बिहार चुनाव : क्या दूसरे चरण में एनडीए से सीटें झटक पाएगा महागठबंधन?
बिहार में दूसरे चरण के तहत जिन सीटों पर चुनाव होना है, पिछली बार यहां की 122 सीटों में से 66 पर एनडीए और 49 पर महागठबंधन को जीत मिली थी

बिहार में 6 नवंबर को हुए मतदान का विश्लेषण अभी चल ही रहा है और कल यानी 11 नवंबर के आखिरी चरण के मतदान के लिए पार्टियों ने कमर कस ली है. पहले चरण में 121 सीटों पर वोट पड़े थे, जिनमें पिछले चुनाव में 59 सीटों पर एनडीए और 61 सीटों पर महागठबंधन का कब्जा था.
वहीं दूसरे चरण की बात करें तो पिछले विधानसभा चुनाव में इन सीटों पर एनडीए की बढ़त रही है, उसने 66 सीटें जीती थीं. महागठबंधन को इस चरण की सिर्फ 49 सीटें मिली थीं. अब असल सवाल यही है कि क्या एनडीए इस चरण के दबदबे को कायम रख पाता है, या महागठबंधन उसकी चुनौती से पार पा लेगा.
पहले चरण में जहां गंगा किनारे के 18 जिलों की सीटें थीं, वहीं इस चरण की ज्यादातर सीटें बिहार के सीमावर्ती 20 जिलों से आती हैं. इनमें चंपारण का पूरा इलाका, सीमांचल का पूरा इलाका, अंग का भागलपुर और बांका, पटना, शेखपुरा, लखीसराय और नालंदा को छोड़ दें तो मगध का शेष इलाका आता है. इसके अलावा सासाराम, कैमूर, सीतामढ़ी, शिवहर, मधुबनी और सुपौल जिले इसमें शामिल हैं.
अगर पिछले चुनाव के नतीजों को देखें तो एनडीए को चंपारण में 21 में से 17, सीमांचल के चार जिलों में 24 सीटों में से 12, भागलपुर-बांका की 12 में से 9, सीतामढ़ी-शिवहर की 9 में से 6, मधुबनी की 10 में से 8, और सुपौल की पांचों सीटें मिली थीं. मगध और शाहाबाद में एनडीए की सीटें घटी थीं. मगध के शेष जिलों की 30 में से सिर्फ दस सीटें उसे मिली थी, जबकि रोहतास और कैमूर में 11 की 11 सीटें वे हार गए थे.
इस बार के चुनाव में स्थितियां कुछ बदली नजर आ रही हैं. एनडीए रोहतास-कैमूर और मगध के इलाके में अपना प्रदर्शन थोड़ा सुधारती दिख रही है. हालांकि वह बहुत प्रभावी नहीं है, मगर उसे पिछले चुनाव से बेहतर सीटें मिलने की उम्मीद है.
वहीं, चंपारण जो हमेशा से बीजेपी का गढ़ रहा है, वहां इस चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन सुधर सकता है. जमीनी जानकारी के मुताबिक पश्चिमी चंपारण में कांग्रेस की सीटें अप्रत्याशित रूप से बढ़ सकती हैं. उसे बगहा और नौतन में मजबूत बताया जा रहा है, जबकि चनपटिया में भी उसकी स्थिति ठीक बताई जा रही है. वहीं जानकार पूर्वी चंपारण के मोतीहारी, कल्याणपुर, ढाका, नरकटिया और गोविंदगंज में महागठबंधन के निकलने की संभावना जता रहे हैं. चिरैया की सीट पर जनसुराज का प्रत्याशी मजबूत बताया जा रहा है.
सीमांचल की 24 में से 12 सीटें जहां पिछली बार एनडीए को मिली थी, वहीं पांच सीटों पर असदुद्दीन ओवैसी की एमआईएम को जीत हासिल हुई थी. एमआईएम की वह जीत ऐतिहासिक मानी गई थी. मगर इस बार वहां एमआईएम की स्थिति कुछ कमजोर है. अमौर की सीट को छोड़ दिया जाये तो उसकी कोई भी सीट पक्की नहीं लग रही. हालांकि बायसी और बहादुरगंज में वह मुकाबले में है.
जानकार बताते हैं कि सीमांचल के मतदाता अब अलग तरीके से व्यवहार करने लगे हैं. वहां के धर्मनिरपेक्षता के पक्षधर मुसलमान अमूमन महागठबंधन के पक्ष में रहते हैं, धार्मिक संस्थाओं, जैसे मदरसा और मस्जिद से जुड़े लोगों पर एमआईएम का असर है. अगर किसी सीट पर महागठबंधन का कोई मुस्लिम उम्मीदवार जीतने की स्थिति में हो तो राजद का कोर वोटर माना जाने वाला यादव भी इस इलाके में एनडीए के पाले में चला जाता है. और अगर कहीं एमआईएम की स्थिति जीतने वाली हो तो वहां की हिंदू आबादी एमआईएम के बदले महागठबंधन के उम्मीदवार को जिताना पसंद करती है. सुपौल में एनडीए को एक या दो सीटों का नुकसान हो सकता है.
इस बार वहां एमआईएम दो या अधिकतम तीन सीटें जीत सकता है, महागठबंधन की टैली 12 के आसपास रह सकती है. एक या दो सीटें निर्दलीय के खाते में जा सकती है. ऐसे में एनडीए को नुकसान होना है.
भागलपुर और बांका में या तो स्थिति पहले जैसी रहेगी या एनडीए को एक-दो सीटों का नुकसान हो सकता है. सीतामढ़ी-शिवहर और मधुबनी में कमोबेश स्थिति पहले जैसी ही रहेगी. मगध के इलाके में एनडीए की सीटें थोड़ी बढ़ सकती है, मगर जीतनराम मांझी की ‘हम’ पार्टी की स्थिति कमजोर लग रही है. जानकार बताते हैं कि पार्टी छह में बमुश्किल दो सीटें निकाल पा रही है. इसके मुकाबले सासाराम और कैमूर में उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो का प्रदर्शन थोड़ा बेहतर रहने की उम्मीद है. बीजेपी की स्थिति भी थोड़ी बेहतर होगी.
जहां तक जनसुराज का सवाल है, उसे इस चरण में कुछ सफलता मिल सकती है. खासकर सीमांचल के जोकीहाट में उसके प्रत्याशी सरफराज काफी मजबूत नजर आ रहे हैं. वहीं चिरैया सीट पर संजय कुमार और करहगर सीट पर गायक रितेश पांडे भी मुकाबले में दिख रहे हैं.
इस चरण में कई निर्दलीय प्रत्याशी भी मजबूत नजर आ रहे है, जैसे कसबा सीट पर बीजेपी के बागी प्रदीप दास और कांग्रेस के बागी आफाक आलम, नवादा के गोविंदपुर में राजद के बागी कामरान, परिहार सीट पर राजद की बागी रितु जायसवाल काफी मजबूत नजर आ रहे है. ये चुनाव जीत भी सकते हैं. इसके अलावा भागलपुर के कहलगांव में कांग्रेस और राजद के बीच की फ्रैंडली फाइट एनडीए को जीत का मौका दे सकती है. इसी तरह चैनपुर में राजद और वीआईपी के बीच फ्रेंडली फाइट है. इसमें महागठबंधन को नुकसान उठाना पड़ सकता है.