स्वतंत्रता दिवस पर यूपी पुलिस को कैसे मिले सबसे ज्यादा गैलेंट्री मेडल?

स्वतंत्रता दिवस पर घोषित राष्ट्रपति पुलिस गैलेंट्री अवार्ड्स में उत्तर प्रदेश ने सभी राज्यों को पीछे छोड़ते हुए सबसे ज्यादा मेडल हासिल किए. एसटीएफ से लेकर वरिष्ठ आईपीएस तक, बहादुरी और जोखिम भरे ऑपरेशनों की गवाही बनी यह उपलब्धि

UP Police SI Recruitment
उत्तर प्रदेश पुलिस के नए रंगरूट (फाइल फोटो)

स्वतंत्रता दिवस 2025 पर घोषित गैलेंट्री और पुलिस सर्विस मेडल की सूची में उत्तर प्रदेश पुलिस ने शानदार प्रदर्शन किया है. कुल 17 गैलेंट्री मेडल के साथ यूपी राज्यों में अव्वल रहा. डीएसपी डी.के. शाही, दीपक सिंह, इंस्पेक्टर मुनीश प्रताप सिंह चौहान, हेमंत भूषण सिंह और कई सब-इंस्पेक्टर, हेड कांस्टेबल व कांस्टेबल समेत 10 जांबाजों को भी यह मेडल मिला. 

खतरनाक ऑपरेशनों में दिखाई गई बहादुरी और संगठित अपराध के खिलाफ आक्रामक रुख ने यूपी पुलिस को यह उपलब्धि दिलाई. यही नहीं, यूपी को 'डिस्टिंग्विश्ड व मेरिटोरियस सर्विस कैटेगरी' मिलाकर 95 सम्मान मिले. यह उपलब्धि बताती है कि संगठित अपराध और माफिया के खिलाफ यूपी की रणनीति न सिर्फ नतीजे दे रही है, बल्कि वीरता की राष्ट्रीय पहचान भी गढ़ रही है.

वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अजय कुमार साहनी, जिन्होंने 52 मुठभेड़ों का नेतृत्व किया, को इस वर्ष वीरता के लिए राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया. यह उनके करियर का तीसरा राष्ट्रपति पदक है. 2009 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के अधिकारी, साहनी पुलिस बल में एक 'मुठभेड़ विशेषज्ञ' के रूप में जाने जाते हैं. उन्हें गणतंत्र दिवस (26 जनवरी, 2020) पर मेरठ में एक भारी जोखिम वाले सशस्त्र अभियान के दौरान 'असाधारण साहस' दिखाने के लिए इस पुरस्कार के लिए चुना गया था. 

राष्ट्रपति पदक प्रशस्ति पत्र में 2020 के मेरठ अभियान को "खुले युद्ध में एक अत्यंत कठिन परिस्थिति" के रूप में वर्णित किया गया है. यह साहनी की "दुर्लभतम में भी दुर्लभ" वीरता, नेतृत्व और जीवन को सीधे खतरे में समर्पण को व्यक्त करता है. वर्ष 2020 में, एसएसपी मेरठ के रूप में साहनी को मोटरसाइकिल पर सवार दो सशस्त्र लुटेरों के बारे में सूचना मिली थी, जो ट्रांसपोर्ट नगर पुलिस स्टेशन की सीमा में कई डकैती कर रहे थे. रोके जाने पर, अपराधियों ने पुलिस पर गोलीबारी शुरू कर दी और मेरठ-दिल्ली बाईपास (NH-58) की ओर तेज़ी से भाग निकले. 

साहनी, क्राइम ब्रांच की निगरानी टीम के साथ, उन्हें भागने से रोकने के लिए आगे बढ़े. जब संदिग्धों को घेर लिया गया, तो उन्होंने गोलीबारी शुरू कर दी, जिससे स्टेशन ऑफिसर दिनेश कुमार और हेड कांस्टेबल मनोज कुमार घायल हो गए. जबकि एक गोली उनके सीने में लगभग लग गई, साहनी ने जवाबी हमले का नेतृत्व किया. इसके बाद हुई मुठभेड़ में, एक लाख रुपये का इनामी और 40 से ज़्यादा मामलों में शामिल कुख्यात गैंगस्टर चांद उर्फ काले मारा गया. घायल हुए दो पुलिसकर्मियों को भी वीरता पदक से सम्मानित किया गया. 

फ़रवरी 2020 में, उन्होंने मेरठ में हुई मुठभेड़ का नेतृत्व किया जिसमें शिव शक्ति नायडू - दिल्ली के कुख्यात नायडू गिरोह का सरगना, जो 8 करोड़ रुपये की डकैती में शामिल था और जिस पर 1 लाख रुपये का इनाम था- गंभीर रूप से घायल हो गया. नायडू अकेले दिल्ली में एक दर्जन से ज़्यादा मामलों में वॉन्टेड था और उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में कई मामलों में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज था. 

2021 में, उन्हें इस मुठभेड़ के लिए वीरता पदक से सम्मानित किया गया. 2020 में, साहनी को डी-9 गिरोह के सरगना सुजीत सिंह उर्फ बुधवा को मार गिराने के लिए सम्मानित किया गया. साहनी को पूर्वी उत्तर प्रदेश के सबसे खूंखार आपराधिक गिरोहों में से एक, पूरे डी-9 गिरोह को खत्म करने का श्रेय दिया जाता है. 

यूपी पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार के लंबे कार्यकाल का असर पिछले कुछ समय से दिखने लगा था. वर्ष 2023 में यूपी का स्थान छठा (12 गैलेंट्री मेडल या जीएम) था. वर्ष 2024 में उछाल के साथ 17 जीएम (महाराष्ट्र के साथ संयुक्त-टॉप) था. यूपी में पुलिस कर्मियों की वीरता ने मेडल के रूप में प्रदेश को गर्व करने का मौका दिया है. यूपी को 17 जीएम (राज्यों में नंबर-1) हासिल हुए. इनका संबंध 6 अलग-अलग ऑपरेशनों व एन्काउंटरों से है जिनमें वॉन्टेड अपराधियों का सामना किया गया. इसके अलावा 6 विशिष्ट सेवा (पीएसएम), 71 उत्कृष्ट सेवा (एमएसएम) मेडल भी मिले जिसने यूपी का कुल ऑनर-काउंट 95 पर पहुंचा दिया. 

राष्ट्रीय परिदृश्य की बात करें तो वर्ष 2025 में कुल 1090 कर्मियों को गैलेंट्री व सर्विस मेडल मिले. इनमें 233 जीएम (पुलिस सेवा 226) शामिल हैं. यूनियन टेरिटरी जम्मू-कश्मीर ने गैलेंट्री मेडल (UT/फोर्स मिलाकर) में सबसे ज्यादा 127 हासिल किए, जबकि राज्यों में यूपी शीर्ष पर रहा. 

जानकार गैलेंट्री मेडल में यूपी के टॉप करने के मुख्य रूप से पांच आयाम बताते हैं. सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी ए. के. चतुर्वेदी के अनुसार वर्ष 2017 के बाद से “एंटी-माफिया” ड्राइव के तहत बड़ी गैंगों पर लगातार कार्रवाई, खुफिया ऑपरेशन और त्वरित कोर्ट-फॉलोअप—जिसका परिमाण अब मेडल-योग्य ऑपरेशनों में दिखाई देने लगा है. वर्ष 2025 की सूची में जिन टीमों को सम्मान मिला, वे एकाधिक हाई-रिस्क एन्काउंटर की अगुवाई कर चुकी थीं. उदाहरण के लिए शाहाबाद/पूर्वांचल गैंग, एक्सेल गैंग के वॉन्टेड, आदि. 

चतुर्वेदी बताते हैं “चयनित 17 में से 10 अफसरों का एसटीएफ से होना बताता है कि स्टेट-लेवल स्पेशलिस्ट यूनिट्स को टारगेट-स्पेसिफिक ऑपरेशन सौंपने की रणनीति कारगर रही है. डीजीपी स्तर पर यह बेहतर इंटर-एजेंसी कोऑर्डिनेशन और ऑपरेशनल कैपेसिटी-बिल्डिंग का नतीजा है.” केंद्र सरकार द्वारा 2023-24 में गैलेंट्री मेडल-फ्रेमवर्क में किए गए बदलाव (अलग-अलग सेवाओं के प्रेसीडेंट्स गैलेंट्री मेडल का एकीकरण, जीएम व पीएमजी नोटिफिकेशन) के बाद राज्यों में “क्लीनर नॉमिनेशन पाइपलाइन” बनी- यूपी ने इसका लाभ उठाया और केस-डॉज़ियर समय पर भेजे. 

गैलेंट्री मेडल में यूपी का शीर्ष स्थान केवल आंकड़ा-जीत नहीं, बल्कि पिछले कुछ वर्षों में संगठित अपराध के खिलाफ रणनीतिक, विशेषीकृत और सतत पुलिसिंग का परिणाम है. 2023-24-25 की ट्रेंड-लाइन, एसटीएफ की भूमिका और केस-कमांड की निरंतरता ने इसे संभव बनाया. अब चुनौती यह है कि इस ऑपरेशनल धार को कानूनी कसौटियों, पारदर्शिता और प्रशिक्षण-मानकों से और मज़बूत किया जाए- ताकि पदक वीरता के साथ-साथ न्याय की स्थायी मिसाल भी बनें. 

गैलेंट्री अवार्ड: मायने और महत्व

'गैलेंट्री' का अर्थ है, किसी भी परिस्थिति में बहादुरी, साहस और वीरता दिखाना. जब यह साहस कर्तव्य पालन में प्रदर्शित हो, विशेषकर आतंकवाद, नक्सलवाद, संगठित अपराध, माफिया या जीवन-जोखिम वाली परिस्थितियों से जूझते हुए, तब सरकार द्वारा इसे औपचारिक रूप से गैलेंट्री अवार्ड (साहस/वीरता पदक) के रूप में मान्यता दी जाती है. 

गैलेंट्री अवार्ड की श्रेणियां

भारत में पुलिस, अर्धसैनिक बल और केंद्रीय एजेंसियों के लिए गैलेंट्री अवार्ड मुख्यतः तीन स्तर पर दिए जाते हैं: 

President’s Police Medal for Gallantry (PPMG) : यह सर्वोच्च स्तर का पुलिस गैलेंट्री अवार्ड है. “स्पेशल डिस्प्ले ऑफ करेज” यानी अत्यंत असाधारण साहस और नेतृत्व, अक्सर एनकाउंटर, आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन या बंधक मुक्ति जैसी जानलेवा परिस्थितियों में दिया जाता है.

Police Medal for Gallantry (PMG) : यह साहस दिखाने के लिए दूसरी श्रेणी का गैलेंट्री मेडल है. इसमें ऐसे अधिकारी/कर्मी आते हैं जिन्होंने कर्तव्य पालन में महत्वपूर्ण जोखिम उठाया, लेकिन PPMG जितनी असाधारण स्थिति नहीं थी. 

अन्य (मिलिट्री गैलेंट्री अवार्ड्स से अलग) : पुलिस/पैरामिलिट्री के गैलेंट्री मेडल सेना के वीरता पदकों (परमवीर चक्र, वीर चक्र, शौर्य चक्र) से अलग होते हैं. ये केवल आंतरिक सुरक्षा व कानून-व्यवस्था के क्षेत्र में वीरता पर केंद्रित होते हैं. 

कब और कैसे दिए जाते हैं?

हर साल गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) और स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) पर गृह मंत्रालय द्वारा सूची जारी होती है. 

नॉमिनेशन प्रक्रिया : राज्य सरकार/केंद्रीय बल अपनी-अपनी रिपोर्ट और केस-फाइल गृह मंत्रालय को भेजते हैं. विस्तृत जांच होती है (FIR, चार्जशीट, गवाह, खतरे का स्तर, वरिष्ठ अधिकारियों की रिपोर्ट). स्क्रूटनी के बाद राष्ट्रपति द्वारा अंतिम अनुमोदन होता है. 

गैलेंट्री अवार्ड क्यों महत्वपूर्ण हैं?

व्यक्तिगत स्तर पर : यह पदक पुलिसकर्मी के करियर का सबसे बड़ा गर्व होता है. कई मामलों में पदोन्नति या विशिष्ट नियुक्ति में यह मददगार साबित होता है.

संस्थागत स्तर पर : खतरनाक ड्यूटी में कार्यरत कर्मियों को विश्वास मिलता है कि उनकी कुर्बानी और साहस को देश मान्यता देता है. “ब्रेवरी और प्रोफेशनलिज़्म” को मुख्य मूल्य के रूप में संस्थागत किया जाता है. 

सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर : जब आम लोग देखते हैं कि पुलिस ने जान की बाज़ी लगाकर अपराधियों या आतंकियों का सामना किया और उसके लिए उन्हें राष्ट्रीय सम्मान मिला, तो संस्थागत भरोसा बढ़ता है. यह भी दिखाता है कि राज्य या केंद्र सरकार आंतरिक सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है.

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