बिहार चुनाव : मुकेश सहनी का अपने भाई की उम्मीदवारी वापस लेना मजबूरी है या बड़ी रणनीति?
विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख मुकेश सहनी ने गौड़ा बौराम सीट से अपने भाई संतोष सुमन की उम्मीदवारी वापस लेते हुए RJD उम्मीदवार अफजल अली को समर्थन दिया है

राजनीति में बहुत कम ऐसे मौके आते हैं कि कोई पार्टी किसी सीट से एक निर्दलीय उम्मीदवार के पक्ष में अपनी पार्टी के आधिकारिक प्रत्याशी का नाम वापस ले. वह भी तब अगर वह प्रत्याशी उस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष हो. मगर बिहार विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण में यह भी देखने को मिला.
विकासशील इंसान पार्टी (VIP) ने गौड़ा बौराम सीट से अपनी पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार संतोष सुमन के नाम वापसी की घोषणा कर दी. यह घोषणा करते हुए VIP के प्रमुख मुकेश सहनी ने कहा, "संतोष और अफजल दोनों मेरे छोटे भाई हैं. मैंने पहले अफ़ज़ल को मनाने की कोशिश की, क्योंकि संतोष महागठबंधन के आधिकारिक प्रत्याशी थे. मगर जब अफ़ज़ल नहीं माने तो मैंने संतोष को समझाया और वे मान गए. मैं नहीं चाहता था कि हम दोनों की आपसी लड़ाई का लाभ NDA को मिले. हमारा लक्ष्य बड़ा है, हम बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाने की लड़ाई लड़ रहे हैं."
गौड़ा बौराम से चुनाव लड़ रहे अफ़ज़ल अली का मामला बड़ा ही दिलचस्प है. भले ही वे महागठबंधन के आधिकारिक प्रत्याशी न हों, RJD ने उन्हें पार्टी से निकाल देने की घोषणा कर दी हो, भले तेजस्वी यादव यह अपील कर चुके हों कि संतोष सहनी ही महागठबंधन के आधिकारिक प्रत्याशी हैं मगर तकनीकी तौर पर अफ़ज़ल अली ही RJD के आधिकारिक प्रत्याशी हैं. दरअसल सीट शेयरिंग से पहले ही RJD ने अफ़ज़ल अली को सिंबल दे दिया था और उन्होंने पार्टी के सिंबल पर ही नामांकन भरा था. यानी वे लालटेन के सिंबल पर ही चुनाव लड़ेंगे. जाहिर है कि ऐसे में VIP के उम्मीदवारि को नुकसान उठाना पड़ता.
VIP के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि अफ़ज़ल को उम्मीदवारी वापस लेने के लिए कई तरह से समझाया गया, उन्हें MLC बनाने तक के ऑफर दिए गए मगर वे माने नहीं, ऐसे में मजबूरन संतोष सहनी को नाम वापस लेना पड़ा.
जब मुकेश सहनी अपने गांव में संतोष सहनी और पार्टी के दूसरे नेताओं के साथ इस नाम वापसी की घोषणा कर रहे थे, तब इंडिया टुडे की टीम वहां मौजूद थी. हैरत की बात है कि इस नाम वापसी की घोषणा के वक्त RJD के बागी प्रत्याशी वहां मौजूद नहीं थे. बाद में जब हमने मुकेश सहनी से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि चूंकि आज प्रचार का आखिरी दिन है, "इसलिए वे व्यस्त रहे होंगे, थोड़ी देर में आ जाएंगे." मगर इस घोषणा के लगभग डेढ़ घंटे बाद भी अफ़ज़ल नहीं आए, हालांकि RJD के कई कार्यकर्ता उनसे मिलने आए.
इस घोषणा की वजह से वहां मौजूद VIP कार्यकर्ताओं में एक किस्म की उदासी थी. खास तौर पर निषाद जाति और सहनी समाज से जुड़े कार्यकर्ताओं में. यह पूछने पर कि क्या वे इस बदले हालात में वे अफ़ज़ल को वोट देंगे? वे इसका कोई जवाब नहीं दे पाए, पीछे से जरूर मुकेश सहनी ने कहा कि कहिए “महागठबंधन को वोट करेंगे”. मगर दूसरी तरफ सिर खामोशी पसरी रही.
वहां मौजूद VIP कार्यकर्ता, खासकर मुस्लिम धर्म से जुड़े लोगों का कहना था कि मुकेश सहनी ने बड़ी कुर्बानी दी है. उन्हें जरूर बुलंदी हासिल होगी.
मगर क्या सचमुच मुकेश सहनी ने अफ़ज़ल का समर्थन करके कुर्बानी दी है? जानकार ऐसा नहीं मानते, उन्हें लगता है कि मुकेश सहनी ने ऐसा कदम उठाकर एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला है. इस चुनाव में और आने वाले दिनों में मुकेश इसका भरपूर फायदा उठाने की कोशिश करेंगे.
दरअसल, एक तो गौड़ा बौराम में संतोष सहनी की जीत की संभावना बिल्कुल न्यूनतम हो गई थी. उनके तीसरे स्थान पर जाने का खतरा पैदा हो गया था. अगर वे अपनी गृह क्षेत्र की इस सीट से हार जाते तो यह उनके लिए शर्मिंदगी का सबब हो सकता था. इस तरह वे अपने भाई की कुर्बानी देकर उस झेंप से बच गए.
उन्हें लगता है कि इस फैसले के बाद VIP की दूसरी सीटों पर उन्हें लाभ होगा और मुसलमानों का भरपूर समर्थन उन्हें मिलेगा. दरअसल महागठबंधन में होने के बावजूद इस बार मुसलमान उनसे कई वजहों से नाराज चल रहे हैं. उनमें एक वजह यह भी थी कि गौड़ा बौराम की इस सीट पर अफ़ज़ल के मजबूत होने के बावजूद यह सीट VIP को दे दी गई. हालांकि इस सीट पर 2020 के चुनाव में VIP से ही स्वर्णा सिंह जीती थीं, जो बाद में BJP के पाले में चली गईं. इस बार उनके पति सुजीत कुमार जो राजस्व सेवा के अधिकारी रहे हैं, उनकी जगह BJP से मैदान में हैं. इसके बावजूद चूंकि अफ़ज़ल इस इलाके के लोकप्रिय राजनेता हैं, इसलिए मुसलमानों का दावा था कि टिकट उन्हें ही मिलना चाहिए.
VIP को लेकर मुसलमानों की नाराजगी की एक वजह यह भी रही कि उनके प्रत्याशियों में एक भी मुसलमान का नाम नहीं था. अब अफ़ज़ल का समर्थन कर मुकेश सहनी मुसलमानों की नाराजगी दूर करना चाहते हैं.
हालांकि राजनीतिक टिप्पणीकार यह भी मानते हैं कि VIP के एक फैसले से अफ़ज़ल को फायदा कम नुकसान ज्यादा होगा. ऐसे ही एक स्थानीय जानकार राशिद अली बताते हैं, "गौड़ा बौराम में निषाद मतदाताओं का झुकाव हमेशा से NDA की तरफ रहा है. इस बार निषादों का एक बड़ा नाम होने के कारण वे संतोष सहनी को वोट करते और इससे अफ़ज़ल को लाभ होता क्योंकि RJD के वोटर उसके पक्ष में खड़े हैं, अब जबकि उन्होंने उम्मीदवारी वापस ले ली है तो निषाद वोटरों के फिर से NDA की तरफ जाने की संभावना है, जिससे अफ़ज़ल को फायदे के बदले नुकसान अधिक होगा."
हालांकि मुकेश सहनी कहते हैं, “आज से हमलोग महागठबंधन के आधिकारिक प्रत्याशी के रूप में अफ़ज़ल अली के पक्ष में प्रचार करेंगे.” देर रात अफ़ज़ल अली अपने साथियों के साथ मुकेश सहनी के घर पहुंचे और उनसे और उनके भाई संतोष सहनी से मिलकर उनका शुक्रिया अदा किया.
अगले दिन जब अफ़ज़ल अली के बड़े भाई के इंतकाल की ख़बर आई तो मुकेश सहनी भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने उनके घर गए. अब इस मेल मिलाप का गौड़ा बौराम और VIP की राजनीति पर कैसा असर पड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी.