नया घर स्मृति ईरानी के लिए कितना शुभ होगा?
केंद्र सरकार में कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी में अपने लिए मकान बनवाया है, जिसमें 22 फरवरी को उन्होंने धूमधाम से गृह प्रवेश किया है

अमेठी के जिला मुख्यालय गौरीगंज से सुल्तानपुर रोड पर करीब 3 किलोमीटर चलने पर मेदन मवई गांव में सड़क किनारे एक कोठी की बाउंड्री वॉल भगवान राम और उनके जीवन के प्रसंगों पर आधारित चित्रों से सजी हुई है. बाहर बड़ी संख्या में लोगों की गहमा-गहमी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का झंडा लगी गाडि़यों की जुटान इस कोठी को राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र होने का संकेत भी दे रही हैं.
यह केंद्र सरकार में मंत्री और अमेठी से सांसद स्मृति ईरानी का नया आवास है. महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन से आए पंडितों ने 22 फरवरी को वैदिक मंत्रोच्चार के साथ केंद्रीय मंत्री के नए आवास के गृह प्रवेश की पूजा शुरू की. पति जुबिन ईरानी के साथ स्मृति ईरानी ने गृह प्रवेश की पूजा संपन्न होने के बाद सिर पर कलश रखकर नवनिर्मित घर में प्रवेश किया. इस तरह अब “स्मृति ईरानी, ग्राम : मेदन मवई, गौरीगंज अमेठी ” अमेठी सांसद का नया पता बन गया.
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान, स्मृति ईरानी ने वादा किया कि अगर वे यहां से चुनी गईं तो उनका अमेठी में एक स्थायी पता होगा. अमेठी से चुनाव जीतने के बाद फरवरी 2021 में उन्होंने गौरीगंज इलाके में 15,000 वर्ग फुट जमीन का एक प्लॉट खरीदा. वर्ष 2021 में स्मृति के बेटे ने भूमि पूजन कर नए आवास की नींव रखी थी.
स्मृति ईरानी ने अपने नए आवास के जरिए कई राजनीतिक निशाने भी साधे हैं. वे अमेठी में घर बनवाने वाली पहली सांसद बन गई हैं. इससे पहले अमेठी लोकसभा क्षेत्र से संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, कैप्टन सतीश शर्मा, राहुल गांधी सहित अन्य ने नुमाइंदगी की लेकिन, 1977 में सांसद चुने गए रविंद्र प्रताप सिंह और वर्ष 1998 में सांसद बने डॉ. संजय सिंह का ही यहां पर स्थाई ठिकाना था. ये दोनों अमेठी के रहने वाले थे.
स्मृति ईरानी पहली ऐसी सांसद बनी है, जिन्होंने अमेठी में जमीन खरीदकर घर बनवाया है. घर की चारदीवारी के भीतर ईशान कोण पर एक मंदिर बनाया गया है जबकि, सामने एक लॉन है. इसमें किनारों पर आकर्षक फूल और पौधे लगाए गए हैं. नए घर के गृह प्रवेश की तिथि 22 फरवरी से भी स्मृति ईरानी ने संदेश देने की कोशिश की है. 22 फरवरी के ठीक एक महीना पहले 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी और इसके एक दिन पहले 21 जनवरी को स्मृति ईरानी ने अपने निर्माणधीन आवास परिसर पर कारसेवकों का सम्मान भी किया था.
इस तरह स्मृति ईरानी अमेठी में अपने नए आवास के जरिए अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने की हर संभव कोशिश में लगी हैं. गृह प्रवेश का यह अवसर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के अमेठी से गुजरने के तीन दिन बाद आया है. इंडिया गठबंधन के अपने ताजातरीन सहयोगी समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ सीटों के बंटवारे में अमेठी सीट कांग्रेस की झोली में ही आई है. तो क्या एक बार फिर अमेठी लोकसभा सीट पर स्मृति ईरानी बनाम राहुल गांधी की राजनीतिक जंग का मैदान सज रहा है? कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने हाल ही में कहा था कि अमेठी के लोग चाहते हैं कि राहुल गांधी इस निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ें लेकिन अंतिम निर्णय पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति करेगी.
इसके बाद पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर स्मृति ईरानी ने भी कहा कि वे भी चाहती हैं कि राहुल गांधी एक बार फिर अमेठी से चुनाव लड़ें. अमेठी निवासी और हाइकोर्ट में वरिष्ठ वकील रमेश चंद्र मिश्र बताते हैं, “अमेठी में वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को भले ही हार का सामना करना पड़ा हो. भले ही राहुल गांधी हारने के बाद नियमित रूप से अमेठी न आए हों बावजूद इसके स्थानीय जनता में उनके प्रति सम्मान का भाव बना है. असल में राहुल गांधी के हारने के बाद अमेठी ने हाइप्रोफाइल संसदीय क्षेत्र का तमगा खो दिया जिसका यहां के निवासियों को दुख है.”
अमेठी में स्मृति ईरानी के गृह प्रवेश समारोह में मौजूद योगी सरकार में अल्पसंख्यक विभाग के राज्य मंत्री दानिश अंसारी बताते हैं, “यह अमेठी की जनता का स्नेह ही है जिसकी बदौलत स्मृति ईरानी ने अपने संसदीय क्षेत्र में स्थाई मकान बनवाया है. अगर वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव राहुल गांधी अमेठी से लड़ते भी हैं तो उनकी यहां से जमानत जब्त हो जाएगी.”
वर्ष 1967 में अपने गठन के बाद से ही अमेठी कांग्रेस का गढ़ रहा है. पिछले चार वर्षों को छोड़कर, कुछ 1970 के दशक और 1990 के दशक के उत्तरार्ध में, इस निर्वाचन क्षेत्र ने हमेशा या तो नेहरू-गांधी परिवार या किसी वफादार को वोट दिया है. आपातकाल समाप्त होने के तुरंत बाद 1977 में अमेठी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ने वाले संजय गांधी नेहरू-गांधी परिवार के पहले व्यक्ति थे. हालांकि, जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए जबरन नसबंदी कार्यक्रम में शामिल होने के कारण उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था. यह पहली बार था कि अमेठी ने अपने संक्षिप्त इतिहास में किसी गैर-कांग्रेसी नेता को वोट दिया था, तब जनता पार्टी के रवींद्र प्रताप सिंह ने सीट जीती थी. कांग्रेस के दिग्गज नेता संजय गांधी को आखिरकार 1980 के लोकसभा चुनाव में जीत मिली और वे सांसद बने.
लेकिन वर्ष 1981 में एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो जाने के कारण उनका कार्यकाल छोटा कर दिया गया. संजय की मृत्यु राजीव गांधी के सक्रिय राजनीति में प्रवेश की राह बनी. 4 मई 1981 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में इंदिरा गांधी ने अपने छोटे बेटे का नाम अमेठी से उम्मीदवार के रूप में प्रस्तावित किया. बैठक में मौजूद सभी कांग्रेस सदस्यों ने इस सुझाव को स्वीकार कर लिया, जिसके बाद राजीव ने अमेठी लोकसभा सीट से अपनी उम्मीदवारी दाखिल की. राजीव ने उपचुनाव में प्रचंड जीत दर्ज की और लोकदल उम्मीदवार शरद यादव के खिलाफ 2 लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की.
राजीव ने 1984, 1989 और 1991 में जीतकर लगभग एक दशक तक सीट बरकरार रखी. वर्ष 1991 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) के आत्मघाती हमले में राजीव गांधी की मौत के बाद कांग्रेस के सतीश शर्मा ने अमेठी लोकसभा सीट पर उपचुनाव जीता और 1996 में फिर से निर्वाचित हुए. दो साल बाद लोकसभा चुनाव में भाजपा के संजय सिंह ने उन्हें हराया. इस चुनाव में भाजपा ने यूपी की 85 लोकसभा सीटों में से 57 पर जीत हासिल की थी. राजनीतिक रुझान बदला और वर्ष 1999 में अमेठी ने एक बार फिर नेहरू-गांधी परिवार के सदस्य को वोट दिया, जब सोनिया गांधी इस निर्वाचन क्षेत्र से लड़ीं.
सोनिया गांधी ने 1999 में बेल्लारी, कर्नाटक और अमेठी, उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़ा. उन्होंने दोनों सीटें जीतीं लेकिन उन्होंने अमेठी का प्रतिनिधित्व करना चुना. वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव के लिए सोनिया ने अपनी उम्मीदवारी को रायबरेली से स्थानांतरित कर दिया, वहीं बेटे राहुल गांधी ने अमेठी से चुनाव लड़ा. राहुल ने अपने पहले प्रयास में सीट जीती और वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में 3.70 लाख वोटों के भारी अंतर से फिर से चुने गए. हालांकि 2014 में राहुल गांधी ने फिर से जीत हासिल की, लेकिन उनकी प्रतिद्वंद्वी भाजपा उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने उन्हें कड़ी टक्कर दी.
आखिरकार स्मृति ईरानी ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल को हरा दिया और दो दशकों से अधिक समय में अमेठी जीतने वाली दूसरी भाजपा नेता बन गईं. कांग्रेस पार्टी को अब उम्मीद है कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल वापस आएंगे. इसमें विशेष रूप से राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा और समाजवादी पार्टी से हुए गठबंधन से कांग्रेस नेता उत्साहित हैं. राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव लड़ने पर अभी भी संशय बना हुआ है. उधर, स्मृति ईरानी द्वारा गृह प्रवेश के बाद उनके अमेठी से चुनाव लड़ने पर कोई संशय नहीं है. अब देखना है कि नया घर उनके लिए कितना शुभ साबित होता है.