अयोध्या के मठ-मंदिरों में खून-खराबे के मामले क्यों बढ़ रहे हैं?

अयोध्या के हनुमानगढ़ी के एक नागा साधु की 19 अक्टूबर को हत्या कर दी गई. इस घटना ने एक बार फिर इस धार्मिक नगरी के मठ-मंदिरों में अपराध की बढ़ती घटनाओं‍ की तरफ ध्यान खींचा है

अयोध्या का हनुमानगढ़ी मंदिर
अयोध्या का हनुमानगढ़ी मंदिर

गुरुवार को रामनगरी अयोध्या में एक नागा साधु की हत्या ने पूजा स्थलों के भीतर लालच और विश्वासघात की एक और 'घातक कहानी' उजागर कर दी. सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी मंदिर की सीढ़ियों पर स्थित आश्रम में बसंतिया पट्टी के नागा साधु रामसहारे दास की 19 अक्टूबर को हत्या कर दी गई थी. 

कमरे में उनका खून से लथपथ शव मिला था. उनके गले, सीने व पीठ पर धारदार हथियार के गहरे निशान थे.  अगले दिन पुलिस ने दावा किया कि नागा साधु के दो शिष्यों की गिरफ्तारी के बाद मामले को सुलझा लिया गया है, जिन्होंने कथित तौर पर धन और उत्तराधिकार के लिए पुजारी की हत्या कर दी थी. 

हत्या के बाद लूटे गए 1.08 लाख रुपए और कीमती सामान भी बरामद कर लिया गया. अयोध्या पुलिस अधिकारियों ने दोनों शिष्यों की पहचान बिहार निवासी अंकित दास उर्फ अंकित पांडे और एक शाहजहांपुर के 17 वर्षीय लड़के के रूप में की है. अयोध्या के एसएसपी राज करण नैय्यर ने बताया कि अंकित दास वर्ष 2017 से मृतक पुजारी रामसहारे के शिष्य था, लेकिन कोविड-19 महामारी के दौरान अपने घर लौट गया. वह करीब दो महीने पहले आश्रम वापस लौटा, जबकि दूसरा हत्यारोपी नाबालिग शिष्य 15 दिन पहले ही साधु के साथ जुड़ा था.

पुलिस की गिरफ्त में आया हत्या का आरोपी अंकित

 

हनुमानगढ़ी से जुड़े चार समूह हैं, जिन्हें आमतौर पर ‘पट्टी’ के नाम से जाना जाता है. ये मंदिर के पुजारी के रूप में काम करते हैं और प्रत्येक समूह के एक पुजारी को बारी-बारी से दो महीने की कार्य अवधि मिलती है. रामसहारे दास ने हाल ही में अपनी दो महीने की कार्य अवधि पूरी की थी और उन्हें नकदी और कीमती सामान मिला था, जिसे उन्होंने अपने दो शिष्यों से गिनने के बाद अपने पास रख लिया था. ये दोनों भी रामसहारे के साथ उसी कमरे में रहते थे. एसएसपी राजकरण नैयर के मुताबिक मूल रूप से, अंकित दास ने साजिश रची और अपराध को अंजाम देने के लिए नाबालिग शिष्य को शामिल किया. 

साधु रामसहारे दास

यह अयोध्या में इस तरह की पहली घटना नहीं है. पुलिस के मुताबिक पिछले 10 वर्षों में इन्हीं कारणों से कई संतों की हत्या कर दी गई और उनके शिष्य या उनके परिचित लोग ही उनके हत्यारे निकले. 

अयोध्या में तैनात रहे एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी सुभाष कुमार बताते हैं, “अयोध्या में साधु संतों की हत्याओं की वजह है अथाह धन और संपत्तियों पर कब्जे की होड़. संतों की हत्या कोई बाहरी नहीं, उनके अपने ही कर रहे हैं. अयोध्या को साधुओं का शहर भी कहा जाता है. यहां की गली-सड़कों से लेकर मंदिरों और मठों में महंतों और साधुओं की अपनी एक अलग दुनिया है, लेकिन विगत कुछ वर्षो से यह क्षेत्र महंत और साधुओं की लगातार होती हत्याओं के कारण सुर्खियों में हैं. इनके खूनी खेल से अयोध्या की छवि बिगड़ रही है.” 

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू होने के बाद से यहां श्रद्धालुओं का आगमन भी कई गुना बढ़ा है. इसी क्रम में हर मंदिर में चढ़ने वाला चढ़ावा भी काफी बढ़ा है. यही धन अब अपराध की वजह भी बनने लगा है. 

जिला प्रशासन ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि मठों व मंदिरों की संपत्तियों पर कब्जे और धन को लेकर पिछले कुछ वर्षो में कई घटनाएं सामने आई हैं. अधिकारियों की मानें तो जांच के दौरान ज्यादातर मामलों में संपत्ति और धन का विवाद ही सामने आया है. वर्ष 2014 के 12 जून को अयोध्या के वासुदेवघाट स्थित बैकुंठ भवन के महंत अयोध्या दास के अचानक लापता होने के बाद उनकी हत्या की खबर आई थी. 

पता चला था कि महंत की हत्या किसी और ने नहीं, बल्कि मठ में रहने वाले उनके ही चेले रामकुबेर दास ने सुपारी देकर करवाई थी. महंत अयोध्या दास की तरह दर्जनों नाम हैं, जो अपनों के ही शिकार हुए. यहां के मुमुक्ष भवन में स्वामी सुर्दशनचार्य की हत्या उनके ही शिष्य जितेंद्र पांडेय ने की थी. यह हत्या इतनी दिल दहलाने वाली थी कि अपने गुनाह को छिपाने के लिए हत्यारे शिष्य ने स्वामी सुर्दशनचार्य के शव को भवन में ही गाड़ दिया था. इसी प्रकार हनुमत भवन में रामशरण भी अपनों के ही षड्यंत्र का शिकार हुए थे. 

नाम न छापने की शर्त पर अयोध्या की एक बड़ी पीठ के महंत बताते हैं, “महंत अपने संबंधियों को लाभ पहुंचाने के चक्कर में रहते हैं और उनका असली उत्तराधिकारी गद्दी पाने से वंचित रह जाता है. इससे आपसी द्वेष और असंतोष बढ़ता है.” इन महंत के मुताबिक रामनगरी में असली साधुओं के बीच कई ऐसे चेहरे में भी हैं, जिनका वास्ता जरायम की दुनिया से है. ऐसे तथाकथित साधुओं ने अयोध्या के विभिन्न मठों में अंदर तक घुसपैठ कर ली है. अयोध्या में रहने वाले लोग भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि मठों व मंदिरों में संपत्ति के कब्जे को लेकर जो हिंसक प्रवृत्ति फैल रही है, वह साधु समाज और अयोध्या के लिए शुभ संकेत नहीं है.

बीते कुछ सालों के दौरान अयोध्या के मठ-मंदिरों में हुए अपराध की चर्चित घटनाएं

जनवरी 2023 : नरjसिंह मंदिर के बुजुर्ग महंत राम शरण दास रहस्यमय तरीके से लापता हो गए थे, और उनके शिष्य राम शंकर दास पर हत्या का आरोप लगाया गया था. लेकिन बाद में इसी साल मई में शिष्य भी मृत पाया गया.

अप्रैल 2022 : हनुमानगढ़ी की बसंतिया पट्टी के महंत बाबा कन्हैया दास की हत्या कर दी गई. इस मामले में उनके 'गुरु भाई' अखिलेश दास और गोलू दास को गिरफ्तार कर लिया गया. यह हत्या भी धन और संपत्ति के विवाद का नतीजा थी.

अगस्त 2018 : विंध्य माता मंदिर के महंत रामचरण दास की उनके उत्तराधिकारी के विवाद में गला घोंटकर हत्या कर दी गई. पुलिस ने इस मामले में उनके दो शिष्यों को गिरफ्तार किया है.

अगस्त 2014 : मणिराम दास छावनी मंदिर ट्रस्ट के हिस्से गंगा भवन मंदिर के महंत विजय राम दास की हत्या कर दी गई. धन-संपत्ति के लिए हत्या के आरोप में उनके शिष्य को गिरफ्तार कर लिया गया.

जुलाई 2013 : महंत भवनाथ दास के शिष्य एक अन्य संत रमेश दास को महंतों (पुजारियों) के दो समूहों के बीच गोलीबारी के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें हनुमानगढ़ी मंदिर के पास एक मजदूर की मौत हो गई थी.

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