उत्तर प्रदेश : सीएम योगी की महत्वाकांक्षी योजना में कैसे अड़ंगा लगा रहे हैं बैंक?
उत्तर प्रदेश की सीएम युवा उद्यमी विकास योजना में सामने आया बैंकों का भ्रष्टाचार. युवाओं को ऋण स्वीकृत करने में गड़बडि़यों की शिकायतें कई जिलों से मुख्यमंत्री कार्यालय पहुंची

युवाओं को उद्यमी बनाने की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षी योजना में बैंक किस तरह पलीता लगा रहे हैं इसकी बानगी बलरामपुर के जुवारा निवासी सुनील कुमार की कहानी सुनकर समझी जा सकती है.
सुनील कुमार ने मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान में मिलने वाले पांच लाख रुपए ऋण के लिए आवेदन किया था. इन पैसों से वे खुद का व्यवसाय शुरूकर भविष्य संजोने के सपने भी देखने लगे थे. उन्हें उस वक्त बड़ी राहत मिली जब पता चला कि वे सीएम युवा योजना के पात्रों की सूची में हैं.
अब भविष्य की योजनाएं मूर्त रूप लेने वाली थीं लेकिन बैंक आड़े आ गए. पिछले महीने जब सुनील बैंक से ऋण लेने बलरामपुर जिले में इंडियन बैंक की रेहरा बाजार शाखा पहुंचे तो उन्हें केवल 99 हजार रुपए दिए गए. सुनील तो पांच लाख रुपए की आस में गए थे. बैंक अधिकारियों के पास पहुंचे तो उन्हें वहां से टरका दिया गया. बैंक से निराश होने के बाद उन्होंने पुलिस अधीक्षक विकास कुमार से गुहार लगाई. विकास ने फौरन इस मामले में मुकदमा दर्ज कर विवेचना कराई तो पता चला कि इंडियन बैंक की रेहरा बजारा शाखा से सुनील का पांच लाख रुपए ऋण स्वीकृत हुआ था, लेकिन शाखा प्रबंधक अयोध्या प्रसाद जौहरी ने बैंक के जन सुविधा केंद्र संचालक रिंकू शर्मा और मुंशीलाल, निवासी धानेपुर के साथ मिलकर चार लाख रुपये निकाल लिए. सुनील को सिर्फ 99 हजार रुपये दिए गए.
जांच में यह भी पता चला कि शाखा प्रबंधक ने न्यू बृजेश बैटरी सर्विस रेहरा बाजार व करनैलगंज गोंडा की न्यू शक्ति मशीनरी स्टोर का फर्जी कोटेशन व बिल तैयार कर ऋण स्वीकृत कराया और बाद में उनको कमीशन देकर रुपये वापस खुद ले लिए. पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर शाखा प्रबंधक अयोध्या प्रसाद जौहरी व उसके करीबी बृजेश कुमार सिंह को गिरफ्तार कर लिया. इसी मामले में सहायक प्रबंधक रिंकू शर्मा को पहले ही गिरफ्तार किया गया है. इस तरह सीएम युवा योजना में बैंक के भ्रष्टाचार पर से पर्दा हटा.
मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना में बैंकों की अड़ंगेबाजी का यह कोई पहला मामला नहीं है. यूपी की उद्योग राजधानी बनते जा रहे नोएडा में भी बैंकों की गड़बडियां सामने आ रही हैं. यहां पर इस वर्ष अभी तक बैंकों ने 499 आवेदनों में से सिर्फ 113 आवेदकों को लोन की मंजूरी दी है जबकि विभिन्न खामियां बताकर 211 युवाओं के आवेदन बैंकों ने निरस्त कर दिए हैं.
मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के तहत इस साल जिले में 2,000 युवाओं को उद्यमी बनाने का लक्ष्य निर्धारित है. जिला उद्योग केंद्र को योजना का क्रियान्वयन करने की जिम्मेदारी सौंपी है, लेकिन अभी तक योजना के तहत विभाग को कुल 982 युवाओं के आवेदन मिले हैं. विभाग ने लोन के लिए 26 बैंकों को 499 आवेदन भेजे थे. बैंकों ने सत्यापन व अन्य कार्रवाई पूरी कर 113 आवेदन स्वीकृत कर लोन (ऋण) की मंजूरी दी. नोएडा में उद्योग विभाग के एक अधिकारी बताते हैं, “मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास योजना के क्रियान्वयन में बैंकों की तरफ से सहयोग नहीं मिल रहा है. जिन 26 बैंकों को ऋण के लिए आवेदन भेजे गए थे उनमें से 13 ऐसे बैंक हैं, जिन्होंने अभी तक एक भी आवेदक का लोन मंजूर नहीं किया है. इसकी जानकारी शासन को भेजी गई है.”
नोएडा के जिला उद्योग अधिकारी अनिल कुमार के मुताबिक जिन आवेदकों के बैंकों ने आवेदन निरस्त किए हैं उनकी दोबारा जांच कराई जा रही है. जो भी कमियां मिलेंगी, उनको सही कराकर दोबारा आवेदन कराया जाएगा. इसके अलावा जो आवेदन पेंडिंग हैं उनके संबंध में डीएम के माध्यम से लोन मंजूरी के लिए बैंकों को पत्र लिखवाया जा रहा है.
1 अक्टूबर, 2024 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान (सीएम-युवा) योजना को मंजूरी दी गई. मुख्यमंत्री योगी ने इस योजना के तहत हर साल एक लाख नए युवा उद्यमी और 10 वर्षों के भीतर 10 लाख उद्यमी पैदा करने का लक्ष्य सौंपा था. तैयारियां पुख्ता होने के बाद 24 जनवरी को “यूपी दिवस” के मौके पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने लखनऊ से “मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान” (सीएम-युवा) की आधिकारिक शुरुआत की थी. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) विभाग से संचालित मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान (सीएम-युवा) योजना 18 से 40 साल तक की उम्र वाले उन उद्यमियों पर फोकस कर रही है जो पहली बार किसी भी तरह का रोजगार करना चाह रहे हैं लेकिन धन की कमी आड़े आ रही है. ऐसे युवाओं के लिए सीएम-युवा योजना में पहले चरण में 5 लाख रुपए तक का ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है.
बैंकों की सुस्ती और कठिन शर्तों के चलते राजधानी लखनऊ में उद्योग विभाग से मंजूर 2574 प्रोजेक्ट में सिर्फ 654 को यानी करीब 25 फीसदी आवेदकों को ही कर्ज मिल सका है. मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान योजना में बिना गारंटी और ब्याज के 5 लाख रुपये तक के कर्ज की व्यवस्था है. बीते वित्तीय वर्ष में लखनऊ के जिन 654 आवेदकों को कर्ज मिला है, उनको तो नियमानुसार तय 50 हजार रुपये की सब्सिडी आसानी से मिल जाएगी. लेकिन, जिन 1920 प्रोजेक्ट के आवेदकों को कर्ज के लिए उद्योग विभाग से हरी झंडी मिली, लेकिन बैंकों से कर्ज नहीं मिला, उनकी दौड़भाग बढ़ गई है.
युवा उद्यमी योजना में कहां पेंच फंस रहा है, उसकी जानकारी लखनऊ के एक बैक अधिकारी देते हैं. इनके मुताबिक युवा उद्यमी योजना के तहत सब्सिडी पाने के लिए प्रोजेक्ट के खर्चे के बिल भी उसी वित्तीय वर्ष के होने चाहिए, जिस वित्तीय वर्ष में कर्ज स्वीकृत हुआ है. अलग अलग बिल होने से ऋण स्वीकृत करने में दिक्कतें आ रही हैं. लखनऊ के उपायुक्त उद्योग मनोज चौरसिया बताते हैं, “सीएम युवा योजना के तहत मिलने वाले ऋण और 10 फीसदी सब्सिडी में नए वित्तीय वर्ष में बिलिंग संबंधी विसंगतियों को दूर किया जा रहा है.”
सबसे ज्यादा दिक्कतें निजी बैंकों के साथ आ रही हैं. सीएम युवा उद्यमी विकास योजना के तहत झांसी में निजी बैंकों को 196 युवाओं को ऋण देने का लक्ष्य उद्योग विभाग में रखा था. बैंकों को इससे संबंधित फाइलें भी भेज दी गईं लेकिन छह से अधिक निजी बैंक मिलकर अभी तक केवल दो आवेदकों को ही ऋण स्वीकृत कर पाए हैं.
बैंक अफसरों का कहना है कि कई सरकारी योजनाओं में बिना गारंटी के ऋण दिए जाने का प्रावधान है. ऐसे में इस ऋण के एनपीए (गैर निष्पादित परिसंपत्तियां) यानी कर्ज की वापसी न होने का सबसे अधिक खतरा रहता है. इस ऋण के जोखिम को देखते हुए अधिकांश निजी बैंक इनके ऋण मंजूर नहीं करते. इस वजह से खास तौर से रोजगार योजनाओं के ऋण देने में बैंक आनाकानी करते हैं. एमएसएमई विभाग में विशेष सचिव और सीएम युवा उद्यमी विकास योजना की जिम्मेदारी संभालने वाले शिशिर बताते हैं “मुख्यमंत्री योगी इस योजना की नियमित निगरानी कर रहे हैं. युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले बैंकों पर सख्ती की जाएगी.”