उत्तर प्रदेश में कई चिड़ियाघर बंद! आखिर यहां कैसे पहुंचा बर्ड फ्लू?

गोरखपुर के शहीद अशफाकुल्लाह खां प्राणी उद्यान में मृत बाघि‍न की विसरा जांच में बर्ड फ्लू वायरस की पुष्टि‍ से हड़कंप. यूपी के सभी चिड़ियाघर और लायन सफारी को बंद किया गया. "एच5 एवियन इन्फ्लूएंजा" फैलने के लिए लापरवाही को जिम्मेदार ठहरा रहे विशेषज्ञ

शहीद अशफाकुल्ला खां प्राणी उद्यान, गोरखपुर
शहीद अशफाकुल्ला खां प्राणी उद्यान, गोरखपुर

गोरखपुर के शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान में जब अन्य वन्य जीवों की लगातार मौत हो रही थी तब यहां बाघि‍न शक्ति‍ पूरी तरह से स्वस्थ थी. इसी बीच अचानक पानी और भोजन छोड़ने वाले भेड़िया भैरवी की 24 घंटे के भीतर 5 मई को मौत हो गई.

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में शरीर में संक्रमण और कई अंगों के काम न करने की पुष्टि हुई. गोरखपुर चिड़ियाघर प्रशासन भेड़िया की मौत की वजह जानने में जुटा ही था कि बाघिन शक्ति ने भी खाना-पीना छोड़ दिया और 24 घंटे के भीतर 7 मई को इसकी भी मौत हो गई.

इसके बाद शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान में हड़कंप मच गया. आईवीआरआई (भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान), बरेली और राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, भोपाल की लैब रिपोर्ट ने 12 मई को नमूने में बाघि‍न शक्ति‍ में बर्ड फ्लू (एच5) स्ट्रेन की पुष्टि की. इसके बाद, उत्तर प्रदेश सरकार ने लखनऊ, कानपुर और गोरखपुर के चिड़ियाघरों के साथ-साथ इटावा में लायन सफारी को 20 मई तक बंद करने का आदेश दे दिया.

इस बीच लखनऊ और अन्य जगहों से टीमें पहले ही गोरखपुर चिड़ियाघर का दौरा कर चुकी हैं. क्या गोरखपुर के शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान में बर्ड फ्लू जैसी बीमारी की दस्तक के पीछे लापरवाही जिम्मेदार है? जांच में अधिकारियों को तो कुछ ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं. पूछताछ और जांच में पता चला है कि एक हफ्ता पहले बाघि‍न शक्ति के रेस्क्यू सेंटर में तीन पक्षी मरे मिले थे जिन्हें जू कीपर ने किसी को सूचना दिए बगैर फेंक दिया था.

पशु विशेषज्ञों के अनुसार कौओं में भी बर्ड फ्लू का वायरस होने की खतरा ज्यादा होता है. कुछ समय पहले भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान (आईवीआरआई) संस्थान, बरेली की टीम जब गोरखपुर चिड़ियाघर में हेल्थ ऑडिट के लिए पहुंची थी तो उन्हें भी परिसर में नेवला और कौए बड़ी संख्या में दिखाई दिए थे. टीम ने चिड़ियाघर प्रशासन से कौओं को परिसर से दूर रखने की सलाह भी दी थी. आईवीआरआई विशेषज्ञों का मानना है कि संक्रमण का सबसे अधिक खतरा कौआ, नेवला और विदेशी पक्षियों से है.

आईवीआरआई के विशेषज्ञ इस बात को लेकर आशंका जाहिर कर रहे हैं कि कौओं से ही संक्रमण गोरखपुर चिड़ियाघर के वन्यजीवों में फैला है. उत्तर प्रदेश में बर्ड फ्लू के मामले सामने आने के बाद केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने प्रमुख वन्यजीव संस्थानों से पशु चिकित्सकों और रोग विज्ञानियों की पांच सदस्यीय टीम तैनात की है. यह टीम जल्द ही गोरखपुर चिड़ियाघर का दौरा करेगी और बर्ड फ्लू के किसी भी लक्षण के लिए जानवरों की गहन चिकित्सा जांच करेगी. टीम से 15 दिनों के भीतर एक रिपोर्ट सौंपने की उम्मीद है, जिसके आधार पर पशुओं की देखभाल के संबंध में आगे और खास निर्णय लिए जाएंगे.

लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान में अब तक बर्ड फ्लू का कोई मामला सामने नहीं आया है. फिर भी, परिसर की गहन सफाई की जा रही है. यहां के वन्यजीवों को निगरानी में रखा जाएगा. कानपुर प्राणी उद्यान की उच्च स्तरीय निगरानी सुनिश्चित की गई है. यहां स्वास्थ्य कारणों से गोरखपुर चिड़ियाघर से बाहर भेजे गए बाघ पटौदी को निगरानी में रखा गया है. कानपुर चिड़ियाघर के एक अधिकारी ने बताया, "बाघ पटौदी खाना खा रहा है और उसका व्यवहार सामान्य है."

गोरखपुर चिड़ियाघर के बाघ 'पटौदी' को कानपुर प्राणी उद्यान भेजा गया है जहां उसे निगरानी में रखा जा रहा है

गोरखपुर के प्रभागीय वनाधिकारी विकास यादव ने बताया कि भेड़िये की मौत 4 मई को और बाघिन और तेंदुए की मौत क्रमश: 7 और 8 मई को हुई. तीनों जानवरों के नमूने पिछले महीने जांच के लिए भेजे गए थे. बाघिन की रिपोर्ट हाल ही में मिली है. अधिकारियों के मुताबिक जांच में बर्ड फ्लू का एक प्रकार पाया गया था, लेकिन अभी तक यह पुष्टि नहीं हुई है कि यह मौत का वास्तविक कारण था या नहीं.

बाघिन शक्ति को मई 2024 में लखीमपुर खीरी के मैलानी से रेस्क्यू कर गोरखपुर लाया गया था. उसकी उम्र दो साल से अधिक थी. बर्ड फ्लू संक्रमण के मामले सामने आने के बाद प्रदेश के चिडि़याघरों में खाद्य आपूर्तिकर्ता से जानवरों के लिए चारे के स्रोतों की सूची मांगी गई है. गोरखपुर चिड़ियाघर के उप निदेशक डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने कहा, "(जानवरों के लिए) भोजन की आपूर्ति करने वाली एजेंसी को नोटिस जारी किया गया है."

उन्होंने कहा, "चिड़ियाघर को मांस और अन्य सामान की आपूर्ति करने वाली एजेंसी को 48 घंटे में अपने अवयवों और सामग्री के स्रोतों की पूरी सूची उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है. यह फर्म मटन, चिकन और फल भी सप्लाई करती है."

गोरखपुर चिड़ियाघर में भेड़िया को चिकन और मटन दिया जाता था. बर्ड फ्लू की बीमारी भी पक्षियों से पहुंचती है. ऐसे में यह भी आशंका जताई जा सकती है कि भेड़िया को दिए जाने वाले चिकन में संक्रमण तो नहीं था, जो भेड़िया के खाने के बाद वह उसकी चपेट में आया और उसकी मौत हो गई. लेकिन यह बीमारी बाघिन शक्ति तक कैसे पहुंची जबकि चिड़ियाघर के उप निदेशक डॉ. योगेश प्रताप सिंह का कहना है कि बाघिन को जानवर का गोश्त दिया जाता था. सिर्फ छोटे वन्यजीवों को चिकन और मटन दिया जाता है.

जानवर का गोश्त खाने वाले अगर किसी वन्यजीव की तबीयत खराब है तो ही उसे चिकन या मटन दिया जाता है अन्य किसी को नहीं. इसलिए वन्यजीव विशेषज्ञ बर्ड फ्लू फैलने की वजहों को स्पष्ट करने के लिए और गहन जांच की वकालत कर रहे हैं. गोरखपुर चिड़ियाघर के 105 कर्मचारियों के नमूनों की जांच में (बर्ड फ्लू) संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है.

"एच5 एवियन इन्फ्लूएंजा" (बर्ड फ्लू) के संभावित खतरे को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही अधिकारियों को राज्य के सभी चिड़ियाघरों में कड़ी निगरानी बनाए रखने का निर्देश दिया था. 11 मई को एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए आदित्यनाथ ने इस बात पर जोर दिया था कि चिड़ियाघरों, पक्षी अभयारण्यों, राष्ट्रीय उद्यानों, आर्द्रभूमि और गौशालाओं में जानवरों और पक्षियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए.

गोरखपुर चिड़ियाघर में इस महीने मरने वाले दो अन्य जानवरों - एक भेड़िया और एक तेंदुआ - की परीक्षण रिपोर्ट का इंतजार है. अधिकारियों के मुताबिक गोरखपुर चिड़ियाघर के जानवर निरंतर निगरानी में हैं. बाघिन के नमूने का परीक्षण मध्य प्रदेश के भोपाल में राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान में किया गया था जहां से बर्ड फ्लू की पुष्टि‍ हुई थी.

मुख्यमंत्री योगी ने सुरक्षा प्रोटोकॉल के अनुरूप सभी पोल्ट्री फार्मों की सख्त निगरानी और पोल्ट्री उत्पादों की आवाजाही पर सख्त नियंत्रण के निर्देश भी जारी किए हैं. इसके अलावा, उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को एच5 एवियन इन्फ्लूएंजा के मनुष्यों पर संभावित प्रभाव का मूल्यांकन करने का निर्देश दिया, ताकि जनता में संक्रमण के किसी भी जोखिम को रोकने में मदद मिल सके.

पीसीसीएफ (वन्यजीव) अनुराधा वेमुरी ने भी एक बयान में कहा कि राज्य के सभी चिड़ियाघरों में एक विशेष निगरानी प्रणाली और कड़े स्वास्थ्य सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू किए जा रहे हैं. सभी प्रभागीय वन अधिकारियों (डीएफओ) को जानवरों की नियमित स्वास्थ्य जांच करने और किसी भी अनियमितता के संकेत को तुरंत रिपोर्ट करने का निर्देश दिया गया है.

जंगली जानवरों को उनके स्वास्थ्य आकलन के बाद ही खाना दिया जा रहा है. चिड़ियाघर के कर्मचारियों को व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट पहनने और सख्त व्यक्तिगत स्वच्छता प्रोटोकॉल का पालन करने का निर्देश दिया गया है. वायरस के संभावित प्रसार को रोकने के लिए सभी चिड़ियाघरों में नियमित रूप से सैनिटाइजेशन किया जा रहा है्. 

अधिकारियों ने कहा कि वन्यजीव विभाग केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के साथ लगातार संपर्क में है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी स्वास्थ्य सुरक्षा दिशा-निर्देशों का पालन किया जाए.

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