यूपी के स्वीमिंग पूल में कैसे लग रही मौत की डुबकियां, सरकार क्यों घेरे में?

पिछले कुछ दिनों में यूपी में स्वीमिंग पूल में डूबकर मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है. बड़े पैमाने पर अवैध रूप से संचालित हो रहे स्वीमिंग पूल दे रहे हादसों को दावत. सरकार की लापरवाही पर उठ रहे सवाल

सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

22 जून की शाम, उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के यशोदा नगर के रहने वाले शिखर सिंह अपने दोस्तों के साथ सनिगवां स्थित 'वॉटर वॉल' स्वीमिंग पूल पहुंचे थे. 24 साल के शिखर नगर निगम में ठेकेदारी का काम करते थे. उस शाम सभी दोस्तों का मस्ती का प्लान था. पहले सभी ने पार्टी की, फिर नहाने के लिए स्वीमिंग पूल में उतर गए.

कुछ देर बाद, शिखर ने अचानक पानी में हाथ-पांव मारने शुरू कर दिए. दोस्तों को लगा कि वे मस्ती कर रहे हैं और इसे यूं ही जाने दिया. लेकिन जब दो मिनट के भीतर शिखर पानी में समा गए, और बाहर नहीं आए तो दोस्तों को चिंता हुई. उन्होंने शिखर को ढूंढ़ना शुरू किया. खोजबीन करने पर पता चला कि वे पानी में बेहोश पड़े हैं.

इसके तुरंत बाद पुलिस और परिवार वालों को सूचना दी गई. आनन-फानन में शिखर को एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. खबर सुनकर शिखर की मां बीनू और उनकी बहन अनामिका को गहरा सदमा लगा, वे दोनों बेहोश हो गईं. शिखर परिवार में इकलौते बेटे थे.

हालांकि इस घटना के बाद शिखर के परिजन ने पुलिस को तहरीर नहीं दी. बाद में सनिगवां चौकी के दारोगा अजय यादव की तहरीर पर स्वीमिंग पूल के मालिक और संचालक पर मुकदमा दर्ज किया गया.

इससे पहले 29 मई को भी मथुरा जिले में स्थित स्वीमिंग पूल में डूबने से एक युवक की मौत हो गई थी. यहां अवैध रूप से संचालित स्वीमिंग पूल के मालिकों को खेल विभाग ने नोटिस जारी किया था. लेकिन नोटिस दिए जाने को अभी एक सप्ताह भी नहीं बीता था कि जिले के बिरला मंदिर स्थित राधाकृष्ण वॉटर पार्क के स्वीमिंग पूल में एक युवक डूब गया.

तेज गर्मी की वजह से स्वीमिंग पूल का आनंद लेने के लिए शहर कोतवाली के बहादुरपुरा के रहने वाले 30 वर्षीय आकाश अपने तीन साथियों के साथ गोविंद नगर थाना क्षेत्र अन्तर्गत राधाकृष्ण वॉटर पार्क पहुंचे थे. लेकिन वहां स्वीमिंग पूल में नहाने के दौरान वे डूब गए. जानकारी होने पर उनके दोस्तों और पार्क के कर्मचारियों ने उन्हें पानी से बाहर निकाला और जिला अस्पताल पहुंचाया. लेकिन वहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत करार दिया. उनके परिजन की शिकायत पर पुलिस ने स्वीमिंग पूल के संचालक के खि‍लाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की.

हालांकि, इस तरह के ये महज कुछ मामले नहीं हैं. पिछले कुछ दिनों के दौरान यूपी में स्वीमिंग पूल में डूबकर मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है. इस तरह डूब कर मरने वालों की बढ़ती संख्या ने सरकारी निगरानी तंत्र की भी पोल खोलकर रख दी है.

कानपुर में शिखर सिंह के डूबकर मरने के मामले में रेस्टोरेंट संचालक के साथ ही पुलिस, नगर निगम और कानपुर विकास प्राधि‍करण (केडीए) की भी लापरवाही सामने आई है. बताया जा रहा है कि चकेरी के सनिगवां स्थित वॉटर वॉल रेस्टोरेंट 15 दिन पहले ही खुला था. हालांकि रेस्टोरेंट मालिक का दावा है कि सब तय नियमों के मुताबिक ही है, मगर स्थानीय लोगों का कहना है कि पूल व रेस्टोरेंट निर्माण से लेकर यहां चल रहीं सभी गतिविधियां अवैध रूप से संचालित हो रही थीं. विभागों ने निगरानी और कार्रवाई करने की जिम्मेदारी नहीं समझी.

पुलिस अब आरोपों की जांच की बात कह रही है. किसी भी स्वीमिंग पूल में लाइफ गार्ड के साथ प्रशिक्षक का होना अनिवार्य है, जो स्वीमिंग पूल की गतिविधियों को संचालित करने के साथ ही यहां पर होने वाली अप्रिय घटनाओं में लोगों की जान बचाने के लिए उपयोगी होता है. हालाकि स्वीमिंग पूल के संचालन से जुड़े लोग बताते हैं कि पूल की गहराई और लंबाई का निर्धारित मानक होता है उसी के आधार पर ही लाइफ गार्ड की तैनाती की जाती है. आमतौर पर कम गहराई वाले पूल में संचालक लाइफ गार्ड को तैनात नहीं करते हैं.

खेल विभाग में स्वीमिंग कोच रहे राकेश यादव बताते हैं, "स्वीमिंग पूल का संचालन अब शहरों से लेकर कस्बों तक हो गया है लेकिन इसके पंजीकरण पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. किसी भी जिले में संचालित स्वीमिंग पूल में से केवल एक चौथाई ने ही जिलाधिकारी कार्यालय के अंतर्गत संचालित जिला खेल एवं प्रोत्साहन समिति से एनओसी लिया है."

एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) के अभाव में खेल विभाग को यह जानकारी ही नहीं है कि किसी भी जिले में कितने स्वीमिंग पूल चल रहे हैं और उनमें सुरक्षा के क्या प्रबंध किए गए हैं. स्वीमिंग पूल का अधिकतम साइज 25 गुणा 50 फुट और न्यूनतम साइज 6 गुणा 10 फुट होता है. साथ ही, 16 गुणा 25 और 10 गुणा 15 फुट के पूल भी होते हैं. इनकी गहराई 3 से 20 फुट तक होती है. लर्निंग पूल की गहराई 4.5 फुट से अधिक नहीं होनी नाहिए. छोटे बच्चों के पूल 2 से 3.50 फुट तक ही गहरा होना चाहिए.

राकेश यादव बताते हैं, "छोटे पूल में भी एक एनआईएस (राष्ट्रीय खेल संस्था) कोच व दो लाइफ गार्ड होने चाहिए लेकिन ज्यादातर स्वीमिंग पूल इन मानकों को पूरा नहीं करते हैं. यह हादसों की एक बड़ी वजह है."

लखनऊ के काल्विन कॉलेज में निजी स्वीमिंग संचालक प्रवीन सोनकर के अनुसार, कोच व लाइफगार्ड की जिम्मेदारी अलग-अलग होती है. कोच का पूरा ध्यान छोटे बच्चों व बड़ों को पानी में उतरने के तौर-तरीके सिखाने के बाद तैरना सिखाना होता है. उनका ध्यान एक या कुछ लोगों पर ही केंद्रित होता है. वहीं लाइफगार्ड पानी के बाहर या ऊंचे स्थान पर बैठकर पूल में उतरने वाले हर व्यक्त्ति पर नजर रखते हैं. आकस्मिक परिस्थिति में लाइफगार्ड ही पानी में उतरकर तैराकों की मदद करते हैं. डूबने की स्थिति में उन्हें पानी से बाहर निकालने, प्राथमिक उपचार देने की जानकारी भी लाइफगार्ड को होती है. हर स्विमिंग पूल में लाइफगार्ड होना अनिवार्य होता है, जिससे कोई दुर्घटना न हो.

अवैध रूप से चल रहे स्वीमिंग पूल पानी की बर्बादी का भी सबब बन रहे हैं. मिसाल के लिए नोएडा जिले को ही लें. यहां ग्रामीण और शहरी इलाकों के अवैध फार्म हाउस में 200 से अधिक स्वीमिंग पूल संचालित हो रहे हैं. इनकी क्षमता एक लाख लीटर पानी तक की है. प्राधिकरण में तैनात एक इंजीनियर के मुताबिक नोएडा के बहुतेरे फार्म हाउस के नक्शे में स्वीमिंग पूल नहीं है.

अधिकारी के मुताबिक प्राधिकरण स्वीमिंग पूल भरने के लिए पानी की आपूर्ति नहीं करता. एक माह में अवैध बोरवेल से कई बार पूल को पानी से भरा जाता है और बाद में पानी नाले में बहा दिया जाता है. जहां स्वीमिंग पूल संबंधित विभाग की मंजूरी के साथ संचालित हो रहे हैं वहां भी कई जगह पानी के फिल्टर पूरी तरह से काम नहीं कर रहे हैं. नतीजतन पानी को साफ करने की बजाय इसे पूरा बदला जाता है.

खराब फि‍ल्टर के साथ स्वीमिंग पूल का संचालन करने में कई गुना अधिक पानी की जरूरत पड़ती है और इसी अनुपात में बर्बादी भी होती है. स्वीमिंग पूल में गड़बड़ियों की बात सामने आने के बाद खेल राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार गिरीश यादव ने अधिकारियों को अभि‍यान चलाकर सभी स्वीमिंग पूल की जांच करने और अवैध संचालित हो रहे पूल पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं.

लगातार हो रहे हादसे

अलीगढ़ जिले में मेहताब नगला निवासी हरकेश का 19 वर्षीय पुत्र रवि अपने पड़ोस के ही मित्र प्रहलाद, अरुण, निखिल व लल्ला के साथ 21 अप्रैल की शाम ताजपुर रसूलपुर में स्थित महादेव स्वीमिंग पूल में नहाने गया था. शाम करीब चार बजे पांचों दोस्त स्वीमिंग पूल में उतर गए. नहाते समय अचानक रवि नजर नहीं आया. तब उसके चारों दोस्तों ने पानी में तलाश की. 

करीब 15 मिनट बाद रवि को बेहोशी की हालत में स्वीमिंग पूल से निकाला गया. रवि को स्वीमिंग पूल के संचालक और उसके दोस्त जीवन ज्योति अस्पताल ले गए. यहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

लखनऊ के सरोजिनी नगर में दारोगाखेड़ा स्थित मुकुंद माधव रिसॉर्ट में 4 अगस्त, 2024 को परिवार के साथ पार्टी में आए मैकेनिकल इंजीनियर प्रतीक कुमार तिवारी (35) की स्वीमिंग पूल में डूबने से मौत हो गई. 

प्रतीक अपने दोस्तों के साथ रिसॉर्ट पहुंचे थे. हादसे से पहले पत्नी समेत अधिकतर लोग पूल से निकल कर कमरे में चले गए थे. काफी देर तक पति के न आने पर पत्नी ने दोस्तों से पूछा. तलाश शुरू हुई तो प्रतीक का शव पूल में उतराता दिखा. मौत की खबर से रिसार्ट में हड़कंप मच गया.

नोएडा में सेक्टर-37डी की बीपीटीपी पार्क सीरीन सोसायटी के स्विमिंग पूल में डूबकर 5 साल के बच्चे की मौत हो गई थी. बच्चा यहां अपनी दादी के साथ 25 जुलाई 2024 की शाम को पूल में आया था. पूल में नहाने के दौरान बच्चे की दादी कुछ सामान लेने जे टावर के अपने फ्लैट में चली गईं.

तभी बच्चा यहां से निकलकर 4 फुट गहरे पूल में चला गया और वहां डूब गया. कुछ देर बाद वहां के एक लाइफ गार्ड ने बच्चे को बाहर निकाला और उसे हॉस्पिटल पहुंचाया गया जहां डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया. 

स्वीमिंग पूल संचालन के मानक

# स्वीमिंग पूल चलाने के लिए सबसे पहले स्वीमिंग कोच जो राष्ट्रीय या राज्यस्तरीय खिलाड़ी हो, की जरूरत होती है.

# स्वीमिंग पूल संचालन से पहले संबंधित जिले के खेल विभाग से अनुमति लेनी जरूरी है.

# स्वीमिंग पूल में दो ऑक्सीजन सिलिंडर, दो कृत्रिम सांस यंत्र भी होने चाहिए.

# स्वीमिंग पूल में फिल्टर प्लांट होना चाहिए जो प्रत्येक दिन चार से पांच घंटे चलाया जाए.

# प्रत्येक स्वीमिंग पूल के लिए कम-से-कम दो लाइफ गार्ड होने चाहिए, जो भारतीय खेल प्राधिकरण से प्रमाणित हों. अगर महिलाएं आती हैं तो उनके लिए महिला लाइफ गार्ड तैनात हो.

# स्वीमिंग पूल के पानी को साफ रखने के लिए नियमित क्लोरीन का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

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