मेरठ के रण में भाजपा ने क्यों लगाया 'राम' पर दांव?
मेरठ लोकसभा सीट पर वैश्य जाति के सांसद राजेंद्र अग्रवाल की जगह पंजाबी वैश्य अरुण गोविल को उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने एक साथ कई निशाने साधे

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में मेरठ लोकसभा सीट यूपी की उन सीटों में शुमार थी जिनपर "मोदी लहर" के बावजूद भाजपा पांच हजार से कम वोटों से जीती थी. इस चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार हाजी याकूब कुरैशी ने भाजपा उम्मीदवार राजेंद्र अग्रवाल को कड़ी टक्कर दी थी. राजेंद्र अग्रवाल ने 4729 मतों से जीत हासिल की थी, वह भी तब जब नोटा के पक्ष में 6316 वोट पड़े थे.
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही राजेंद्र अग्रवाल के अगली बार भाजपा उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव न लड़ने की अटकलें लगने लगी थीं. इसी वजह से कई भाजपा नेताओं ने धीरे-धीरे अपनी दावेदारी पेश करनी शुरू कर दी थी. सबसे ज्याद वैश्य समाज से आने वाले नेताओं की नजर मेरठ संसदीय सीट पर गड़ी थी. इनमें सबसे आगे तीन बार से मेरठ कैंट से विधायक अमित अग्रवाल थे.
उपभोक्ता सहकारी संघ के अध्यक्ष संजीव गोयल सिक्का और व्यापारी नेता विनीत अग्रवाल शारदा मजबूत दावेदारी दिखा रहे थे. वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा की यूपी के उम्मीदवारों की पहली सूची में जब मेरठ का नाम नहीं था तभी से सांसद राजेंद्र अग्रवाल को दोबारा टिकट न मिलने की आशंका मजबूत हो गई थी.
होलिका दहन वाले दिन 24 मार्च को जब भाजपा ने यूपी की लोकसभा सीटों के लिए उम्मीवारों की अपनी दूसरी लिस्ट जारी की तब मेरठ लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी को लेकर बनी धुंध छंट गयी. रामानंद सागर के मशहूर धारावाहिक 'रामायण' में राम का किरदार निभा कर प्रसिद्धि पाने वाले सिने अभिनेता 65 वर्षीय अरुण गोविल को मेरठ लोकसभा सीट से भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया.
वर्ष 2021 में पश्चिमी बंगाल समेत चार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव से पहले अरुण गोविल 18 मार्च को भाजपा में शामिल हो गए थे. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा उस वक्त 'जय श्री राम' के नारे पर उठाई गई 'आपत्ति' उनके लिए राजनीतिक कदम उठाने का 'तत्काल ट्रिगर' थी. इसके बाद अरुण गोविल ने कुछ विधानसभा सीटों पर भाजपा का प्रचार भी किया लेकिन उसके बाद गोविल भाजपा में बहुत सक्रिय नहीं दिखे.
22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान अरुण गोविल अचानक मीडिया की सुर्खियां बनने लगे. इस दौरान अयोध्या प्रवास के दौरान जिस तरह लोगों में उनका क्रेज दिखा उससे अरुण गोविल के फैजाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें भी लगने लगी थीं.
अयोध्या से ताल्लुक रखने वाले एक वरिष्ठ भाजपा नेता बताते हैं, "चूंकि भाजपा के लिए वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान राम मंदिर निर्माण एक प्रमुख मुद्दा तो है लेकिन पार्टी 'मोदी की गारंटी' के मुद्दे को अपने चुनावी अभियान की मुख्य रणनीति मानकर चल रही है. इसीलिए भाजपा ने अयोध्या से किसी हाइप्रोफाइल चेहरे को चुनाव मैदान में उतारने से परहेज किया है."
उधर भाजपा के गढ़ रहे मेरठ में सांसद राजेंद्र अग्रवाल को दोबारा टिकट न मिलने की संभावना को देखते हुए स्थानीय नेताओं में होड़ और गुटबाजी लगातार बढ़ रही थी. ऐसे में यदि इनके बीच से ही किसी नेता को सांसद राजेंद्र अग्रवाल की जगह उम्मीवार बनाया जाता तो पार्टी को स्थानीय स्तर पर असंतोष फैलने की आशंका थी. इसीलिए भाजपा ने मेरठ कैंट में जन्मे अरुण गोविल को उम्मीदवार बनाकर किसी दूसरे बाहरी प्रत्याशी को उतारने से और फैलने वाले असंतोष को थामने की भी कोशिश की.
अरुण गोविल के पिता चंद्रप्रकाश गोविल मेरठ नगर पालिका में जलकल विभाग में इंजीनियर थे. अरुण गोविल की शुरुआती शिक्षा मेरठ में ही सरस्वती शिशु मंदिर, पूर्वा महावीर और राजकीय इंटर कॉलेज से हुई. इसके बाद मेरठ की चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. अरुण का झुकाव एक्टिंग में था तो वो कुछ नाटकों में भी भाग लिया करते थे. वर्ष 1975 में अरुण मुम्बई (तत्कालीन बॉम्बे) चले गए थे.
मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट पर 2.50 लाख वैश्य वोटर हैं. ठाकुर 70 हजार, ब्राह्मण डेढ़ लाख, जाट एक लाख, गुर्जर 90 हजार, मुस्लिम साढ़े पांच लाख, दलित तीन लाख, पंजाबी 50 हजार, पिछड़े व अन्य करीब चार लाख वोटर हैं. वैश्य जाति के मतदाताओं के एकतरफा समर्थन से ही राजेंद्र अग्रवाल मेरठ लोकसभा सीट से भाजपा के तीन बार सांसद रहे.
वैश्य जाति के राजेंद्र अग्रवाल की जगह पंजाबी वैश्य अरुण गोविल को मेरठ लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने एक साथ कई रणनीतियों को साधने की कोशिश की है. मेरठ से सटी गाजियाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा ने क्षत्रिय समाज से आने वाले सांसद जनरल वी. के. सिंह की जगह वैश्य समाज के अतुल गर्ग को उम्मीदवार बनाया है. इस प्रकार भाजपा ने गाजियाबाद और मेरठ लोकसभा सीट पर वैश्य जाति के उम्मीदवार ही उतरे हैं, जिसका मेरठ के स्थानीय नेता विरोध कर रहे हैं.
इसके अलावा भाजपा ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कम अंतर से हारने वाली कुछ लोकसभा सीटों पर हाइप्रोफाइल उम्मीदवार उतारने की रणनीति पर भी काम कर रही है. मेरठ सीट पर अरुण गोविल का चयन भाजपा की इसी रणनीति का परिणाम है. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सांसद राजेंद्र अग्रवाल महज 4729 वोटों से ही चुनाव जीत पाए थे.
मेरठ कालेज में अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर मनोज सिवाच बताते हैं, "रामायण में श्रीराम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल की लोकप्रियता यूपी समेत पूरे प्रदेश में हैं. मेरठ से अरुण गोविल के चुनाव लड़ने से अप्रत्यक्ष रूप से राम मंदिर का मुद्दा भी जनता के बीच गति पकड़ेगा. इसका फायदा पश्चिमी यूपी के साथ यूपी के दूसरे हिस्सों में भी भाजपा को मिलेगा." दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मेरठ में मतदान होने के बाद भाजपा देश और यूपी के दूसरे हिस्सों की लोकसभा सीटों पर अरुण गोविल का बतौर स्टार प्रचारक उपयोग करने की योजना बना रही है.