राजस्थान : कांग्रेस के शक्ति प्रदर्शन कैसे उसकी कमजोरी जाहिर होने के मौके बन रहे!
जयपुर में कांग्रेस के छात्र संगठन NSUI के विरोध प्रदर्शन के मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और गोविंद डोटासरा की गैरमौजूदगी से एक बार फिर पार्टी की गुटबाजी जाहिर हुई है

यह राजस्थान में कांग्रेस के लिए बड़े जुटान का मौका था. राज्य में बीजेपी की सरकार बनने के बाद 5 अगस्त को जयपुर में राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) का पहली बार बड़ा प्रदर्शन हुआ. लेकिन पार्टी के लिए यह मजबूती के बजाय कमजोर का प्रतीक बन गया.
हुआ यह कि प्रदर्शन के दौरान NSUI को मुख्यमंत्री आवास का घेराव करना था लेकिन इस कार्यक्रम से पार्टी के दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा दूर ही रहे. इसने कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान को फिर उजागर कर दिया.
इसके बाद छात्र संघ चुनाव कराने, बेरोजगारी और परीक्षा घोटालों जैसे छात्रों से जुड़े मुद्दों को लेकर हुआ यह आंदोलन सचिन पायलट गुट का शक्ति प्रदर्शन बनकर रह गया.
इस कार्यक्रम में NSUI के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरूण चौधरी, सचिन पायलट समर्थक विधायक मुकेश भाखर, अभिमन्यु पूनिया, ललित यादव मौजूद रहे. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह गैरहाजिरी सिर्फ कार्यक्रम से दूरी नहीं, बल्कि पार्टी के भीतर चल रही खींचतान और नेतृत्व संकट का भी संकेत है. NSUI के प्रदेशाध्यक्ष विनोद जाखड़ सचिन पायलट गुट के माने जाते हैं. पायलट के नेतृत्व में मुख्यमंत्री आवास की तरफ बढ़ रहे NSUI कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए पुलिस ने वॉटर कैनन और हल्का बल प्रयोग किया मगर कांग्रेस के आला नेताओं ने इस मामले पर चुप्पी साधे रखी. सचिन पायलट समर्थक माने जाने वाले विधायक मुकेश भाखर और NSUI प्रदेशाध्यक्ष विनोद जाखड़ सहित कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया मगर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने इनके समर्थन में ट्वीट तक नहीं किया.
राजनीतिक विश्लेषक अजय पुरोहित कहते हैं, ''राजस्थान में बीजेपी सरकार के खिलाफ पहली बार इतनी बड़ी तादाद में कांंग्रेस कार्यकर्ता सड़कों पर आए मगर वरिष्ठ नेताओं की दूरी ने पूरी तैयारियों पर पानी फेर दिया. युवाओं को वरिष्ठ नेताओं से जिस उत्साह और समर्थन की अपेक्षा थी, वह नजर नहीं आया.''
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और अशोक गहलोत को पहले से इस कार्यक्रम की सूचना थी. डोटासरा दिनभर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले नेताओं से मुलाकात करते रहे मगर वहां से कुछ ही दूरी पर हो रहे प्रदर्शन में भाग लेने नहीं पहुंचे.
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत NSUI के इस प्रदर्शन में भागीदारी करने तो नहीं गए मगर उन्होंने छात्र संघ चुनाव कराने के लिए ट्वीट जरूर किया. गहलोत ने लिखा, ''राजस्थान की बीजेपी सरकार समझ क्यों नहीं रही है कि छात्रसंघ चुनाव भविष्य के राजनेता तैयार करने के लिए बेहद जरूरी हैं. NSUI समेत सभी छात्र संगठन चुनाव करवाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं. जब सभी संगठन चाहते हैं तो छात्रसंघ चुनाव करवाने में क्या परेशानी है?''
यह भी दिलचस्प बात है कि राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव पर रोक भी अशोक गहलोत के कार्यकाल में ही लगी थी. गहलोत सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगा दी थी. इससे पहले भी राजस्थान में छात्रसंघ चुनावों पर कई बार रोक लग चुकी है. 2007-08 में पूर्ववर्ती वसुंधराराजे सरकार ने छात्र संघ चुनावों पर रोक लगा दी थी. अशोक गहलोत सरकार ने 2010 में यह रोक हटाई. 2020 में कोरोना महामारी के वक्त छात्रसंघ चुनाव स्थगित किए गए थे जो 2022 में फिर से शुरू हुए. राजनीतिक मामलों के जानकार दीपेंद्र सिंह कहते हैं, ''अशोक गहलोत हमेशा छात्र राजनीति की बात करते हैं और खुद को छात्र राजनीति की उपज बताते रहे हैं मगर जयपुर में होने के बावजूद उनकी अनुपस्थिति कई सवाल खड़े करती है. डोटासरा की गैरहाजिरी से यह लगता है कि NSUI अब प्रदेश कांग्रेस के एजेंडे में प्राथमिकता में नहीं है?''
यह पहला बड़ा मौका जरूर था लेकिन कांग्रेस में गुटों के हिसाब से धरने-प्रदर्शन जैसे आयोजनों का रिवाज पहले से चल रहा है. कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिहं डोटासरा की ओर से आयोजित कार्यक्रमों में सचिन पायलट और उनके गुट के अन्य नेता नदारद रहते हैं वहीं पायलट गुट की ओर से आयोजित कार्यक्रमों में अशोक गहलोत और गोविंद सिंह डोटासरा शिरकत नहीं करते.
राजनीतिक हलकों में तो यह भी चर्चा है कि कभी अशोक गहलोत गुट के माने जाने वाले गोविंद सिंह डोटासरा ने भी अब अपनी अलग राह पकड़ ली है. हालांकि अभी इसका कोई साफ इशारा नहीं मिला है.