योगी को क्यों पसंद है सिंघम जैसी मूछों वाला ये पुलिस अधिकारी?

अपने कड़क अंदाज और सिंघम टाइप मूंछों लिए चर्चा में रहने वाले प्रशांत कुमार को उत्तर प्रदेश पुलिस का नया मुखिया बनाया गया है

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ प्रशांत कुमार
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ प्रशांत कुमार

उत्तर प्रदेश के स्पेशल डीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार को राज्य सरकार ने प्रदेश पुलिस का नया मुखिया बनाया है. कार्यवाहक डीजीपी विजय कुमार के 31 जनवरी को रिटायर होने के बाद प्रशांत कुमार को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है. वर्ष 1990 बैच के आईपीएस प्रशांत कुमार 16 अफसरों को सुपरसीड करके यानी पीछे छोड़कर कार्यवाहक डीजीपी बने हैं. 

बीते करीब साढ़े तीन वर्ष से वे कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. इसके अलावा उनके पास आर्थ‍िक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) और स्टेट एसआईटी की जिम्मेदारी भी है. यह लगातार चौथी बार है जब यूपी में कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति हुई है. अपराध और माफिया के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की 'जीरो टॉलरेंस नीति' को अमलीजामा पहनाने में प्रशांत कुमार की बड़ी भूमिका रही है.

कड़क अंदाज और सिंघम टाइप मूंछों लिए चर्चा में रहने वाले प्रशांत कुमार को अपराधियों और माफियाओं के खिलाफ करीब 300 एनकाउंटर का मास्टरमाइंड माना जाता है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालने के कुछ ही महीने बाद 15 जुलाई, 2017 को प्रशांत कुमार को मेरठ जोन का एडीजी बनाया था.

अपराध के लिए कुख्यात रहे मेरठ जोन की कमान संभालते ही प्रशांत ने पुलिस अधिकारियों की अपनी एक टीम बना ली थी. अपराधियों पर नकेल कसने के लिए बनी इस टीम को प्रशांत ने खुद सामने से लीड करना शुरू किया. जुलाई, 2019 में शातिर अपराधी रोहित सांडू को मिर्जापुर से मुजफ्फरनगर पेशी में ले जाने के दौरान इसके साथियों ने पुलिस बल पर हमला करके रोहित को छुड़ा लिया था. 

इस हमले में मिर्जापुर में तैनात दारोगा दुर्ग विजय सिंह शहीद हुए थे. इस घटना के बाद प्रशांत ने खुद रोहित सांडू को पकड़ने की कमान संभाली. मुजफ्फरनगर में सांडू के आने की सूचना मिलते ही प्रशांत ने तत्कालीन एसएसपी मुजफ्फरनगर अभिषेक यादव के साथ नई मंडी कोतवाली क्षेत्र में सघन जांच अभियान शुरू कर दिया था. पुलिस के घेरे में अपने को फंसा देख रोहित सांडू ने गोलीबारी शुरू कर दी.

पुलिस की ओर से हुई गोलीबारी में सांडू मारा गया. 18 फरवरी, 2020 को प्रशांत की सरपरस्ती में एक पुलिस टीम ने दिल्ली का सबसे बड़ा डॉन कहे जाने वाले शिवशक्ति नायडू को पकड़ने के लिए एक फ्लैट पर छापा मारा. अचानक पुलिस के पहुंचने पर नायडू ने फायरिंग शुरू कर दी. पुलिस की जवाबी गोलीबारी में दो लाख का इनामी बदमाश नायडू मारा गया. 

चूंकि प्रशांत खुद अपराधियों की धड़पकड़ करने सड़क पर उतर रहे थे इससे पुलिस बल का मनोबल बढ़ा. अपराधियों के खिलाफ प्रशांत का हल्ला बोल ही था कि मेरठ जोन में कोई ऐसा बदमाश नहीं बचा जो जेल के बाहर हो. प्रशांत की निगरानी पश्च‍िमी यूपी में दो हजार के करीब एनकाउंटर हुए जिनमें 63 बदमाश मारे गए. 14 सौ के करीब लोग घायल हुए.

यह दावा किया जाता है कि पुलिस का खौफ इस कदर पनपने लगा कि बहुत सारे कुख्यात अपराधियों ने अपनी बेल रद कराकर जेल के भीतर चले गए. कई अपराधियों ने तो कोर्ट में दरख्वास्त दी कि उन्हें बेड़ियों में जकड़कर पेशी पर लाया जाए ताकि पुलिस के पास अपराधियों के भागने की बात कहकर एनकांउटर का बहाना न रहे. 

अपने कार्यकाल के दौरान मेरठ में कांवड़ियों पर पुष्पवर्षा के लिए उन्हें खासी चर्चा मिली थी. मेरठ जोन के एडीजी के रूप में अपराधियों पर कानून का शिकंजा कसने वाले प्रशांत कुमार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 26 मई, 2020 को यूपी का एडीजी कानून-व्यवस्था बनाकर उनके बेहतरीन काम का इनाम दिया.

इसके बाद प्रशांत कुमार ने यूपी के माफियाओं की एक सूची तैयार की. इसमें 66 कुख्यात माफिया चिन्हित किए गए. पहली बार पुलिस मुख्यालय से इन माफियाओं पर कार्रवाई की सीधी निगरानी शुरू की. उनके नेतृत्व में एसटीएफ और जिलों की पुलिस ने एनकाउंटर करने का सिलसिला जारी रखा है. अपनी कार्यशैली से ही प्रशांत कुमार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सबसे भरोसेमंद पुलिस अफसर के रूम में सामने आए हैं. 

यूपी में अपराधियों के नेटवर्क को नेस्तनाबूद करने वाले प्रशांत कुमार मूलत: बिहार के सीवान जिले की छाता पंचायत स्थित हथौडी गांव के रहने वाले हैं. बिहार में शुरुआती शिक्षा लेने के बाद प्रशांत दिल्ली आ गए. यहां के हंसराज कालेज से ग्रेजुएशन और जुबली हॉल से पोस्ट ग्रेजुएशन किया.

एप्लाइड जियोलाजी से एमएससी में प्रशांत ने दिल्ली विश्वविद्यालय में पहली पोजीशन और गोल्ड मेडल भी पाया था. वर्ष 1990 में प्रशांत का चयन भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में हुआ. इनका चयन तमिलनाडु कैडर में हुआ था. निजी कारणों के चलते वर्ष 1994 में उन्होंने अपना ट्रांसफर यूपी कैडर में करा लिया. 

प्रशांत की शुरुआती पोस्टिंग एडीशनल सुपरिटेंडेंट आफ पुलिस (एएसपी) बरेली, एसपी सिटी वाराणसी, एसपी सिटी बरेली के पद पर हुई. इसके बाद भदोही, पौड़ी गढ़वाल, सोनभद्र, जौनपुर, गाजियाबाद, फैजाबाद, सहारनपुर, बाराबंकी में पुलिस कप्तान रहे. कुछ दिन क्राइम ब्रांच सीआईडी में प्रशांत को तैनाती मिली. प्रशांत गाजियाबाद जैसे संवेदनशील जिले में ढाई साल - 8 दिसंबर, 1999 से लेकर 9 मई, 2002 तक एसएसपी रहे थे. इस समय हाइ-प्रोफाइल नितीश कटारा हत्याकांड के आरोपियों को प्रशांत ने ही जेल भेजकर इनका कन्विक्शन कराया था. 

मिर्जापुर, फैजाबाद, सहारनपुर, मेरठ पुलिस मुख्यालय में डीआईजी रहे. वर्ष 2007 से लेकर 2014 तक केंद्र सरकार में भी प्रशांत ने अपनी सेवाएं दीं. इस दौरान यह डीआईजी (सीआईएसएफ) और आईजी (आईटीबीपी) पद पर तैनात रहे. प्रशांत ने दिल्ली के नेशनल डिफेंस कालेज से ग्यारह महीने का नेशनल डिफेंस कोर्स भी किया.

दिसंबर, 2015 में प्रशांत एडीजी पद पर प्रोन्नत हुए. एडीजी सिक्युरिटी, एडीजी पीएसी और एडीजी ट्रैफिक की जिम्मेदारी संभालने के बाद प्रशांत को एडीजी मेरठ का चुनौतीपूर्ण दायित्व मिला था. एडीजी कानून व्यवस्था के रूप में प्रशांत के कार्यकाल में ही विशेषकर लाकडाउन के दौरान यूपी पुलिस का एक नया संवेदनशील चेहरा सामने आया. पुलिस ने यह दिखाया कि अगर उसके पास काम का दबाव कम हो तो आम जनता की हर जरूरत पर खरी उतर सकती है. 

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