बिहार चुनाव की हवा तमिलनाडु में DMK–कांग्रेस की नाव के लिए बन सकती है तूफान!
तमिलनाडु में कांग्रेस सत्ताधारी DMK के साथ है लेकिन बिहार में कमजोर प्रदर्शन यहां भी उस पर भारी पड़ सकता है

तमिलनाडु में कोई चुनाव नहीं हुए, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव का असर वहां पहले ही दिखने लगा था. बिहार में रैली करते वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने DMK (द्रविड़ मुन्नेत्र कझगम) पर सीधा वार किया, जिससे माहौल पहले ही गरम हो चुका था. और अब बिहार में NDA की बड़ी जीत ने तमिलनाडु की राजनीति में एक नई हलचल शुरू कर दी है. यहां 2026 की शुरुआत में चुनाव होने हैं.
हालांकि तमिलनाडु आमतौर पर उत्तर भारत की चुनावी लहर से अलग रहता है, लेकिन इस बार बिहार का नतीजा यहां नई अनिश्चितता लेकर आया है. बिहार चुनाव से पहले ही तमिलनाडु कांग्रेस, DMK गठबंधन में अपनी मोल-तोल की क्षमता बढ़ाने के लिए ज्यादा सीटों की मांग कर रही थी.
इसी दौरान यह चर्चा भी तेज थी कि कांग्रेस और ऐक्टर विजय की पार्टी ‘तमिलगा वेत्री कलगम’ (TVK) के बीच कोई सहमति बन सकती है. ये अटकलें तब और बढ़ गईं जब TVK ने BJP-AIADMK को साफ मना कर दिया, जबकि यह गठबंधन करुर भगदड़ हादसे के बाद विजय को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहा था.
तमिल मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक, TVK ने कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावना पर एक सर्वे कराया था और उसमें अच्छे नतीजे मिले थे. लेकिन कांग्रेस का रुख ठंडा ही रहा. इन रिपोर्टों के अनुसार, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने TVK के साथ जाने के विकल्प पर “सोचा तक नहीं”. इसके थोड़े समय बाद ही TVK के डिप्टी जनरल सेक्रेटरी सी.टी.आर. निर्मल कुमार ने भी इन अटकलों को खारिज कर दिया.
राजनैतिक जानकारों का कहना है कि इसका मतलब साफ हैः कांग्रेस अभी अपनी कमजोर राष्ट्रीय स्थिति को देखते हुए किसी नए-नवेले गठबंधन में कूदने से बच रही है. एक विश्लेषक के शब्दों में, “अंदरूनी तनाव के बावजूद DMK के साथ गठबंधन ही कांग्रेस के लिए सबसे व्यावहारिक और भरोसेमंद विकल्प है.”
जैसा कि जानकार कहते हैं, बिहार का नतीजा तमिलनाडु में कांग्रेस को मुश्किल में डाल गया है. तमन्नाएं चाहे जितनी हों, लेकिन कांग्रेस को अब बातचीत की मेज पर कमजोर स्थिति में बैठना होगा. सीनियर DMK नेताओं का कहना है कि बिहार का परिणाम कांग्रेस की संगठनात्मक सीमाएं उजागर कर गया है, जिससे उसकी मोल-तोल की क्षमता घट गई है और ज्यादा सीटों की मांग करना अब हकीकत में मुमकिन नहीं लगता.
कांग्रेस के नेता और सांसद मणिकम टैगोर कहते हैं कि अगर कांग्रेस अपनी असली ताकत के आधार पर सत्ता और सीटों में हिस्सा चाह रही है, तो यह पूरी तरह गलत नहीं है. लेकिन उनका कहना है कि पार्टी की केंद्रीय लीडरशिप को वक्त पर और सही फैसले लेने चाहिए, ताकि यह ताकत दिखे, साथ ही यह भी सुनिश्चित रहे कि तमिलनाडु में सेक्युलर सरकार चलती रहे. उन्होंने यह भी कहा कि राहुल गांधी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के बीच रिश्ते 2016 से ही अच्छे रहे हैं.
DMK की तरफ, बिहार का नतीजा कांग्रेस को ज्यादा सीटें न देने का एक मजबूत तर्क बन गया है. पार्टी की रणनीतिक टीम का कहना है कि कांग्रेस की राष्ट्रीय कमजोरी को देखते हुए उसका ज्यादा सीटों की मांग करना जायज नहीं है. DMK अपने कल्याणकारी कामों और अनुकूल स्थानीय माहौल की वजह से खुद को मजबूत स्थिति में देख रहा है और अपने सहयोगी को और जगह देने की जरूरत नहीं समझती.
तमिलनाडु चुनावी मौसम में दाखिल हो रहा है और बिहार के नतीजों की छाया वहां के सत्ताधारी गठबंधन पर साफ दिख रही हैः कांग्रेस के लिए आत्मचिंतन का बड़ा सवाल और DMK के लिए थोड़ी और बढ़ी हुई पकड़. सीटों का अंतिम फॉर्मूला क्या बनता है, इस पर सबकी नजर रहेगी.
- कविता मुरलीधरन