राजस्थान सरकार की उपलब्धियां गिनाने की कवायद क्या खुद उस पर भारी पड़ गई?
भजनलाल सरकार के दो साल के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाने के लिए मंत्रियों को राजस्थान के अलग-अलग जिलों में भेजा मगर यहां जो हुआ उससे सरकार की बदनामी ज्यादा हो गई

यह 14 दिसंबर की बात है जब राजस्थान सरकार में उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा भीलवाड़ा पहुंचे. वे इस जिले के प्रभारी हैं और इस दिन उन्हें यहां भजनलाल सरकार की दो साल की उपलब्धियों के बारे प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी थी.
बैरवा सरकार की उपलब्धियां गिनाने के लिए एक कागज साथ लेकर आए थे. प्रेस कॉन्फ्रेंस में कागज पढ़कर जब वे जाने लगे तो पत्रकारों ने उनसे बिजली, पानी, सड़क जैसे मुद्दों पर कुछ सवाल करना चाहा मगर बैरवा इन पर कोई बात नहीं की. इस पर पत्रकारों के साथ उनकी कहा-सुनी हो गई. यहां मौजूद एक पत्रकार ने कहा, ''क्या आप यहां सिर्फ डाक डालने के लिए आए थे, यह कागज तो कोई भी पढ़कर सुना देता, फिर आपको यहां आने की क्या जरुरत थीॽ”
इस घटना की पूरे प्रदेश में काफी चर्चा हुई और उपमुख्यमंत्री की जो प्रेस कॉन्फ्रेंस राज्य सरकार के कामों के प्रचार के लिए आयोजित की गई थी, उसने ठीक उलटा काम कर दिया. हालांकि मामला इस एक घटना तक सीमित नहीं है.
दरअसल राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार ने अपनी दो साल की उपलब्धियां जनता तक पहुंचाने के लिए मंत्रियों जिम्मा सौंपा था. मंत्रियों को उनके प्रभार वाले जिलों में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार के दो साल के काम-काज का ब्यौरा देने के लिए भेजा गया. स कवायद के पीछे मकसद था जनसंवाद, जवाबदेही और सरकार की नीतियों का प्रचार मगर जमीन पर मामला उलटा पड़ता दिखा.
जिलों में पहुंचे कई मंत्री पत्रकारों के तीखे सवालों के सामने असहज नजर आए. हालात ये हो गए कि कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस अधूरी छोड़कर भागने लगा तो किसी ने उलटे पत्रकारों से ही सवाल करने शुरू कर दिए. एक मंत्री ने तो पत्रकारों को ही प्रवचन सुना दिए. पत्रकार वार्ताओं में मंत्रियों के साथ अधिकारी भी मौजूद रहे मगर वे भी उनका बचाव नहीं कर पाए.
मंत्रियों के पास दो साल की बजट घोषणाओं के पुलिंदे तो थे लेकिन सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन, कानून-व्यवस्था, बेरोजगारी, महंगाई, पेपर लीक, किसान संकट और भर्ती प्रक्रियाओं जैसे मुद्दों के ठोस जवाब नहीं थे. मंत्री जिन उपलब्धियों की फेहरिस्त लेकर पहुंचे थे, उनमें अधिकांश योजनाएं केंद्र सरकार की थीं या फिर पूर्ववर्ती सरकार की अधूरी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने तक सीमित रहीं. जब इन योजनाओं की प्रगति, बजट खर्च और जमीनी असर पर सवाल किए गए तो मंत्री असहज हो गए और 'जानकारी फाइल में है’, 'डेटा मंगवाना पड़ेगा' जैसे जवाब बार-बार सुनाने लगे.
सवालों से घबराए कुछ मंत्रियों की बानगी देखिए :
11 दिसंबर को राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को सरकार की उपलब्धियां बताने के लिए उनके प्रभार वाले जिले जोधपुर भेजा गया. दिलावर केंद्र और राज्य सरकार की ओर से की गई घोषणाओं का भारी-भरकम पुलिंदा लेकर पत्रकारों के बीच पहुंचे. सरकार की उपलब्धियां गिनाने के बाद जब पत्रकारों ने उनसे सवाल करने शुरू किए तो उन्होंने कहा - आज मैं सिर्फ सरकार के दो साल के कामकाज पर ही बात करूंगा. बच्चों को स्कूल ड्रेस, जोधपुर में क्या काम हुआ जैसे सवालों पर दिलावर निरुत्तर हो गए. किसी ने उनसे पूछ लिया - आप तो दो साल का सिर्फ एक काम बता दो जिससे जोधपुर की तस्वीर बदली हो. इस सवाल पर दिलावर उपलब्धियों वाले पन्ने पलटते रहे. इसी दौरान उनसे जोधपुर की खस्ताहल सड़कों और पानी की समस्या को लेकर सवाल होने लगे तो दिलावर बिफर गए. दिलावर ने झल्लाकर कहा - ''आप लोग सोचकर आए हो क्या कि मुझे बोलने ही नहीं दोगे''ॽ
वहीं 13 दिसंबर को बीकानेर के प्रभारी मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर पत्रकार वार्ता करने आए. एक पत्रकार ने सवाल किया कि एक बार आप बीकानेर शहर का दौरा कर लो, आपको पता चल जाएगा कि शहर की क्या हालत हैॽ इस सवाल पर मंत्री के पीछे खड़े भाजपा विधायक जेठानंद व्यास भड़क गए और पत्रकारों पर चिल्लाने लगे. मंत्री ने जेठानंद व्यास का बड़ी मुश्किल से शांत करवाया. गजेंद्र सिंह ने कहा, ''ऐसा नहीं है कि हमने दो साल में कुछ नहीं किया. दो साल में खूब काम हुआ है. हम हमारी हर बजट घोषणा को पूरा कर रहे हैं.''
16 दिसंबर को बाड़मेर में तो अलग ही नजारा दिखा. बाड़मेर में सरकार के कामकाज का ब्यौरा देने पहुंचे प्रभारी मंत्री जोराराम कुमावत तो पत्रकारों के सवालों से इतने नाराज हुए कि उन्होंने उलटे पत्रकारों को ही प्रवचन सुनाने शुरू कर दिए. करीब 25-30 मिनट तक सरकार की दो साल की उपलब्धियों का कागज पढ़ने के बाद पत्रकारों ने जब उनसे बाड़मेर की समस्याओं के बारे में पूछा तो उन्होंने अध्यात्मिक अंदाज में कहा, ''जब तक संसार है, समस्याएं तो रहेंगी. समस्याएं कहां नहीं है. हर घर में समस्या होती है.'' प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवालों से नाराज होकर कुमावत दो बार अपनी कुर्सी से खड़े होकर जाने लगे मगर वहां मौजूद भाजपा पदाधिकारियों ने राजी कर वापस बिठाया.
18 दिसंबर को धौलपुर में प्रभारी मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म और भाजपा नेता अशोक परनामी सरकार के दो साल के कामकाज का ब्यौरा देने पहुंचे. इस दौरान परनामी ने पूर्ववर्ती सरकार की खूब कमियां गिनाई मगर जब उनसे यह पूछा गया कि दो साल में आपने क्या किया तो वो ठीक से जवाब नहीं दे पाए और पत्रकारों से उलझ गए.
भजनलाल सरकार के दो साल पूरे होने पर राजस्थान के विभिन्न हिस्सों से आ रही ये तस्वीरें सरकार की तैयारी, आत्मविश्वास और जवाबदेही तीनों पर सवाल खड़े करती हैं.
राजनीतिक विश्लेषक गजेंद्र सिंह कहते हैं, ''मंत्रियों के हाथ में सरकार की उपलब्धियों का कागज तो था मगर उन्हें जिलों की समस्याओं की जानकारी नहीं थी. उपलब्धियों के साथ अगर वे अपने प्रभार वाले जिलों के बारे में भी कुछ होमवर्क कर लेते तो इतनी फजीहत नहीं होती.
विपक्षी कांग्रेस ने मंत्रियों के घिरने पर कटाक्ष किया है. कांग्रेस प्रवक्ता जसवंत गुर्जर का कहना है, '' यह जवाबदेही से भागने वाली सरकार है. जब मंत्री ही अपनी सरकार का हिसाब नहीं दे पा रहे तो जनता को जवाब कौन देगा?''