी गली में, 48 वर्षीय मोहम्म्द हनीफ अपनी पीतल के डेकोरेटिव आइटम की फैक्ट्री में वेल्ड‍िंग करते हुए छुपे भावों को शब्दों की स्याही से उकेरते हैं. “ट्रंप साहब ने हमारे ब्रास पर 50 फीसदी तक का टैरिफ लगा दिया है. इसका मतलब है, न्यूयॉर्क की दुकानों में मेरा पीतल का सजावटी सामान अब कोई नहीं खरीदेगा… और मेरी भट्ठी ठंडी हो जाएगी.” 

हनीफ के लिए अमेरिका सिर्फ़ एक बाज़ार नहीं था, बल्कि तीन पीढ़ियों के हुनर की पहचान था. क्रिसमस से पहले हज़ारों पीस वे हर साल शिकागो और लॉस एंजेलिस भेजते हैं. अब 50 फीसदी टैरिफ के बाद ऑर्डर आधे से भी कम रह गए हैं. “खरीदार कह रहे हैं, चीन से सस्ता माल ले लेंगे. लेकिन उनके पास हमारे जैसे हाथ कहां हैं?” वे गहरी सांस लेकर कहते हैं.

स्थानीय निर्यातक संघ के मुताबिक, मुरादाबाद से 5500 करोड़ रुपए का कारोबार हर वर्ष अमेरिका से होता है. अब नए टैरिफ (27 अगस्त से लागू होना है) की घोषणा से मुरादाबाद के पीतल उद्योग को हर साल करीब 1200 करोड़ रुपए का निर्यात नुकसान हो सकता है. 50 से ज़्यादा अमेरिकी स्टोर पहले ही भारतीय ब्रास का ऑर्डर बंद कर चुके हैं. और जो ऑर्डर बाकी हैं, उन पर भी खरीदार 10–15 फीसदी पेमेंट कटौती की शर्त रख रहे हैं. 

मुरादाबाद में करीब ढाई लाख लोग इस उद्योग पर सीधे निर्भर हैं. लेकिन अब, आधे से ज़्यादा मजदूर दूसरी रोज़ी तलाश रहे हैं. कोई ई-रिक्शा चला रहा है, कोई दिल्ली-नोएडा में मज़दूरी कर रहा है. “ओडीओपी, मेक इन इंडिया... ये अच्छे नारे हैं, पर हमें बिकने लायक दाम और खुला बाज़ार चाहिए,” हनीफ की आंखों में निराशा और गुस्सा एक साथ तैरते हैं.

चिराग बनाते कारीगर

अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत के उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने के ऐलान से मुरादाबाद के हस्तशिल्प निर्यातक सकते में आ गए हैं. अमेरिका में ट्रंप का मौजूदा कार्यकाल जब शुरू हुआ तब मुरादाबाद के उत्पादों पर 4.5 फीसदी टैरिफ लग रहा था. ट्रंप द्वारा भारतीय उत्पादों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा से टैरिफ की दर बढ़कर 29.5 फीसदी हो गई और 6 अगस्त को 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने के ऐलान के साथ मुरादाबाद के हस्तशिल्प उत्पादों पर अब अमेरिका में 54.5 फीसदी टैरिफ लगना तय हो गया है. शिपिंग के क्षेत्र से जुड़े मनोज़ गौड़ ने बताया कि बढ़े टैरिफ की घोषणा के बाद से ही अमेरिका में भारत से आयात करने वाली कंपनियों से यह अंडरटेकिंग ले ली गई थी कि 50 फीसदी टैरिफ लागू हो जाने की स्थिति में उन्हें इसे चुकाना होगा.

इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (IIA) के एक्सपोर्ट इंपोर्ट कमेटी के चेयरमैन संजय गुप्ता के मुताबिक भारतीय उत्पादों पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ट्रंप का ऐलान बडा झटका देने वाली खबर है. गुप्ता कहते हैं, “अमेरिका को ही सबसे अधिक हस्तशिल्प उत्पादों का निर्यात करने वाला मुरादाबाद अब अपना कारोबारी अस्तित्व कैसे बचा पाएगा? मुरादाबाद का मुख्य रोजगार खतरे में पड़ने जा रहा है. सरकार को दखल देना चाहिए.” 

हस्तशिल्प के निर्यातकों ने सरकार से अपील की है कि वह ड्यूटी ड्राबैक, इंसेंटिव आदि में उनकी मदद करे. यूपी सरकार ने ओडीओपी (वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट) के तहत लोन सब्सिडी, डिज़ाइन ट्रेनिंग और निर्यातक मंडियों के लिए प्रमोशन स्कीम लागू की है. विदेश व्यापार मंत्रालय ने अमेरिका के बदले यूरोप और खाड़ी देशों में ब्रास के लिए नई मार्केटिंग कैंपेन की घोषणा की है. लेकिन निर्यातकों का कहना है, “जब अमेरिकी खरीदार ही सबसे बड़े ग्राहक थे, तो बाकी बाजारों से उतना वॉल्यूम नहीं मिलेगा.”

मुरादाबाद से अमेरिका को निर्यात होने वाले प्रमुख सामानों में होटलों के लिए पीतल, तांबा आदि धातु से बने उत्पाद, तांबे का बाथटब, तांबे की प्लेट, कटलरी सेट (बोतल-बर्तन आदि), झूमर, लोहे- लकड़ी की कुर्सी-मेज, डाइनिंग टेबल, फ्लावर पाट, लैंप, आर्टिफिशियल ज्वैलरी, परदों के हुक, शीशे के सेट शामिल हैं. अमेरिकी टैरिफ के बाद अब मुरादाबाद के निर्यातकों ने नए अवसर तलाशने शुरू कर दिए हैं. पीतल इंडस्ट्री से लंबे समय से जुड़े मोहम्मद सलमान बताते हैं, “हस्तशिल्प निर्यातक ब्रिटेन यूरोप में अब वैकल्पिक बाजार का रुख करने लगे हैं. ब्रिटेन और पश्चिमी यूरोप, विशेषकर भारत यूके मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लागू होने के बाद बड़े व्यापारिक मार्ग के रूप में खुलने की संभावना है. भारत यूके एफटीए के तहत मुरादाबाद के प्रमुख निर्यात उत्पाद जैसे ग्रास और मिक्स्ट मेटल टैबलवेयर, फर्नीचर, लाइटिंग प्रोडक्ट्स, वारल डेकोर, कैंडल होल्डर्स, लैम्प्स और अपहोल्स्टर्ड आदि वस्तुएं अब ब्रिटेन में ड्यूटी फ्री पहुंच सकेंगे.” 

सलमान बताते हैं कि इससे पहले यूके में इन उत्पादों पर 8-12 प्रतिशत तक का आयात शुल्क लागू होता था, जिससे कीमतें चीन, वियतनाम और और तुर्की जैसे प्रतिस्पर्धी देशों के मुकाबले अधिक पड़ती थीं. सलमान के मुताबिक ब्रिटेन न केवल एक बड़ा उपभोक्ता बाजार है, बल्कि पश्चिमी यूरोप का फीडर मार्केट भी है. विशेषज्ञों के मुताबिक वर्ष 2023 में ब्रिटेन का हस्तशिल्प बाजार 30.2 बिलियन डॉलर (2.5 लाख करोड़ रुपए) का था, जो वर्ष 2030 तक 44.3 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. ब्रिटेन से जर्मनी, नीदरलैंड, फ्रांस और अन्य यूरोपीय देशों को चड़े पैमाने पर रो-एक्सपोर्ट होता है, जिससे मुरादाबाद के उत्पादों की यूरोपीय बाजारों में सीधी पैठ संभव है. इको-फ्रेंडली और हेंडमेड उत्पादों की बढ़ती मांग मुरादाबाद के लिए नए अवसर खोलेगी.

चीन, वियतनाम और तुर्की की सस्ती मशीनमेड प्रोडक्ट्स से लड़ने के लिए अब मुरादाबाद के कुछ युवा ऑनलाइन बीटूबी प्लेटफॉर्म्स, सोशल मीडिया प्रमोशन और थ्री डी डिज़ाइन टूल्स के जरिए डिजिटलीकरण की तरफ बढ़ रहे हैं. एक स्टार्टअप मालिक बताते हैं, “अगर हम Etsy, Amazon, और Alibaba जैसे प्लेटफॉर्म पर सीधे ग्राहकों तक पहुंचें, तो टैरिफ के झटके को कुछ हद तक संभाल सकते हैं.” हालांकि ऐसा बदलाव देखना दिलचस्प भी होगा. 

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