मध्य प्रदेश : ग्वालियर हाईकोर्ट का परिसर आंबेडकर के नाम पर कैसे बना राजनीति का अखाड़ा?
इस साल फरवरी में वकीलों के एक समूह ने ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर परिसर में आंबेडकर की मूर्ति स्थापित करने की मांग की थी

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में दलितों के आइकॉन डॉ. बी.आर. आंबेडकर की प्रतिमा लगाए जाने के मुद्दे पर राजनीतिक बहस छिड़ गई है. दरअसल, ग्वालियर हाईकोर्ट कैंपस में यह प्रतिमा लगाई जानी है.
कांग्रेस ने आंबेडकर प्रतिमा स्थापित किए जाने में हो रही देरी के विरोध में एक दिन का उपवास रखा है. इस मूर्ति की स्थापना शहर के वकीलों के बीच विवाद का विषय रही है. वकीलों का एक समूह इसके समर्थन में है तो दूसरा इसका विरोध कर रहा है.
यह मुद्दा ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में गहरे जातिगत विभाजन से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है, जो इस पूरे क्षेत्र की राजनीति को भी प्रभावित करता है. इस साल फरवरी में वकीलों के एक समूह ने ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर परिसर में आंबेडकर की मूर्ति स्थापित करने की मांग की थी.
इसके अलावा भीम सेना ने भी मूर्ति स्थापित करने की मांग की थी, जिसका बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने भी समर्थन किया था.
न्यायालय ने इसकी अनुमति दे दी, लेकिन वकीलों के एक अन्य समूह ने इसका कड़ा विरोध किया. फिर भी, आंबेडकर की मूर्ति उच्च न्यायालय खंडपीठ परिसर में लायी गयी.
इस मुद्दे पर वकीलों के बीच मतभेद बने रहने के कारण मई में दो समूहों के बीच झड़प हो गई.
वकीलों के विरोध प्रदर्शन करने वाले एक समूह ने मांग की कि मूर्ति की जगह, स्थापित मंच से राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाए. मामला फिर से उच्च न्यायालय पहुंचा और रजिस्ट्रार ने दोहराया कि मूर्ति स्थापित की जाएगी.
राज्य में विपक्षी दल कांग्रेस पिछले काफी समय से हाईकोर्ट कैंपस में मूर्ति स्थापित करने की मांग करती रही है. मई में राज्य कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई को मूर्ति स्थापित करने के लिए पत्र लिखा था. इस महीने कांग्रेस ने मूर्ति लगाए जाने में हो रही देरी को लेकर 23 जून से तीन दिवसीय विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है.
कांग्रेस की ओर से विरोध प्रदर्शन के पहले दिन ग्वालियर में दलित बस्तियों में बैठक कर प्रतिमा लगाने में हो रही देरी का मुद्दा उठाया गया. 24 जून को पूरे प्रदेश में इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित किए गए. 25 जून को ग्वालियर के सूर्य नमस्कार चौराहे पर पार्टी की ओर से एक दिन का सांकेतिक उपवास रखा गया.
ग्वालियर का इलाका मध्य प्रदेश में जातिगत तनावों का केंद्र रहा है. 2018 में, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम को 'कमजोर' करने के विरोध में बुलाए गए बंद के दौरान ग्वालियर, भिंड और मुरैना में उच्च जातियों और अनुसूचित जातियों के बीच हिंसा में छह लोग मारे गए थे.
उस साल हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में जीत दर्ज की थी, लेकिन 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद ग्वालियर-चंबल में कांग्रेस की सीटें कम हो गईं.
कांग्रेस ने आंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने के लिए पर्याप्त कदम न उठाने के लिए भाजपा को दोषी ठहराया है. 24 जून को भोपाल में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान पटवारी ने कहा, "प्रधानमंत्री डॉ आंबेडकर की प्रशंसा करते हैं, जबकि आंबेडकर को लेकर गृह मंत्री का विचार अलग है."
कांग्रेस नेता पटवारी का सीधा इशारा बीते दिनों संसद में गृह मंत्री अमित शाह के आंबेडकर की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी पर था. दूसरी ओर, भाजपा ने कांग्रेस पर आंबेडकर के आदर्शों के प्रति दिखावटी प्रेम दिखाने का आरोप लगाया है और दलितों के उत्थान में कांग्रेस के ट्रैक रिकॉर्ड पर सवाल उठाए हैं.